बचत और निवेश पर एक रेडिट चर्चा में मैंने किसी को यह पूछते हुए देखा कि क्या समूह के अन्य लोग भी निवेश शुरू करने के बाद पहले से अधिक बचत करने लगे हैं। इस व्यक्ति ने बताया कि जब वह बिल्कुल निवेश नहीं करता था तो वह छोटी-छोटी गैरजरुरी चीज़ों पर काफी पैसे खर्च कर देता था। इस आदत से बचा जा सकता था।
हालांकि, एक फंड में नियमित निवेश शुरू करने के बाद केवल फंड के प्रदर्शन पर नजर रख कर और इसे बढ़ता देख कर ही वह अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर ज्यादा सजग हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने ग़ैरज़रूरी चीज़ों पर खर्च करना बंद कर दिया और पहले से ज़्यादा बचत करने लगा। दिलचस्प बात यह है कि उस चर्चा में कई अन्य लोगों ने भी कहा कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।
मेरा मानना है कि यह वास्तव में एक बहुत ही सामान्य अनुभव है। मैंने इसे वैल्यू रिसर्च में अपने कई युवा साथियों में देखा है। एक स्तर पर, पैसा ज्यादातर अगला मोबाइल फोन खरीदने या अपनी पहली कार के लिए योजना बनाने के काम आता है।
इसके बाद वो टैक्स बचत के लिए ईएलएलएस में निवेश करना शुरू करते हैं अचानक पैसे को अलग नज़रिए से देखने लगते हैं। उनके पास खर्च करने के लिए कम पैसा होता है तो वह इस बात को लेकर सजग रहते हैं कि वह किस चीज़ पर खर्च करते हैं। जब वह खर्च नहीं कर रहे होते हैं तो वह अपने आप से कहते हैं कि ऐसा करना बेहतर है क्योंकि उनका पैसा बढ़ रहा है। और वह पहले से भी ज़्यादा बचत करना चाहते हैं।
मैं अब इस बात की गिनती भी भूल चुका हूं कि मैंने कितने युवाओं को ऐसा करते देखा है। वे एक छोटी बचत से शुरू करते हैं, आमतौर पर केवल टैक्स-बचत के लिए। और फिर कुछ ही समय में वे अधिक बचत करना शुरू कर देते हैं।
लेकिन ऐसा उन लोगों के साथ नहीं होता है जो पीपीएफ या किसी दूसरे टैक्स सेविंग डिपॉजिट में हर साल पैसा जमा करते जाते हैं। 15 साल का लॉकइन पीरियड होने और किसी भी अप्रत्याशित लाभ की कमी का मतलब है कि ऐसी बचत से बचतकर्ता निवेशक नहीं बन पाते हैं। निवेशक बनने के लिए कुछ शर्तो को पूरा करना होता है।
निवेशक बनने के लिए पहली शर्त यह है कि नियमित निवेश किया जाए जैसे एसआईपी के जरिए मासिक निवेश। दूसरी शर्त है कि ऐसे असेट में निवेश किया जाए जो अप्रत्याशित लाभ दे सकती हो। इसके अलावा निवेश का लॉकइन पीरियड कम होना चाहिए जिससे युवा निवेशक यह समझ सके कि अगर वह निवेश को बनाए रखता है तो उसे ज्यादा फायदा होगा।
ये तीनों शर्ते ही लोगों को थोड़ा निवेश शुरू करने के बाद अधिक निवेश के लिए प्रेरित करतीं हैं। यदि आप मीडिया में रोज़ दिखाए जाने वाले संदेशों को देखें तो इसके लिए एक शब्द होगा ' ख़र्च'। 'बचत' के लिए एक भी संदेश नहीं है। और निवेश को लेकर जो भी प्रकाशित किया जाता है अगर आप उसको देखेंगे तो लगेगा कि निवेश से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है कि निवेश कहां किया जाए। हालांकि, ये पहली नहीं बल्कि दूसरी समस्या है।
ज़्यादातर लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि या तो वे बचत नहीं करते हैं या उतनी बचत नहीं करते हैं जितनी उनको करनी चाहिए। जो लोग बचत भी करते हैं वे ऐसा भविष्य की जरूरत के बारे में सोचे बिना ऐसा करते हैं। इससे वे अपनी बचत को समय के साथ बढ़ा नहीं पाते हैं।
वास्तव में, निवेश क्षेत्र में हम सभी दोषी हैं क्योंकि हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हैं कि निवेश कहां करना है। यह एक अवचेतन संदेश भेजता है कि यदि आपकी बचत उस स्तर तक नहीं बढ़ रही है जितना आप उन्हें चाहते हैं, तो इसे हल करने का तरीका बेहतर निवेश खोजना है।
निवेश मीडिया की दुनिया से जुड़े हम सभी लोगों की बड़ी गलती यह है कि हम इस बात पर फोकस करते हैं कि निवेश कहां करना चाहिए। इससे यह संदेश जाता है कि अगर सेविंग उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है जितनी आप चाहते हैं तो पैसा कहीं और निवेश करें। बचत करने वाले जब निवेश के बारे में सवाल पूछते हैं तो निवेश मीडिया से जुड़े लोग उनको यही बात बताते हैं। जबकि बचत करने वालों के सवालों का सबसे सही जवाब यह है कि ज्यादातर बचत करने वाले उतनी बचत नहीं करते हैं जितनी उनको करनी चाहिए। और ज्यादा बचत करने का प्रभावी तरीका यह है कि आप एसआईपी के जरिए व्यवस्थित रूप से निवेश करना शुरू करें।