डेट फ़ंड में यील्ड-टू-मैच्योरिटी (YTM) और एवरेज-मैच्योरिटी क्या है, इसके अलावा, फ़ंड का मूल्यांकन करने के लिए निवेशक इसे कैसे इस्तेमाल करें? - धनक सब्सक्राइबर
यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM) और एवरेज मैच्योरिटी दोनों ही डेट फ़ंड्स (Debt funds) के मूल्यांकन के लिए अहम हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग उद्देश्य की पूरा करते हैं और फ़ंड के संभावित प्रदर्शन और रिस्क से जुड़ी ख़ास जानकारी देते हैं.
यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM)
YTM उस रिटर्न को दर्शाता है जब निवेशक किसी बॉन्ड को मैच्योर होने तक उसे अपने पोर्टफ़ोलियो में रखता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी डेट फ़ंड का YTM 8 फ़ीसदी है, तो ये आपके ख़र्च को एडजेस्ट करके, पोर्टफ़ोलियो में कोई बदलाव न होने पर मिलने वाले अनुमानित रिटर्न का अंदाज़ा देता है. हालांकि, मैनेजर द्वारा फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो में बदलाव, निवेशक का इंफ़्लो या आउट्फ़्लो और रोज़मर्रा के ख़र्च में कटौती की वजह से प्रभावी रिटर्न में कमी आने से असल रिटर्न अलग-अलग हो सकते हैं.
YTM मौजूदा पोर्टफ़ोलियो के मुताबिक़ डेट फ़ंड (Debt funds) से अनुमानित रिटर्न से अंदाज़ा लगाने के लिए एक मददगार गाइड है.
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एवरेज मैच्योरिटी
एवरेज मैच्योरिटी फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो में सभी बॉन्ड की मैच्योरिटी का वेटेड एवरेज है. उदाहरण के लिए, अगर किसी पोर्टफोलियो में दो बॉन्ड हैं - एक 10 साल में मैच्योर होने वाला और दूसरा 5 साल में, इक्वल वेट के साथ - तो एवरेज मैच्योरिटी 7.5 साल होगी. ये मीट्रिक फ़ंड की ओवरॉल ब्याज दर को दर्शाता है. बड़े एवरेज मैच्योरिटी वाले फ़ंड ब्याज दरों में बदलाव के प्रति ज़्यादा सेंसटिव होते हैं. वहीं, कम एवरेज मैच्योरिटी वाले फ़ंड कम सेंसटिव होते हैं, जिससे वो बढ़ते ब्याज के दौरान में ज़्यादा स्थिर हो जाते हैं.
इन मेट्रिक्स का इस्तेमाल कैसे करें?
- किसी फ़ंड द्वारा दिए जाने वाले संभावित रिटर्न को समझने के लिए YTM का इस्तेमाल करें.
- ब्याज दर में होने वाले बदलावों के प्रति फ़ंड की सेंसटिविटी का आकलन करने के लिए एवरेज मैच्योरिटी का इस्तेमाल करें. मैच्योरिटी जितनी ज़्यादा होगी, ब्याज दर में होने वाले बदलावों और बदले में उतार-चढ़ाव के प्रति उसकी सेंसटिविटी उतनी ही ज़्यादा होगी. अगर आप कम समय के लिए या बढ़ती ब्याज दर के दौर में निवेश कर रहे हैं, तो रिस्क कम करने के लिए कम एवरेज मैच्योरिटी वाले फ़ंड का विकल्प देखें. अगर आपके पास ज़्यादा समय है, तो बड़ी एवरेज मैच्योरिटी वाले फ़ंड गिरती ब्याज दर के दौरान बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
दोनों मीट्रिक्स मिलकर आपके निवेश का समय, रिस्क लेने की क्षमता और बाज़ार की स्थिति के मुताबिक़ बेहतर फ़ैसला लेने में आपकी मदद कर सकते हैं.
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