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5 SME जो बड़े बिज़नस बन गए

SME एक्सचेंज से लेकर मुख्य एक्सचेंज में लिस्ट होने तक ये छोटे और मझोले व्यवसाय क्या आपकी दिलचस्पी बनाए रख सकेंगे?

5 दमदार SME स्टॉक्स जो दिला सकते हैं तगड़ा रिटर्नAI-generated image

छोटी कंपनियों या SME स्टॉक एक्सचेंज पर डेब्यू पर मचने वाली हलचल को नज़रअंदाज करना बेहद मुश्किल है. एक समय, पैसे वालों के खेल का मैदान रहे SME एक्सचेंज में, इस साल अब तक के IPOs में ₹5,900 करोड़ का शानदार निवेश हो चुका है. इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात है कि पिछले साल के क़रीब 46 फ़ीसदी SME IPOs को 100 गुना से ज़्यादा सब्सक्राइब किया गया था! जैसे पतंगे बल्ब की तरफ़ खिंचे चले आते हैं, उसी तरह निवेशक इन शेयरों की ओर आकर्षित होते हैं क्योंकि बाज़ार में इनके उतरने पर भारी मुनाफ़े की उम्मीद होती है.

लेकिन हमें सिर्फ़ नंबरों पर ध्यान नहीं देना चाहिए; इन कंपनियों में से कई बहुत कम फ़ाइनेंशियल जानकारियां देती हैं. इनके बिज़नस की मात्रा बहुत कम होती है और लॉट साइज़ बड़ा होने के साथ, लिक्विडिटी भी गहरी चिंता का कारण हो सकती है.

ये कहा जा सकता है कि कुछ SME ने असल में अपनी पहचान बनाई है. अक्टूबर 2024 तक, 325 कंपनियां कामायाबी के साथ SME एक्सचेंज से स्टॉक मार्केट के मुख्य बोर्ड एक्सचेंज (NSE और BSE) पर चली गई हैं. ये ट्रांज़िशन न सिर्फ़ लॉट-साइज़ की ज़रूरत ख़त्म करता है, बल्कि लिक्विडिटी को भी बढ़ाता है और सख़्त रेग्युलेटरी रूल्स के वजह से फ़ाइनेंस को लेकर पारदर्शिता बढ़ाता है. इस लेख में, हम पिछले दो साल में मुख्य बोर्ड एक्सचेंज में जाने वाली पांच SME कंपनियों के कुछ मुख्य पहलुओं पर बात करेंगे.

जेनसोल इंजीनियरिंग

जेनसोल इंजीनियरिंग रिन्यूएबल एनर्जी या नवीकरणीय ऊर्जा के सेक्टर में क़दम बढ़ा रही है. ये सौर EPC (इंजीनियरिंग, ख़रीद, निर्माण) कंपनी EV सेक्टर में भी शामिल हो गई है, जहां ये लीज़िंग और निर्माण सर्विस देती है. इसके प्रमोटर्स—अनमोल सिंह जग्गी और पुणीत सिंह जग्गी—EV मोबिलिटी कंपनी ब्लू स्मार्ट में अहम हिस्सेदारी रखते हैं, जिससे उनके EV बिज़नस में ग्रोथ के लिए दरवाज़े खुलते हैं.

कंपनी की बिक्री FY19 से FY24 तक 63 फ़ीसद बढ़ गई है. फिर भी, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए. प्रमोटर की हिस्सेदारी में उतार-चढ़ाव, शेयरों का गिरवी रखना और बढ़ते क़र्ज़ के स्तर संभावित चेतावनी संकेत हैं. इसका डेट-टू-इक्विटी रेशियो FY21 में 0.5 से नीचे से बढ़कर FY24 में 5 गुना से ज़्यादा हो गया है. हालांकि, वर्तमान में स्टॉक 57.3 के P/E (प्राइस-टू-अर्निंग्स) रेशियो पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले पांच सालों के मीडियन 68.8 से कम है.

थेजो इंजीनियरिंग

थेजो इंजीनियरिंग इंडस्ट्री को चलाए रखती है. ये कंपनी कन्वेयर बेल्ट बनाती है और ऑन-साइट रखरखाव की सर्विस देती है. इसके अलावा, ये लोहे को जंग से बचाने वाले रसायनों का उत्पादन करती है, जो रासायनिक से लेकर खनन तक बहुत से सेक्टर में का आता है. वैश्विक उपस्थिति के साथ, इसका निर्यात FY24 के रेवेन्यू का 13 फ़ीसदी हैं.

हालांकि कंपनी के क़र्ज़ के स्तर प्रबंधनीय हैं और इसका कैश फ़्लो मज़बूत है, फिर भी इसके हाई (156 दिन) कैश कन्वर्ज़न साइकल को लेकर सतर्क रहना चाहिए. इसके अलावा, कंपनी 55 के P/E पर कारोबार कर रही है, जो इसके पिछले पांच सालों के मीडियन P/E 33.3 से काफी ज़्यादा है.

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स्काई गोल्ड

स्काई गोल्ड आभूषण की चमकदार दुनिया में एक B2B पावरहाउस के तौर पर चमकता है. ये कल्याण ज्वेलर्स, मलाबार और सेंको जैसे रिटेल दिग्गजों के लिए सोने के सहायक उपकरण का डिज़ाइन और उत्पादन करता है.

पिछले कुछ साल में, स्काई गोल्ड ने रिटेल सेक्टर में क़दम रखा है और अपना ख़ुद का ब्रांड बनाया है. इसके नतीजे में , मार्जिन बढ़ने लगे हैं. FY19-24 के दौरान बिक्री की सालाना बढ़ोतरी दर 19 फ़ीसदी है, और कंपनी अपने शेयरधारकों को डिवडेंट भी देती है. लेकिन ध्यान से देखिए. पिछले कुछ क्वार्टर में प्रमोटर की हिस्सेदारी कम हो रही है. वर्तमान में P/E 85 पर है.

वंडर इलेक्ट्रिकल्स

वंडर इलेक्ट्रिकल्स का मक़सद भारत को ठंडा रखना है. ये कंपनी छत के पंखें और एग्ज़ॉस्ट फ़ैन बनाती है और हाल ही में केतलियों और हीटरों में डाइवर्सिफ़ाई किया है. भारत की सबसे बड़ी पंखा निर्माण सुविधाओं में से एक के साथ, ये आवासीय सेक्टर के उभार का फ़ायदा उठाने के लिए तैयार है.

सिरका पेंट्स

सिरका पेंट्स पेंट और लकड़ी कोटिंग सेक्टर में अपनी पहचान बना रही है.कंपनी की ग्रोथ शानदार रही है, FY19-24 के दौरान रिवेन्यू और प्रोफ़िट आफ्टर टैक्स क्रमशः 311 फ़ीसदी और 51 फ़ीसदी बढ़ा है. फ़ाइनेंशियल मेट्रिक्स भी प्रभावित करते हैं. ROE (इक्विटी पर रिटर्न) 25 फ़ीसदी से ऊपर है, जबकि 37 का PE बड़े प्रतिस्पर्धियों की मुक़ाबले में आकर्षक लगता है.

हालांकि, पेंट इंडस्ट्री में बढ़ते मुक़ाबले को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता. बिरला, JSW और पिडिलाइट जैसे खिलाड़ियों का आना प्राइस वॉर शुरू कर सकता है. हालांकि, सिरका का 20 प्रतिशत EBIT (ब्याज और टैक्स से पहले की आमदनी) मार्जिन कुछ राहत देता है, जो प्राइस में की लड़ाई छिड़ने पर अहम साबित हो सकता है.

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