म्युचुअल फंड स्टेटमेंट भी कुछ हद तक बैंक अकाउंट स्टेटमेंट की तरह होता है। इसमें आपके म्युचुअल फंड निवेश की सारी डिटेल या समरी होती है। हर फड हाउस के फंड स्टेटमेंट का फार्मेट और लेआउट अलग अलग हो सकता है लेकिन इसका बेसिक फीचर्स समान होता है।
1- आपके लिए फोलियो नंबर का रिकॉर्ड रखना जरूरी है। यह आपके निवेश का रेफरेंस नंबर है। हर बार जब आप नया निवेश करते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फोलियो नंबर समान हो। इससे आपके लिए किसी खास फंड हाउस के फंड में किए गए निवेश को ट्रैक करना आसान होगा। अगर आप समान फोलियो नंबर का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो हर नए निवेश के साथ आपके बहुत सारे फोलियो नंबर हो जाएंगे। इससे आपके लिए निवेश को ट्रैक करना मुश्किल हो जाएगा।
2- आपके को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके बैंक का नाम और अकाउंट नंबर सही हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो आपको फंड बेचने के समय दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
3- आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपने नो योर कस्टमर यानी केवाईसी नियमों का अनुपालन किया है। इसके अलावा म्युचुअल फंड निवेशक के लिए एफएटीसीए डिक्लेयरेशन भी जरूरी है। एफएटीसीए एक अमेरिकी कानून है। और भारत अमेरिका के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय म्युचुअल फंड निवेशक के लिए यह बताना जरूरी है कि वे अमेरिकी नागरिक हैं या नहीं।।
4- अगर आपने एजेंट के जरिए निवेश किया है तो उसका नेम कोड और ईयूआईएन नंबर आपको अकाउंट स्टेटमेंट में दिखेगा। आप इसे नोट कर सकते हैं।
5- आपको ट्रांजैक्शन समरी देखनी चाहिए। इस सेक्शन में यह रहता है कि आपने किस तरह का ट्रांजैक्शन चुना है। जैसे एसआईपी, एसडब्ल्यूपी आदि।
6- आपको अपने फंड का लोड स्ट्रक्चर समझना चाहिए। जैसे अगर आप एक तय समय से पहले अपना फंड बेच देते हैं तो आपको पेनल्टी के तौर पर कुछ रकम चुकानी होती है। इसे लोड कहते हैं। अब म्युचुअल फंड एग्जिट लोड देना होता है। यानी अगर आप तय समय पहले फंड बेचते हैं तो आपको पेनल्टी देनी होगी।