AI-generated image
अपनी पिछली स्टोरी में, हमने जनरल इंश्योरेंस बिज़नस के अनोखे बिज़नस मॉडल के बारे में बात की थी, जिसमें बताया गया कि वे कैसे पैसा कमाते हैं और उनके बड़े ख़र्च क्या हैं. अब हम उनके फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंट को समझने और उनका आकलन करने के तरीक़े को समझने की तरफ़ बढ़ते हैं.
कोई भी बिज़नस फ़ाइनांस के स्तर पर कैसा कर रहा है इसे तय करना तीन बातों के इर्द-गिर्द घूमता है: आमदनी, ख़र्च और मुनाफ़ा. जनरल इंश्योरेंस कंपनियां इन तीनों बातों को दो तरह से दिखाती हैं: रेवेन्यू स्टेटमेंट या राजस्व विवरण और प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट (P&L) या लाभ और हानि का विवरण, जिनमें से दोनों स्टेटमेंट अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करते हैं. आइए अब इनके सभी अहम फ़ैक्टर्स पर बात करते हैं.
रेवेन्यू स्टेटमेंट (पॉलिसीहोल्डर का स्टेटमेंट)
रेवेन्यू स्टेटमेंट या पॉलिसीहोल्डर का स्टेटमेंट एक जनरल इंश्योरेंस के मुख्य ऑपरेशन से मुनाफ़ा कमाने की क्षमता दिखाता है, जो अलग-अलग तरह के रिस्क के लिए बीमा कवरेज देता है. ये कंपनी द्वारा पेश की जाने वाली मोटर, स्वास्थ्य और संपत्ति बीमा जैसी हर तरह की बीमा पॉलिसी के मुताबिक़ प्रदर्शन को अलग-अलग दिखाता है.
इसके मुख्य हिस्से इस तरह हैं:
कमाया गया नेट प्रीमियम: ये बीमा कंपनी की आमदनी का पहला ज़रिया है. ये वो प्रीमियम होते हैं, जो रीइंश्योरेंस यानि जोख़िम का कुछ हिस्सा साझा करने के लिए किसी दूसरे बीमाकर्ता को भुगतान की गई फ़ीस को घटाने के बाद बचते हैं. नेट प्रीमियम में पॉलिसीहोल्डर्स से जमा किए गए कुल प्रीमियम शामिल होते हैं, जिसमें से रीइंश्योरर्स को भुगतान किए गए प्रीमियम से घटाया जाता है. इससे ये तय हो जाता है कि कंपनी केवल उन्हीं प्रीमियमों का हिसाब रखेगी जो वो सीधे-सीधे पाती है. उदाहरण के लिए, FY24 में, ICICI लोम्बार्ड के रेवेन्यू का क़रीब 85 प्रतिशत नेट प्रीमियम से आया था.
इन्वेस्टमेंट इनकम (पॉलिसीहोल्डर स्टेटमेंट): ज़्यादातर व्यवसायों के उलट, बीमा कंपनियां एडवांस में पैसा पाती हैं और दावे आने तक उन्हें अपने पास रखती हैं. इस होल्डिंग के दौरान, वे ब्याज, डिविडेंड, पूंजी में बढ़ोतरी या किराए से रिटर्न कमाने के लिए, पॉलिसीहोल्डर्स के फ़ंड को अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करती हैं. ये आमदनी कंपनियों को दावों और ऑपरेटिंग कॉस्ट की भरपाई में मदद करती है. हालांकि, चूंकि सभी फ़ंड्स का निवेश नहीं किया जा सकता है (जोख़िमों के लिए ज़रूरी रिज़र्व के कारण), इसलिए बीमाकर्ताओं को निवेश रिटर्न की इच्छा के साथ लिक्विडिटी की ज़रूरत को बैलेंस करना पड़ता है.
मौजूदा पॉलिसियों का रिस्क रिज़र्व: संभावित दावों को मैनेज करने के लिए, बीमाकर्ता अभी भी लागू पॉलिसियों के लिए इवैलुएट या तय किए गए जोख़िम और दावों के अनुमान के आधार पर रिज़र्व अलग रखते हैं. ये रिज़र्व बफ़र होते हैं जो ये पक्का करते हैं कि कंपनी भविष्य की ज़िम्मेदारियों को पूरा कर सकती है. इन रिज़र्व को एडजस्ट करने के लिए नेट प्रीमियम में शामिल किया जाता है और फ़ाइनेंशियल नोट्स में दर्ज किया जाता है.
