म्युचुअल फंड में निवेश करने अक्सर इस बात को लेकर भ्रम में रहते हैं कि उनको अपना फंड कब बेचना चाहिए। निवेशकों को फंड खरीदने में उतनी मुश्किल नहीं होती है, जितनी यह फैसला लेने में होती है कि उनको फंड कब बेचना चाहिए। ज्यादातर निवेशकों की यह सोच होती है कि अगर अच्छा रिटर्न हासिल करना है तो हमें कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। यानी आप फंड खरीदते या बेचते रहें। इसकी वजह से निवेशक न सिर्फ जरूरत से ज्यादा फंड खरीद लेते हैं बल्कि वे फंड बेचने के लिए हमेशा तैयार भी रहते हैं।
मुझे ऐसे बहुत से निवेशकों के सवालों का जवाब देना होता है जो हमेशा फंड बेचने के लिए तैयार रहते हैं। वे ऐसा करने के लिए आम तौर पर तीन तरह की वजह का हवाला देते हैं। पहला, उन्होंने काफी मुनाफा कमा लिया है। दूसरा, उनको नुकसान हुआ है और तीसरा, इस फंड से न फायदा हो रहा है और न नुकसान।
और मैने ऐसे मामले भी देखें जहां फंड ने अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन यह प्रदर्शन उसके पहले के प्रदर्शन या उसी के जैसे दूसरे फंड से कमजोर रहा है। ऐसे मामलों में भी निवेशक फंड बेचने की बात करते हैं। यानी किसी फंड ने सालों तक अच्छा रिटर्न दिया है लेकिन हाल में कुछ माह तक रिटर्न कम रहने की वजह से निवेशक फंड बेचने की बात करने लगा। अगले दिन मुझे एक और निवेशक का सवाल मिला। यह निवेशक अपने फंड को बेचना चाहता था। उसके फंड ने 6 साल की अवधि में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और 60 फीसदी तक रिटर्न दिया लेकिन निवेशक इस बात से निराश है कि उसकी फंड कैटेगरी के दूसरे फंडों का रिटर्न 70 -90 फीसदी रहा है।
आम तौर पर निवेशक कम अवधि यानी छह माह या साल भर के प्रदर्शन के आधार पर फंड खरीद लेते हैं। जैसे अगर किसी ने छह माह के प्रदर्शन के आधार पर फंड खरीद लिया है तो शायद वह फंड के 6 माह के खराब प्रदर्शन के आधार पर उसे बेचने की बात करे और ऐसा फंड खरीदना चाहे जिसका पिछले 6 माह में प्रदर्शन अच्छा रहा है। इसका कोई फायदा नहीं है। अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको ऐसा फंड खरीदना चाहिए जिसने पिछले कई सालों के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया हो। और इस फंड को आपको तभी बेचना चाहिए जब आपका फाइनेंशियल गोल पूरा हो गया हो। अगर आपका वित्तीय लक्ष्य या जिस जरूरत के लिए आपने निवेश किया था वह पूरी हो हो रही है तो आपको फंड को भुना लेना चाहिए। और इस पैसे से आप अपनी जरूरत पूरी कर सकते हैं।
आपको एक फंड को बेच कर दूसरा फंड खरीदने से बचना चाहिए। आम तौर पर ऐसा करने से निवेशकों को खास फायदा नहीं होता है। अगर किसी फंड ने पिछले कई सालों तक लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है तो रातों रात वह फंड खराब नहीं हो जाता है। हां अगर फंड का मैनेजमेंट बदल गया हो तो अलग बात है। अगर कोई फंड मैनेजर सालों तक अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो निश्चित तौर पर उसके पास कुछ अच्छी क्वालिटी होगी। यह क्वालिटी रातों रात गायब नहीं हो सकती है। किसी का भी एक दो फैसला गलत हो सकता है और किसी के प्रदर्शन में उतार चढ़ाव आ सकता है। मैं सालों से फंड का एनॉलिसिस कर रहा हूं और मुझे ऐसा कोई फंड मैनेजर याद नहीं है जो सालों तक अच्छा फंड मैनेजर रहा हो और बाद में हमेशा के लिए खराब फंड मैनेजर बन गया हो। इसी तरह से मुझे ऐसा भी फंड मैनेजर याद नहीं है जो सालों तक खराब फंड मैनेजर रहा हो और अचानक अच्छा फंड मैनेजर बन गया हो।
इसका मतलब है कि जब तक आपके फंड का फंड मैनेजमेंट नहीं बदलत है और फंड अच्छी तरह से डायवर्सीफाइ किया गया तब तक आपको धैर्य रखना चाहिए और फंड बेचने से बचना चाहिए।