पहली बात...

कैसा हो आपका पहला म्‍युचुअल फंड

आप म्‍युचुअल फंड में निवेश की शुरूआत कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि ज्‍यादा पैसा इक्विटी में लगे

कैसा हो आपका पहला म्‍युचुअल फंड

आपने अपने आस- पास अमीर या संपन्‍न लोगों को देखा होगा। अमीर भी कई तरह के होते हैं। कुछ ऐसे अमीर होते हैं जिनको विरासत में संपत्ति या धन मिला होता है। यह संपत्ति या धन इतना अधिक होता है कि इसकी सही देखभाल से ही ये लोग अमीर बने रहते हैं। आपके गांव या शहर में कुछ ऐसे लोग भी होंगे जो खानदानी अमीर परिवार से नहीं हैं। इनको विरासत में भी कुछ खास नहीं मिला। लेकिन अपनी मेहनत और लगन से इन लोगों ने पैसा कमाया और आज इनकी गिनती अमीर लोगों में होती है। इस दुनिया में खास कर भारत जैसे देश में अमीरों की संख्‍या वैसे ही बहुत कम है। अमीर खानदान में पैदा होना आपके हाथ में नहीं है। आप अपनी मेहनत और लगन से पैसा कमा सकते हैं। लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं देता है कि इस तरीके से आप अमीर या संपन्‍न बन ही जाएंगे।

अमीर या संपन्‍न बनने का एक तरीका और है। बहुत आसान तरीका। निवेश। शर्त यह है कि आपका निवेश म्‍युचुअल फंड में ही हो। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि आप छोटी रकम से भी म्‍युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। यानी आपके पास निवेश के लिए छोटी रकम है तो यह निवेश शुरू करने में बाधा नहीं है। हां निवेश की दुनिया में यह बात जरूर अहम हो जाती है कि आप निवेश शुरू कब कर रहे हैं। नौकरी शुरू करने के साथ ही या 30 साल की उम्र से पहले निवेश शुरू करना सबसे अच्‍छा होता है। अपने देश में आम तौर पर लोग 60 साल की उम्र के बाद नौकरी से रिटायर हो जाते हैं। यानी कामकाजी उम्र 60 साल तक मानी जाती है।

अगर आप 30 साल की उम्र से पहले निवेश शुरू करते हैं तो आपको निवेश करने के लिए लंबा समय मिलता है। इसके अलावा एक समय के बाद कंपाउंडिंग की ताकत आपकी रकम को बहुत तेजी से बढ़ाती है। आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न भी आपके लिए रिटर्न कमाता है। यह सिलसिला सालों तक चलता रहता है। यही कंपाउंडिंग है। जब आप म्‍युचुअल फंड में निवेश का फैसला करते हैं और इसके बारे में जानकारी जुटाते हैं तो आपको पता चलता है कि बाजार में 30 से अधिक म्‍युचुअल फंड निवेश के लिए उपलब्‍ध हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आपका पहला म्‍युचुअल फंड कौन सा हो।

इक्विटी में है दम

आम तौर पर किसी के लिए भी पहला म्‍युचुअल फंड ऐसा होना चाहिए जो उसकी जरूरत को पूरा करता हो। उसके फीचर्स को समझना आसान हो। और आसानी से निवेश किया जा सके। तो एक शुरुआती निवेशक यानी आप के लिए टैक्‍स सेविंग फंड या अग्रेसिव हाइब्रिड फंड आपका पहला फंड हो सकता है। चूंकि आप म्‍युचुअल फंड में निवेश की शुरुआत कर रहे हैं ऐसे में बेहतर यह होगा कि आपका ज्‍यादा पैसा इक्विटी में लगे। इसकी एक खास वजह है। आपका इक्विटी में पहले से कोई निवेश नहीं है। नए निवेशक आम तौर पर पहले से बैंक एफडी, पीपीएफ और दूसरे तय आय वाले विकल्‍पों में निवेश करते हैं। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको इक्विटी फंडों में निवेश करना चाहिए। यहां आपको इक्विटी में निवेश के जोखिम से डरने की जरूरत नहीं है। इक्विटी में निवेश में तेज उतार चढ़ाव आता है लेकिन आप लंबी अवधि यानी 5 साल या इससे अधिक अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपके लिए इस उतार चढ़ाव का कोई मतलब नहीं है।

