फंड वायर

आर्बिट्राज फ़ंड बनाम लिक्विड फ़ंड: शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट कहां करेंगे आप?

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलावों के बाद दो शॉर्ट-टर्म निवेशों में बेहतर कौन

Arbitrage Funds vs Liquid Funds: कौन सा फ़ंड है बेहतर?AI-generated image

अगर राजनीति में एक हफ़्ता लंबा समय होता है, तो निवेश में एक महीना अनंत काल हो सकता है. आर्बिट्राज फ़ंड से पूछिए, जो अप्रैल 2023 से जुलाई 2024 के बीच सातवें आसमान पर थे. हक़ीक़त में, उन्हें इस जुलाई में ₹11,000 करोड़ से ज़्यादा मिले, लेकिन अगले ही महीने अगस्त में क़रीब ₹2,300 करोड़ पा कर वे धरातल पर आ गए.

क्यों? क्योंकि इस दौरान शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स का रेट बढ़ा दिया गया था. अब, अगर आप एक साल के अंदर आर्बिट्राज फ़ंड से पैसे निकालते हैं, तो आप पर 15 फ़ीसदी की जगह 20 फ़ीसदी की दर से टैक्स लगेगा.

नतीजा, लिक्विड फ़ंड एक मज़बूत विकल्प के तौर पर उभरे हैं, ख़ासकर उन लोगों के लिए जो कम समय (एक हफ़्ते से एक साल) के लिए निवेश करना चाहते हैं. तो, आइए नंबरों पर नज़र डालें और देखें कि कौन सा विकल्प बेहतर है.

अगर आप एक साल से कम वक़्त के लिए निवेश कर रहे हैं

  • अगर आप 20 फ़ीसदी या उससे कम के टैक्स ब्रैकेट में हैं: लिक्विड फ़ंड संभवतः आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं (नीचे रिटर्न टेबल देखें).
  • अगर आप 30 फ़ीसदी टैक्स ब्रैकेट में हैं: आर्बिट्राज फ़ंड अभी भी टैक्स के बाद बेहतर रिटर्न देते हैं.
  • क्या समझना ज़रूरी है: लिक्विड फ़ंड ने टैक्स से पहले रिटर्न के मामले में ज़्यादा स्थिरता दिखाई है. 2014 से दैनिक एक साल के रोलिंग रिटर्न के आधार पर वे आर्बिट्राज फ़ंड से 56.1 फ़ीसदी ज़्यादा बार आगे रहे.

अगर आप एक महीने या उससे कम वक़्त के लिए निवेश कर रहे हैं

  • आर्बिट्राज फ़ंड और लिक्विड फ़ंड आमतौर पर इतने ही कम समय में एक जैसा टैक्स से पहले का रिटर्न देते हैं.
  • हालांकि, इक्विटी, डेट और यहां तक ​​कि डेरिवेटिव्स में निवेश की वजह से ये फंड बहुत कम समय में काफ़ी अस्थिर हो सकते हैं.
  • हालांकि, लंबे वक़्त में ये स्थिर हो जाते हैं. इसलिए, अगर आप कुछ हफ़्तों के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आर्बिट्राज फ़ंड चुनने से पहले अपनी रिस्क उठाने की क्षमता पर विचार कर लें.

ख़र्च कहां ज़्यादा है, पैसे कहां जल्दी मिलेंगे

लिक्विड फ़ंड आमतौर पर कम ख़र्चीले होते हैं. इनका औसत ख़र्च 0.15 फ़ीसदी है, जबकि आर्बिट्राज फ़ंड 0.34 फ़ीसदी तक जा सकते हैं. ये अंतर मायने रखता है, क्योंकि टैक्स के बाद इनका रिटर्न काफ़ी एक जैसा होता है.

इसके अलावा, अगर आपको बिना किसी पेनाल्टी के तुरंत कैश की ज़रूरत है, तो लिक्विड फ़ंड बेहतर रहते हैं. आप बिना किसी पेनाल्टी के सिर्फ छह दिनों के बाद अपना पैसे पा सकते हैं, जबकि आर्बिट्राज फ़ंड के लिए आपको 30 दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता है. इसलिए, अगर आप जल्दी से जल्दी पैसा पाना चाहते हैं, तो लिक्विड फ़ंड आपके लिए बेहतर अच्छे रहेंगे.

कुछ अहम बातें

अगर आप 30 फ़ीसदी टैक्स के ब्रैकेट में आते हैं तो आर्बिट्राज फ़ंड बेहतर काम करते हैं, बशर्ते आपको 30 दिनों के भीतर पैसे की ज़रूरत न हो.

जो लोग 20 फ़ीसदी या उससे कम टैक्स के ब्रैकेट में आते हैं, उनके लिए लिक्विड फ़ंड में अपना पैसा लगाना बेहतर है.

ये भी पढ़िए - Arbitrage Funds: बढ़िया मुनाफ़े वाले लिक्विड फ़ंड?


टॉप पिक

मोमेंटम पर दांव लगाएं या नहीं?

पढ़ने का समय 1 मिनटवैल्यू रिसर्च down-arrow-icon

Mutual funds vs PMS: क्या अच्छा है आपके पैसे के लिए?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

Flexi-cap vs Aggressive Hybrid Fund: ₹1 लाख कहां निवेश करें?

पढ़ने का समय 3 मिनटवैल्यू रिसर्च

मल्टी-एसेट फ़ंड आज दूसरी सबसे बडी पसंद हैं. क्या इनमें निवेश करना चाहिए?

पढ़ने का समय 3 मिनटपंकज नकड़े

Nifty 50 vs Nifty 500: कहां करें निवेश?

पढ़ने का समय 2 मिनटवैल्यू रिसर्च

म्यूचुअल फंड पॉडकास्ट

updateनए एपिसोड हर शुक्रवार

Invest in NPS

₹250 की SIP: फ़ंड्स की पहुंच बढ़ी और जटिलता भी

सेबी की पहल ने दरवाज़े तो खोले हैं, मगर फ़ंड में जटिलताओं के बढ़ने से ये बंद भी हो सकते हैं

दूसरी कैटेगरी