कंपाउंडिंग की ताक़त
कंपाउंडिंग को लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि ये "दुनिया का आठवां अजूबा" है. इसमें आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न ख़ुद अपना रिटर्न पैदा करता है. यानी, अगर आप 10% की सालाना ब्याज दर पर ₹1,00,000 निवेश करते हैं, तो पहले साल ₹10,000 बढ़ेंगे. अगर ये बढ़ा हुआ पैसा भी निवेश में रहता है, तो दूसरे साल ₹1,10,000 पर ब्याज मिलेगा, और ये आपका रिटर्न ₹11,000 कर देगा.
कंपाउंडिंग का 8-4-3 रूल क्या है?
ये रूल एक दिखाता है कि कैसे लगातार निवेश करने और अच्छे रिटर्न से आपके पैसे निवेश के किस साल में कितनी तेज़ी से बढ़ सकते हैं. इस रूल के मुताबिक़, एक निवेश के बढ़ने की तीन स्टेज होती हैं:
- शुरुआती 1-8 साल की ग्रोथ: निवेश पहले आठ साल में 12% की सालाना औसत के रिटर्न पर बढ़ता है.
- बीच के 9-12 साल की तेज़ ग्रोथ: आठ साल के बाद के चार साल में, आपका पैसा दोगुना हो जाता है, कंपाउंडिंग की ताक़त से पहले आठ साल की बढ़ोतरी के साथ मिल कर लगातार और तेज़ी से बढ़ता है.
- बाद के 13-15 साल की ज़बरदस्त ग्रोथ: आख़िरी के तीन साल में आपका पैसा फिर से 100 फ़ीसदी बढ़ जाता है.
तो ये रूल बताता है कि कैसे लंबे समय के निवेश में कंपाउंडिंग की ताक़त समय के साथ निवेश को ज़बरदस्त तरीक़े से बढ़ा सकती है.
एक उदाहरण से समझिए
आइए, 10 हजार की SIP के एक उदाहरण से समझते हैं. अगर इस SIP पर 12 फ़ीसदी रिटर्न मिले तो...
- 8 साल में तैयार हुई कुल वेल्थ - ₹15,70,240
- 9-12 साल में तैयार कुल वेल्थ - ₹30,80,956
- 13-15 साल में तैयार कुल वेल्थ - ₹47,59,314
इस प्रकार 8 साल में जमा हुआ कुल पैसा बाद के चार साल में लगभग दोगुना हो गया और उसके बाद के 3 साल यानी 9-12 साल के दौरान ये पैसा लगभग तीन गुना हो गया.
कंपाउंडिंग के 8-4-3 रूल के फ़ायदे क्या हैं?
- ट्रैक पर रहें: ये रूल मार्केट की परवाह किए बिना आपको अपने निवेश प्लान पर पक्का रहने की बात कहता है. इसमें लंबे समय के फ़ाइनेंशियल गोल पर ध्यान बनाए रखा जाना चाहिए. ये आपको अपने निवेश में बड़ी ग्रोथ और शानदार रिटर्न मिलने की संभावना काफ़ी बढ़ा देता है.
- महंगाई दर को मात: ये रूल महंगाई दर के खिलाफ़ ढाल का काम करता है. सालाना 12% का रिटर्न, महंगाई दर को पछ़ाड़ सकता है. इससे ये पक्का हो जाता कि लंबे समय में आपके निवेश की वैल्यू बढ़ती रहे.
- मार्केट के मुताबिक़ बदलाव: इस रूल में आपको अपने पोर्टफ़ोलियो का समय समय पर आकलन करना चाहिए. ताकि, आप बाज़ार के बदलावों के मुताबिक़ अपने निवेश को ढाल सकें. इसमें आप मौक़ों का फ़ायदा उठाते हैं, ताकि आपका निवेश मार्केट के रुझान के मुताबिक़ रहे और संभावित नुक़सान कम हो सके.
ये भी पढ़िए - SIP निवेश रिबैलेंस करने के फ़ायदे क्या हैं?
ज़्यादा-से-ज़्यादा रिटर्न पाने की स्ट्रैटजी क्या है?
रूल 8-4-3 और कंपाउंडिंग के जादू का पूरा फ़ायदा लेने के लिए, इन फ़ैक्टर्स पर विचार करें:
- शुरुआत जल्दी करें: जल्दी शुरू करेंगे तो आपके निवेश को ज़्यादा समय मिलेगा और कंपाउंडिंग की ताक़त भी बढ़ेगी. इसके साथ-साथ कंपाउंडिंग का फ़ायदा देने वाले निवेश चुनें जैसे कि प्योर इक्विटी या हाइब्रिड म्यूचुअल फ़ंड्स.
- लंबे समय का निवेश: कंपाउंडिंग में पूंजी बनाने की असली स्पीड 10वें साल के बाद तेज़ी पकड़ती है. इसलिए एक दशक तक अपने निवेश में बने रहकर आप कंपाउंडिंग की ताक़त का पूरा फ़ायदा ले सकते हैं. इस दौरान लंबे समय के अपने गोल पर ही ध्यान दें और अक्सर आने वाले उतार-चढ़ावों को नज़रअंदाज़ करें.
- आमदनी बढ़े तो निवेश भी बढ़े: जब भी आपकी आमदनी बढ़े, तो अपने निवेश को बढ़ाने की कोशिश करें. इससे कंपाउंडिंग और ज़्यादा ताक़त पाएगी. डिविडेंड या मुनाफ़े को निवेश से बाहर निकालने से बचना चाहिए क्योंकि मुनाफ़ा जो निवेश में लगा रहता है वही आपके निवेश को ताक़त देता है.
तो बेहतर निवेश के लिए क्या करें आप?
बस, लंबे समय के निवेश के लिए एक सोची-समझी रणनीति से कंपाउंडिंग के 8-4-3 वाले रूल को फ़ॉलो कीजिए, इससे आप अपने लिए बड़ी वेल्थ तैयार कर सकते हैं.
कंपाउंडिंग का ये रूल आपके निवेश को मज़बूती देता है और अगर आप इस रास्ते पर बने रहे तो आपको आर्थिक तौर पर सफल बनने में मदद करेगा.
ये भी पढ़िए - इन्वेस्टिंग के मैकेनिकल रूल