तो एक शुरुआती निवेशक के तौर पर आप दो तरह के फंड में से कोई भी फंड चुन सकते हैं। एक है टैक्‍स सेविंग फंड और दूसरा है अग्रेसिव हाइब्रिड फंड।

टैक्‍स सेविंग फंड

टैक्‍स सेविंग फंड को इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम्‍स यानी ईएलएसएस के नाम से भी जानते हें। यह इक्विटी फंड होता है। यानी आपका पूरा पैसा इक्विटी में लगता है। इस फंड में निवेश करके आप सेक्‍शन 80 सी के तहत टैक्‍स छूट भी हासिल कर सकते हैं। आप ईएलएसएस में सालाना 1.5 लाख रुपए तक निवेश करके टैक्‍स छूट हासिल कर सकते हैं। चूंकि यह इक्विटी फंड है। ऐसे में आपको लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। हालांकि इसके लिए इन फंडों में 3 साल तक की लॉकइन अवधि का प्रावधान है। यानी आप 3 साल से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको टैक्‍स छूट का फायदा नहीं मिलेगा। इन फंडों से अच्‍छे रिटर्न की वजह से आम तौर पर निवेशकों का अनुभव बेहतर रहा है। और फंड पर मिलने वाली टैक्‍स कुल रिटर्न को बढ़ा देती है।

अग्रेसिव हाइब्रिड फंड

अग्रेसिव हाइब्रिड फंड यानी ऐसा फंड जो इक्विटी और डेट में निवेश करता है। सेबी के निए नियमों के तहत अब अग्रेसिव हाइब्रिड फंड 65 फीसदी से 80 फीसदी तक इक्विटी में निवेश कर सकते हैं और बाकी पैसा डेट में लगा सकते हैं। इस अनुपात को बनाए रखने के लिए फंड मैनेजर समय समय पर रीबैलेंसिंग करता है। फंड मैनेजर तय अनुपात को बनाए रखने के लिए इक्विटी या डेट के भागों में खरीदारी या बिकवाली करता है। इसे रीबैलेसिंग कहते हैं। जैसे कि एक फंड मैनेजर अपने अग्रेसिव हाइब्रिड फंड में 70:30 का अनुपात रखना चाहता है और इक्विटी का अनुपात 75 हो जाता है और डेट का 25 रह जाता है तो वह 5 फीसदी इक्विटी बेच कर डेट में लगा देगा जिससे 70: 30 का अनुपात फिर से बन जाए। इसी तरह से अगर इक्विटी डेट का अनुपात 65:35 हो जाता है तो फंड मैनेजर 5 फीसदी डेट को बेच कर इक्विटी में लगा देगा और 70:30 का अनुपात फिर से जाएगा।

अग्रेसिव हाइब्रिड फंडों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये शुद्ध इक्विटी फंडों की तुलना में ज्‍यादा सुरक्षित हैं। जब बाजार चढ़ता है तो ये फंड तेजी से बढ़त बनाते हैं लेकिन जब बाजार गिरता है तो ये थोड़ा कम तेजी से गिरते हैं। इस तरह से ये फंड अच्‍छे समय में हुए फायदे को बचाए रख पाते हैं।

आपका पहले फंड का अनुभव ही इस बात का तय करेगा कि आप आगे कैसे निवेश करेंगे। ऐसे में आप पहले फंड को ज्‍यादा जटिल नहीं बनाना चाहेंगे। आप इक्विटी म्‍युचुअल फंड में निवेश करके चीजों को सरल बनाए रख सकते हैं। इससे आपका ऊंचा रिटर्न हासिल करने में मदद मिलेगी। अगर आप टैक्‍स बचाना चाहते हैं तो आपके लिए ईएलएसएस फंड है। एक आखिरी बात लंबी अवधि के बारे में सोचिए।


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