किए गए दावे: किए गए दावे, जिसमें दोबारा रिन्यू कराए गए बीमे पर भुगतान किए गए दावे शामिल हैं, बीमाकर्ता के प्राथमिक ख़र्च का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये लागत पॉलिसीहोल्डर्स के दावों को निपटाने से पैदा होती है, जो बीमा बिज़नस का एक बुनियादी हिस्सा है.
कमीशन और ऑपरेटिंग ख़र्च: एजेंटों और दलालों को कमीशन का भुगतान किया जाता है जो डिस्ट्रीब्यूशन बढ़ाने के लिए अहम पॉलिसियां बेचने में मदद करते हैं. ऑपरेटिंग ख़र्च में कर्मचारी वेतन, यात्रा, प्रशिक्षण और कार्यालय किराया शामिल हैं, जो सामान्य प्रशासनिक लागतों को कवर करते हैं.
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट या लॉस
यह रेवेन्यू स्टेटमेंट की सबसे नीचे की लाइन है, जो बीमा कंपनी की मुख्य प्रॉफ़िटेबिलिटी की ओर संकेत करती है, यानि ये बताती है कि बीमाकर्ता अपनी अंडरराइटिंग - मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया, जोखिम का आकलन और पॉलिसियों का प्रबंधन - का कितनी अच्छी तरह से प्रबंधन कर रही है.
ICICI लोम्बार्ड का रेवेन्यू स्टेटमेंट
विवरण (करोड़ ₹) | फायर | मैरीन | मिश्रित | कुल |
---|---|---|---|---|
अर्जित प्रीमियम (नेट) | 615 | 523 | 15,729 | 16,866 |
निवेश से हुई आमदनी | ||||
निवेश की बिक्री/ रिडेम्शन पर प्रॉफ़िट | 20 | 8 | 530 | 558 |
निवेश की बिक्री/ रिडेम्शन पर लॉस | -2 | -1 | -63 | -67 |
ब्याज, डिविडेंड और रेंट | 84 | 31 | 2,170 | 2,285 |
अन्य आय | 64 | 0 | 46 | 110 |
कुल (A) | 780 | 560 | 18,412 | 19,752 |
प्राप्त क्लेम | 383 | 383 | 11,173 | 11,939 |
कमीशन | -218 | 86 | 3,221 | 3,089 |
इंश्योरेंस बिज़नस से जुड़ ऑपरेटिंग ख़र्च | 112 | 63 | 2,643 | 2,818 |
कुल (B) | 277 | 532 | 17,037 | 17,846 |
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट/ लॉस(A - B) | 504 | 27 | 1,375 | 1,906 |
FY24 तक का डेटा
मिश्रित में स्वास्थ्य और मोटर जैसी इंश्योरेंस कैटेगरी शामिल हैं |
ये भी पढ़िए- क्या गारंटी से रिटर्न देने वाले इंश्योरेंस प्लान लेना सही है?
प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट
ये रेवेन्यू स्टेटमेंट की आख़िरी लाइन है, जो बीमाकर्ता की मुख्य अंडरराइटिंग मुनाफ़े की क्षमता दिखाती है, यानि ये दिखाती है कि बीमाकर्ता अपनी अंडरराइटिंग - मूल्य तय करने की प्रक्रिया, रिस्क का पता लगाना, और पॉलिसियों का प्रबंधन - कितनी अच्छी तरह से किया जा रहा है.
ICICI लोम्बार्ड का प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट
विवरण (करोड़ ₹) | FY24 |
---|---|
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट / लॉस | |
फायर इंश्योरेंस | 504 |
मैरीन इंश्योरेंस | 27 |
मिश्रित इंश्योरेंस | 1,375 |
निवेश से हुई आमदनी | |
ब्याज, डिविडेंड और रेंट | 694 |
निवेश की बिक्री/ रिडेम्शन पर प्रॉफ़िट | 171 |
निवेश की बिक्री/ रिडेम्शन पर लॉस | -20 |
अन्य आय | 5 |
कुल (A) | 2,756 |
प्रोविजंस (टैक्सेशन के अलावा) | 57 |
दूसरे ख़र्च | 144 |
कुल (B) | 201 |
प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स (A - B) | 2,555 |
टैक्स | 637 |
प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स | 1,918 |
प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट (P&L) कंपनी की मुनाफ़ा कमाने की कुल क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए मुख्य बीमा संचालन से परे की बात है.
