अगर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) किसी कंपनी पर कार्रवाई करता है, तो पक्का है कि मार्केट भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देगा. मणप्पुरम फ़ाइनेंस इसकी ताज़ा मिसाल है. RBI ने इसकी नॉन-लिस्टिड सब्सिडरी आशीर्वाद माइक्रो फ़ाइनेंस पर कार्रवाई की, जिससे कंपनी के शेयरों में भगदड़ मच गई, जो 17 अक्टूबर 2024 को रेगुलेटरी कार्रवाई के बाद तीन दिन के भीतर 22 फ़ीसदी गिर गया.
RBI ने आशीर्वाद को नए लोन देने से रोक दिया है, क्योंकि इसका वेटेड एवरेज लेडिंग रेट (Weighted Average Lending Rate) और कॉस्ट ऑफ़ फ़ंड पर ब्याज का फैलाव ज़्यादा पाया गया है. मतलब ये हुआ कि मणप्पुरम की लोन बुक का एक-चौथाई और इसके नेट प्रॉफ़िट का 28 फ़ीसदी, जो सीधा आशीर्वाद से जुड़ा है, अब रिस्क में है. इसलिए, कार्रवाई को लेकर मार्केट की कड़ी प्रतिक्रिया देखी गई है.
RBI ने कार्रवाई क्यों की
RBI ने FY24 के लिए आशीर्वाद के नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में असामान्य बढ़ोतरी पाई, जो 17 फ़ीसदी पर पहुंच गई थी. ये मार्जिन एक माइक्रो फ़ाइनांस करने वाली कंपनी के लिए बहुत ज़्यादा माना जाता है और इसलिए, शोषण करने वाली लोन पॉलिसी दिखाता है. तुलनात्मक रूप से, इसके प्रतिस्पर्धियों ने लगभग 12 फ़ीसदी का एवरेज नेट इंटरेस्ट मार्जिन बनाए रखा है.
माइक्रोफ़ाइनांस कंपनियों के NIM की तुलना
% में
कंपनी | FY22 | FY23 | FY24 |
---|---|---|---|
आशीर्वाद माइक्रो फ़ाइनांस* | 9.6 | 10.7 | 17.0 |
क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण | 9.7 | 11.5 | 13.0 |
IIFL समस्त फ़ाइनेंस | 10.9 | 12.4 | 11.5 |
फ्यूज़न माइक्रो फ़ाइनेंस | 8.6 | 11.5 | 11.2 |
*आशीर्वाद के FY22-23 के NIM इसके DRHP से लिए गए हैं |
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क्या मणप्पुरम इस कार्रवाई के असर को झेल पाएगा?
चूंकि माइक्रो फ़ाइनेंस पोर्टफ़ोलियो इसकी लोन बुक का एक चौथाई है, इसलिए कंपनी की कुल कमाई पर असर पड़ने वाला है. अगर आशीर्वाद RBI की चिंताओं को कम करने के लिए अपने लोन की क़ीमत फिर से तय करता है, तो इसके नेट इंटरेस्ट मार्जिन कम होने की संभावना है. हालांकि, मणप्पुरम अपने बाक़ी दूसरे छोटे कामों पर फ़ोकस करके धीरे-धीरे इस असर को कम कर सकती है. इसकी बुक में गोल्ड लोन का हिस्सा 50 फ़ीसदी है और बाक़ी का हिस्सा हाउसिंग फ़ाइनांस, व्हीकल फ़ाइनांस, MSME और पर्सनल लोन सेगमेंट का है.
पिछले पांच साल से इसका गोल्ड लोन मामूली रूप से सालाना 4 फ़ीसदी बढ़ रहा है, लेकिन MSME और पर्सनल लोन सेगमेंट में इसी अवधि में हर साल 83 फ़ीसदी की विस्फोटक बढ़ोतरी देखी गई है.
इन हाई-ग्रोथ सेगमेंट पर ज़्यादा फ़ोकस करके, जिनका इसकी लोन बुक में कम योगदान है, संकट से उबरा जा सकता है.
निष्कर्ष
रेगुलेटरी अड़चनें, फ़ाइनेंशियल सर्विस इंडस्ट्री का एक अहम हिस्सा हैं, लेकिन ज़रूरी नहीं कि ये अड़चने 'मौत की सजा' ही हों. इससे पहले, IIFL फ़ाइनेंस और JM फ़ाइनेंशियल जैसी कंपनियों ने ये दिखाया है कि रेगुलेटरी कमियों को दूर करके और सुधार करके ऑपरेशन को वापस पटरी पर लाया जा सकता है. ऐसा ही आशीर्वाद को भी करना चाहिए.
इसके अलावा, मणप्पुरम फ़ाइनेंस अपने आप में मज़बूत बुनियाद वाला बिज़नस है, जिसका 10 साल का एवरेज रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 18 फ़ीसदी और रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) 4 फ़ीसदी है. आशीर्वाद पर लगी पाबंधी कुछ तिमाहियों के लिए ख़राब ज़रूर है, पर इसका असर मणप्पुरम की लॉन्ग-टर्म ग्रोथ संभावनाओं पर नहीं पड़ेगा. कंपनी के दूसरे लोन वर्टिकल के तेज़ी से बढ़ने से इस क़र्ज़ देने वाली कंपनी के लिए एक अच्छा फ़ाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड बनाने में मदद मिल सकती है.
सस्ते में मिल रहा मणप्पुरम का शेयर!
कंपनी | 5Y एवरेज ROA (%) | 5Y एवरेज P/B |
---|---|---|
मणप्पुरम फ़ाइनेंस | 5.2 | 1.5 |
क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण | 2.7 | 3.4 |
मुथूट फ़ाइनेंस | 5.1 | 2.8 |
श्रीराम फ़ाइनेंस | 2.3 | 1.5 |
ROA: रिटर्न ऑन एसेट्स |
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डिस्क्लेमर: ये कोई स्टॉक निवेश का सुझाव नहीं है. कोई भी फ़ैसला लेने से पहले निवेशक को अपनी ख़ुद की रिसर्च करनी चाहिए.
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