ज़ोमैटो बनाम स्विगी की बहस आपकी डाइनिंग टेबल से उठकर शेयर बाज़ार में पहुंच गई है. अब, जब दोनों एग्रीगेटरों की पब्लिक लिस्टिंग हो गई है, तो निवेशक एक बार फिर पशोपेश में हैं: ज़ोमैटो अच्छा है या स्विगी? इसी बड़े सवाल का जवाब यहां तलाशते हैं कि दोनों में से कौन सा फ़ूड डिलीवरी दिग्गज़, निवेशकों को पैसा और मुनाफ़े की ओर बेहतर तरीक़े से ले जा सकता है?
तो, देखते हैं कि दोनों एक दूसरे के मुक़ाबले में कैसे खड़े हैं. ध्यान दें, इस लेख का मक़सद दोनों में से किसी को निवेश विकल्प के तौर पर सुझाना नहीं, बल्कि उनके बिज़नस को तुलनात्मक नज़र से देखना है.
ज़ोमैटो और स्विगी में कौन ज़्यादा प्रॉफ़िट कमाता है?
हमसे पूछें, तो कोई भी नहीं. फ़ूड एग्रीगेटर लगातार घाटे में रहने के लिए जाने जाते हैं. ज़ोमैटो और स्विगी भी इसका अपवाद नहीं हैं. हालांकि, पिछले तीन साल में दोनों ने अपने घाटे को कम ज़रूर किया है. ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमॉर्टाइज़ेशन को छोड़कर, ज़ोमैटो का फ़ूड डिलीवरी बिज़नस FY24 में मुनाफ़े में रहा. स्विगी ने इन लागतों से पहले अपने घाटे को भी FY22 में ₹1,410 करोड़ से घटाकर FY24 में सिर्फ़ ₹47 करोड़ कर दिया.
रेवेन्यू के मामले में ज़ोमैटो सबसे आगे है, जिसने FY22 और FY24 के बीच 28 प्रतिशत सालाना बढ़ोतरी दर्ज की, जबकि स्विगी ने 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की. ज़ोमैटो एक बड़े यूजर बेस को भी आकर्षित करता है, इस अवधि में एवरेज मंथली यूज़र 15 मिलियन से बढ़कर 18 मिलियन हो गए, जबकि स्विगी के यूज़र 10 मिलियन से बढ़कर 13 मिलियन हो गए.
क्विक कॉमर्स को किसने भुनाया?
क्विक कॉमर्स एक तेज़ी से बढ़ने वाला सेगमेंट है और संभवतः इन डिलीवरी दिग्गजों के लिए एक बड़े युद्ध का मैदान. इस क्षेत्र में सफलता अक्सर डार्क स्टोर की संख्या पर निर्भर करती है. डार्क स्टोर यानि, वो डिलीवरी हब जो फ़ास्ट सर्विस देते हैं. FY25 की पहली तिमाही तक, ज़ोमैटो के पास 639 स्टोर हैं, जबकि स्विगी के पास 581 स्टोर हैं. हालांकि, स्विगी ने अपने IPO फ़ंड का 27 प्रतिशत या ₹1,179 करोड़ अपने डार्क स्टोर नेटवर्क को बढ़ाने के लिए एलोकेट किया है, इसलिए ये बढ़त थोड़े समय के लिए हो सकती है. हालांकि, ज़ोमैटो इस समय स्विगी के मुक़ाबले प्रति स्टोर लगभग दोगुना रेवेन्यू पैदा करता है, जो ₹2,301 करोड़ है.
ज़ोमैटो और स्विगी में कौन फ़ंड का बेहतर इस्तेमाल करता है?
दोनों कंपनियों को बहुत सारा कैश ख़र्च करने के लिए जाना जाता है, और दोनों के पास कैपिटल एलोकेशन में कोई मज़बूत ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है. दोनों के पास तेज़ी से विस्तार की उम्मीद में बिना मुनाफ़े वाले बिजनस ख़रीदने का इतिहास है. स्विगी ने घाटे वाले छह अधिग्रहण किए हैं, जिनमें सबसे हालिया LYNK लॉजिस्टिक्स है. इससे पहले, इसने डाइनआउट, किंट, स्कूट्सी और सुपर डेली का अधिग्रहण किया था.
ज़ोमैटो ने FY23 में ब्लिंकिट का अधिग्रहण ₹4,477 करोड़ में किया था एक हाई-प्रोफाइल अधिग्रहण था. ये एक ऐसा अधिग्रहण था जिसने अभी तक मुनाफ़े में कुछ नहीं जोड़ा है. इसके अलावा, इसने हाल ही में पेटीएम के घाटे में चल रहे टिकट बेचने वाले बिज़नस को ₹2,048 करोड़ में ख़रीदा है. जहां तक रणनीतिक निवेश की बात है, तो यहां इन दोनों में से कोई भी स्पष्ट विजेता नहीं है.
आख़िरी बात
ज़ोमैटो के यूज़र बेस और आमदनी ज़्यादा होने के कारण थोड़ी बढ़त की बात कही जा सकती है. हालांकि, दोनों कंपनियों ने अब तक लगातार मुनाफ़ा नहीं कमाया है, जिससे ये कहना मुश्किल है कि वे भविष्य में स्थिर और लंबी अवधि तक मुनाफ़ा बना पाएंगी. ये तुलना केवल जानकारी देने के लिए है; निवेशकों को इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या वे बिना मुनाफ़े वाली कंपनियों में निवेश करने के रिस्क को सहन कर सकते हैं या नहीं.
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