मोटे तौर पर बात करें तो आपकी निवेश की च्वाइस दो बातों के आधार पर तय होनी चाहिए। निवेश की अवधि और जोखिम उठाने की क्षमता। हमेशा याद रखें कि आपको कम अवधि और मध्यम अवधि के गोल के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित डेट में निवेश करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर आपके पास निवेश के लिए अधिक समय नहीं है तो ऐसे समय में आप रकम गवांना बर्दाश्त नहीं कर सकते। जो गोल कुछ माह या एक साल में पूरा होना वाला है उसके लिए आपको हमेशा बैंक डिपॉजिट और लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। एक साल या इससे अधिक समय में पूरा होने वाले गोल के लिए बैंक डिपॉजिट और शार्ट टर्म डेट स्कीम में निवेश करना चाहिए। और लंबी अवधि के गोल के लिए इक्विटी में निवेश करें। यहां लंबी अवधि का मतलब पांच साल या इससे अधिक अवधि से है।
कम अवधि के लिए निवेश के विकल्प
बैंक डिपॉजिट: बैंक डिपॉजिट निवेश के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प हैं और ये एक तय रिटर्न की पेशकश करते हैं। हालांकि इनके साथ दिक्कत यह है कि ये कम ब्याज देते हैं और टैक्स भी हर साल देना पड़ता है। आप आपात जरूरतों के लिए फंड बनाने में और कुछ माह से लेकर एक साल तक की अवधि में रकम की जरूरतों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
कंपनी डिपॉजिट: कंपनी डिपॉजिट पर बैंक डिपॉजिट की तुलना में थोड़ा ज्यादा रिटर्न मिलता है लेकिन ये ज्यादा जोखिम वाला भी होता है। हमेशा ऊंची रेटिंग वाले डिपॉजिट में निवेश करना चाहिए। ज्यादा रिटर्न के लिए कभी भी रेटिंग पर समझौता न करें। इसके अलावा पूरी रकम एक ही कंपनी में निवेश न करें। आपको अपनी रकम कई कंपनियों में फैला कर निवेश करना चाहिए।
डेट स्कीम: डेट स्कीम यानी डेट फंड बैंक डिपॉजिट की तुलना में थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं। हालांकि इसका इस्तेमाल आपको काफी सावधानी से करना चाहिए। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपकी निवेश की अवधि चुने गए फंड के लिहाज से सही हो। उदाहरण के लिए आपात जरूरतों में इस्तेमाल के लिए जरूरी रकम और एक साल की अवधि में रकम की जरूरतों के लिए आप लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं। वहीं एक साल से तीन साल तक की अवधि के लिए आप शार्ट ड्यूरेशन फंड में निवेश कर सकते हैं।
लंबी अवधि के लिए निवेश के विकल्प
फिक्स्ड इनकम विकल्प: बहुत से निवेशक लंबी अवधि के पोर्टफोलियो में भी कुछ फिक्स्ड इनकम अलॉकेशन चाहते हैं। इसके लिए वे शार्ट ड्यूरेशन फंड पर विचार कर सकते हैं। डेट फंड में अगर तीन साल या इससे अधिक समय के लिए निवेश बनाए रखा जाए तो यह टैक्स के लिहाज से भी बैंक डिपॉजिट से बेहतर है। अगर आप तीन साल के बाद डेट फंड बेचते हैं तो आपको इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी टैक्स देना होगा। वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर इंडीविजुअल पर लागू टैक्स रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा।
इक्विटी म्युचुअल फंड: अगर आप पांच साल या इससे अधिक अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। अगर आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स बचाना चाहते हैं आपको एक या दो इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश करना चाहिए। अगर आप पारंपरिक निवेशक हैं और आपके लिए बाजार नया है तो एक या दो अग्रेसिव हाइब्रिड स्कीम में निवेश करना चाहिए। अग्रेसिव हाइब्रिड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती है। और इक्विटी में कम से कम कुल रकम का 65 फीसदी निवेश किया जाता है। यह स्कीम प्योर इक्विटी स्कीम की तुलना में कम उतार चढ़ाव वाली होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि डेट पोर्शन तेज उतार चढ़ाव के समय सहारा देता है। वहीं दूसरे निवेशक लंबी अवधि के निवेश के लिए एक या दो डायवर्सीफाइड इक्विटी स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
स्टॉक्स: सीधे स्टॉक्स में निवेश करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है लेकिन साथ ही यह काफी अधिक जोखिम से भरा भी हो सकता है। आपको इसमें तभी हाथ डालना चाहिए जब आपको स्टॉक मार्केट के बारे में गहरी जानकारी हो। इसके अलावा स्टॉक चुनने और उसके प्रदर्शन की निगरानी करने के लिए आपके पास जरूरी समय भी होना चाहिए।
टैक्स बचाने के लिए विकल्प
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड: पारंपरिक निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प है। पीपीएफ में निवेश करते हुए आप टैक्स छूट भी पा सकते हैं और इस पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री होता है। हालांकि पीपीएफ अकाउंट मैच्योर होने की अवधि 15 साल होती है और सातवें साल आप रकम का एक हिस्सा निकाल सकते हैं।
ईएलएसएस या टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड: जोखिम उठाने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के लिए यह टैक्स बचाने का सबसे अच्छा विकल्प है। ईएलएसएस में लॉक इन पीरियड तीन साल का होता है लेकिन आपको इस फंड में तभी निवेश करना चाहिए अगर आप बाजार का बुरा दौर आने पर लंबे समय तक इंतजार कर सकें।
नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) : एनपीएस भारत सरकार की पेंशन स्कीम है। इसमें निवेशक के योगदान से पेंशन मिलती है। इस स्कीम में निवेश करने पर सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। इसके अलावा 1.5 लाख रुपए की सीमा का उपयोग कर लेने के बाद अतिरिक्त 50,000 रुपए के निवेश पर टैक्स छूट मिल सकती है। इस स्कीम में निवेश की गई रकम निवेश की उम्र 60 साल होने तक लॉक हो जाती है यानी बीच में इस रकम को नहीं निकाला जा सकता है। इसके बाद 60 फीसदी रकम एकमुश्त टैक्स फ्री रकम के तौर पर निकाली जा सकती है और बाकी 40 फीसदी रकम से एन्युटी प्लान खरीदना जरूरी है। हालांकि इस स्कीम में कुछ खास स्थितियों में 60 साल की उम्र से पहले भी रकम निकालने की अनुमति है।