इसकी मुख्य हिस्से इस तरह से हैं:
अंडरराइटिंग से ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट: P&L स्टेटमेंट आग, समुद्री और स्वास्थ्य जैसे हरेक कैटेगरी के बीमा से हुए ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट या लॉस (रेवेन्यू स्टेटमेंट से लिया गया) से शुरू होती है.
इन्वेस्टमेंट इनकम (शेयरहोल्डर फ़ंड): अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश से मिली ये आमदनी, कंपनी के शेयरहोल्डर या सरप्लस फ़ंड का इस्तेमाल करती है और रेवेन्यू स्टेटमेंट में रिपोर्ट की गई निवेश की आमदनी से अलग होती है जो पॉलिसीहोल्डर फ़ंड्स का इस्तेमाल करती है.
अन्य आय: ऑपरेटिंग इनकम से परे की आमदनी, जैसे - अचल संपत्तियों को बेचने से मिला मुनाफ़ा या टैक्स रिफ़ंड पर ब्याज, यहां दिखाया जाता है, हालांकि आमतौर पर ये उतना महत्वपूर्ण नहीं होता.
प्रॉविज़न और एडजस्टमेंट: निवेश मूल्य में गिरावट, ख़राब क़र्ज़ या रेग्युलेटरी कंप्लायंस और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सेबिलिटी (CSR) से जुड़ी लागतों जैसे फ़ैक्टर (टैक्स के अलावा) के लिए अलग रखे गए प्रावधान होते हैं. ये प्रावधान अचानक होने वाले नुक़सान और संभावित राइट-डाउन के ख़िलाफ़ एक बफ़र बनाते हैं.
टैक्स के बाद का मुनाफ़ा: ये कुल आमदनी से टैक्स सहित सभी ख़र्चों को घटाने के बाद आख़िरी मुनाफ़े का आंकड़ा है. ये मापता है कि बीमाकर्ता प्रीमियम से जमा धन (जिसे फ़्लोट कहते हैं) को कितने असरदार ढंग से संभालता है, दावों और ख़र्चों को मैनेज करता है, और शेयरहोल्डरों को फ़ायदा पहुंचाता है.
ध्यान दें कि बीमा इंडस्ट्री में, जहां कैश-फ़्लो इनपुट और आउटपुट दोनों है (जैसे बैंकिंग में), नेट प्रॉफ़िट को दिखाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीक़ा है.
प्रॉफ़िटेबिलिटी को समझना
जनरल इंश्योरेंस में प्रॉफ़िटेबिलिटी या लाभप्रदता सीधी-सीधी नहीं होती, क्योंकि ये अंडरराइटिंग और निवेश की आमदनी, दोनों पर निर्भर होती है. नुक़सान के अनुपात (कमाए गए प्रीमियम के मुक़ाबले भुगतान किए गए दावे), एक्सपेंस रेशियो (प्रीमियम के मुक़ाबले ऑपरेटिंग कॉस्ट) और कंबाइंड रेशियो या संयुक्त अनुपात (हानि अनुपात + व्यय अनुपात) जैसे प्रमुख रेशियो बीमाकर्ता के मुख्य संचालन के असर का पता लगाने में मदद करते हैं.
100 प्रतिशत से कम कंबाइंड रेशियो अंडरराइटिंग मुनाफ़े की क्षमता दिखाते हैं, जिसका मतलब है कि कंपनी दावों में भुगतान की तुलना में प्रीमियम से ज़्यादा कमा रही है, जबकि हाई रेशियो अंडरराइटिंग चुनौतियों की तरफ़ इशारा करता है.
ध्यान दें कि कंबाइंड रेशियो में केवल मिलने वाले प्रीमियम पर विचार किया जाता है, निवेश की आमदनी पर नहीं. इससे कंपनियों को ये देखने की सहूलियत मिलती है कि वे अपने बीमा के ऑपरेशन से कितना कमा रही हैं.
निष्कर्ष
अब आप समझ गए होंगे कि जनरल इंश्योरेंस बिज़नस से जुड़ी कंपनियां अपने फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंट में अपने अलग-अलग आमदनी के ज़रिए और ख़र्चों को कैसे रखती हैं.
ये भी पढ़िए - मार्केट चढ़े या गिरे आप हमेशा पैसे बनाएं