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बंधन बैंक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है. 2018 के IPO के बाद के ₹742 के सबसे उंचे स्तर पर पहुंचने के बाद से इसने अपने शेयरधारकों की बड़ी संपत्ति को ख़त्म कर दिया है. पिछले पांच सालों में बैंक के शेयर की क़ीमत में सालाना 20 फ़ीसदी की गिरावट आई है, और ऐसा शेयर बाज़ार की तेज़ी के बावजूद हुआ है. जियोग्रफ़िकल कंसंट्रेशन की वजह कोविड-19 संकट के दौरान इसका कुल NPA (नॉन प्रफॉर्मिंग एसेट्स) भी 10 फ़ीसदी तक बढ़ गया.
लेकिन हाल ही में शेयर में एक दिन में 12 फ़ीसदी की उछाल ने निवेशकों की दिलचस्पी जगाई है. इस उछाल ती दो ख़ास वजह रहीं:
नया नेतृत्व: बंधन बैंक के संस्थापक, चंद्र शेखर घोष, जो बतौर MD और CEO के तौर पर काम कर रहे थे, इस साल जुलाई में रिटायर हो गए. 10 अक्टूबर, 2024 को पार्थ सेनगुप्ता को नए MD और CEO के रूप में नियुक्त होने के साथ ही नेतृत्व की ये कमी पूरी हो गई. ग़ौर करने वाली बात है कि इस ऐलान के अगले ही दिन शेयर में उछाल आया.
ये नियुक्ति पॉज़िटिव ख़बर है क्योंकि नए CEO के पास पश्चिम बंगाल में अच्छा तजुर्बा है, जो बंधन का मुख्य परिचालन सेक्टर है. सेनगुप्ता के बैंकिंग इंडस्ट्री में चार दशक से ज़्यादा के तजुर्बे से बैंक को उनके अनुभव का फ़ायदा मिलेगा.
ऑडिट का अच्छा नतीजा: CEO की घोषणा के उसी दिन, बंधन बैंक को नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) से अनुकूल नतीजा मिला. फ़ॉरेन्सिक ऑडिट के बाद, बैंक को कोविड के दौरान ख़राब क़र्ज़ की अदायगी के तौर पर ₹310 करोड़ मिलने वाले हैं.
अब सवाल है कि इन सकारात्मक घटनाओं के साथ, क्या बंधन बैंक वापसी के लिए तैयार है?
राह के रोड़े क्या हैं?
कई चुनौतियां हैं जो बैंक की रिकवरी या वापसी में बाधा बन सकती हैं:
मुनाफ़े की कमी: बंधन बैंक के प्रॉफ़िट मार्जिन पर दबाव बना हुआ है. लोन के हर ₹100 के लिए, बैंक को नेट इनटरस्ट इनकम (NIN) में ₹7.3 मिलते हैं. इसमें से ₹3.8 ऑपरेटिंग के ख़र्च में चले जाते हैं, और ₹3.4 लोन के प्रावधानों के लिए अलग रखे जाते हैं.
इतने कम मार्जिन के साथ, बैंक अपनी एसेट मैनेजमेंट और इंश्योरेंस बिज़नस से होने वाली दूसरी आमदनी पर बहुत ज़्यादा निर्भर है. हालांकि, पिछले कुछ साल में इस आमदनी स्रोतों में भी उतार-चढ़ाव आया है.
अतिरिक्त पूंजी की कमी: बंधन बैंक रिस्क भरे माइक्रोफ़ाइनेंस सेक्टर में काम करता है, जिसमें लोन की लागत ज़्यादा होती है. इसके पास पूंजी की पर्याप्तता रेशियो 15 फ़ीसदी है, जो कि 17-18 फ़ीसदी के रेशियो के साथ काम करने वाले ज़्यादातर बड़े बैंकों (जिनकी क्रेडिट की लागत बहुत कम है) से कम है. लोन बुक पर कोई और दबाव इसके पूंजी भंडार को कम कर सकता है और इसके मुनाफ़े को रिस्क में डाल सकता है.
एक जैसे मूल्यांकन पर प्रतिद्वंदी बेहतर दिखते हैं: बंधन 1.4 के प्राइस-टू-बुक (P/B) रेशियो पर, इंडसइंड, फ़ेडरल और करूर वैश्य जैसे बैंकों के समान मूल्यांकन पर कारोबार करता है, जिनमें से ये सभी बैंक मज़बूत फ़ंडामेंटल और लगातार मिलने वाली आमदनी प्रदर्शन करते हैं.
निवेशक के लिए
बंधन बैंक ने सुरक्षित और विविधतापूर्ण लोन बुक बनाने की योजना बनाई है, लेकिन रिकवरी का रास्ता अभी भी साफ़ नहीं है. हाल ही में हुए सकारात्मक घटनाक्रम उन मुद्दों को संबोधित नहीं करते हैं, जिन्होंने सालों से बैंक के प्रदर्शन को बाधित किया है. इसके अलावा, एक दिन की उछाल के बाद शेयर ने अपनी गति खो दी है.
इसलिए, सिर्फ़ हाल की घटनाओं के आधार पर बैंक पर दांव लगाना समय से पहले की बात होगी. निवेशकों को अगली कुछ तिमाहियों में बैंक की प्रगति पर बारीक़ी से नज़र रखनी चाहिए ताकि ये तय किया जा सके कि क्या ये लोन की क्वॉलिटी में सुधार कर सकता है और आमदनी को स्थिर कर सकता है.
डिस्क्लेमर: ये स्टॉक की सिफ़ारिश नहीं है. कोई भी निवेश के फैसले लेने से पहले सही तरह से जांच करना चाहिए.
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