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कैसे काम करता है इक्विटी म्‍युचुअल फंड ?

निवेशक म्‍युचुअल फंड में निवेश करता है। इसके बाद म्‍युचुअल फंड निवेशक की ओर से निवेश करता है। हम आपको बता रहे हैं कि यह कैसे काम करता है।

कैसे काम करता है इक्विटी म्‍युचुअल फंड ?

आप जानना चाहते हैं कि इक्विटी म्‍युचुअल फंड केसे काम करता है। यह बहुत सरल तरीके से काम करता है। आप एक इक्विटी म्‍युचुअल फंड में निवेश करते हैं यानी एक फंड को अपना पैसा देते हैं। यह फंड आपका पैसा शेयरों में लगाता है। अब इसमें फायदा या नुकसान जो भी होता है वह आपका होता है। अगर आप इक्विटी म्‍युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको कम से कम इक्विटी म्‍युचुअल फंड के बारे में बेसिक जानकारी होनी चाहिए।

खर्च
म्‍युचुअल फंड एक बिजनेस यानी कारोबार है। यह कोई चैरिटी नहीं है। यह अपने खर्चे पूरे करने के लिए और मुनाफा कमाने के लिए आपसे कुछ पैसा लेता है। वे ऐसा करते भी हैं। मौजूदा नियमों के अनुसार इक्विटी फंड जितना पैसा वे मैनेज करते हैं, उसका 2.25 फीसदी तक खर्च के तौर पर ले सकते हैं। फंड के पास मैनेज करने के लिए जो रकम होती है वह रोज घटती बढ़ती रहती है। ऐसे में फंड आपकी रकम में से थोड़ी थोड़ी रकम रोज काट लेता है। यह रकम इस तरह से काटती जाती है कि काटी गई रकम का सालाना औसत एक तय फीसदी से अधिक न हो। छोटे फंड को खर्च के तौर पर थोड़ा ज्‍यादा रकम लेने की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा अगर फंड को छोटे शहरों या ग्रामीण इलाकों से ज्‍यादा निवेश मिलता है तो उनको थोड़ा ज्‍यादा खर्च लेने की अनुमति दी जाती है। ऐसा वित्‍तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। सरकार देश के ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में बैंकिंग और वित्‍तीय सेवाएं पहुंचाने का प्रयास कर रही है, जहां अब तक ये सुविधाएं नहीं पहुंचती हैं। इस प्रक्रिया को वित्‍तीय समावेशन कहते हैं।

आपसी लेनदेन

म्‍युचुअल फंड में म्‍युचुअल शब्‍द का मतलब बेहद सहज है। बहुत से निवेशक अपनी रकम म्‍युचुअल फंड में निवेश करते हैं। यानी म्‍युचुअल फंड बहुत से लोगों के पैसे से बना होता है। म्‍युचुअल फंड के लिए जो नियम कानून हैं। वे इस तरह से बनाए गए हैं कि सभी निवेशकों के साथ एक जैसा व्‍यवहार किया जाए।

एनएवी और यूनिट

किसी फंड के बारे में बात होती है तो एनएवी यानी नेट असेट वैल्‍यू और यूनिट का जिक्र बार- बार आता है। हालांकि निवेशक के लिए एनएवी और यूनिट उतने भी अहम नहीं होते हैं जितना महत्‍व दिया जा‍ता है। सीधी सी बात है कि म्‍युचुअल फंड तमाम निवेशकों की रकम से बनता है। यह रकम निवेशक म्‍युचुअल फंड में निवेश करते हैं। आप इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। एक फंड लांच होता है और फंड में 1,000 निवेशक में से हर एक 10,000 रुपए निवेश करता है। कुल मिला कर फंड के पास मैनेज करने के लिए 1 करोड़ रुपए हो जाता है। इस रकम को असेट अंडर मैनेजमेंट कहते हैं। सुविधा के लिए फंड को एक तय कीमत की यूनिट में बांटा जाता है। तो इस फंड में यूनिट की कीमत 10 रुपए है। यानी कहा जाएगा कि हर निवेशक के पास 1,000 यूनिट है ओर फंड ने 10,000 यूनिट जारी किए हैं।

अब हम नेट असेट वैल्‍यू यानी एनएवी पर आते हैं। फंड के यूनिट की मौजूदा कीमत को ही नेट असेट वैल्‍यू या एनएवी कहते हैं। यह हर दिन बदलती रहती है। ऊपर बताए उदाहरण की अगर बात करें तो फंड मैनेजर 1 करोड़ की रकम को तमाम शेयरों में निवेश करता है। शुरूआत में यूनिट की एनएवी 10 रुपए है और हर यूनिट 10 रुपए की है। मान लेते हैं कि 1 साल के बाद निवेश अच्‍छा प्रदर्शन करता है और 1 करोड़ रुपए बढ़ कर 1.1 करोड़ रुपए हो जाता है। अब हर यूनिट की एनएवी 11 रुपए हो गई। 1 करोड़ रुपए को 10,000 रुपए से भाग देने पर यूनिट की एनएवी 11 रुपए आती है। हर निवेशक के पास 1,000 यूनिट है। ऐसे में इस निवेश की कीमत बढ़ कर 11,000 रुपए हो जाती है। इसमें निवेशक के काम की बात यह समझना है कि कुल असेट 10 फीसदी बढ़ गई यानी उसे 10 फीसदी का फायदा हुआ। अगर फंड की शुरूआती फेस वैल्‍यू 100 रुपए होती तो एनएवी बढ़ कर 110 रुपए जाती और अगर फेस वैल्‍यू 1 रुपए होती तो एनएवी बढ़ कर 1.10 रुपए हो जाती। निवेशक के लिए यह जानना अहम है कि एनएवी कितने फीसदी तक बढ़ा या घटा।

जब किसी निवेशक को पैसा निवेश करना होता है या निवेश को भुनाना होता है तो वह या तो ताजी यूनिट खरीदता है या यूनिट को उस समय की एनएवी पर बेचता है। कभी कभी आपको अपना निवेश भुनाने पर थोड़ा ज्‍यादा चार्ज देना होता है। कुछ फंड किसी भी समय एंट्री और एग्जिट की अनुमति देते हैं। इन फंडों को ओपेन एंडेड फंड कहते हैं। और कुछ फंड में आप लांच होने के समय ही एंट्री कर सकते हैं और फंड बंद होने पर ही एग्जिट कर सकते हैं। इन फंड को क्‍लोज्‍ड एंडेड फंड कहते हैं।


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