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Bajaj Housing Finance IPO: क्या पुरानी सफलता दोहराई जाएगी?

बजाज ग्रुप का इतिहास, बजाज हाउसिंग फ़ाइनांस IPO में दलाल स्ट्रीट के भरोसे को बढ़ा रहा है

Bajaj Housing Finance IPO: क्या ग्रुप कंपनियों की सफलता की कहानी को दोहराएगी कंपनी?AI-generated image

जब IPO की होड़ में शामिल होने के लिए उत्सुक कंपनियां निवेशकों को लुभाने के लिए लाइन में लगी हुई हैं, ऐसे में बजाज हाउसिंग फ़ाइनेंस का पब्लिक ऑफ़र ज़रा हिचकिचाहट के साथ मार्केट में उतरा है. संभव है कि अगर रेग्युलेटरी अनिवार्यता न होती तो कंपनी ये IPO ले कर ही नहीं आती. क्यों? क्योंकि उसे इसकी ज़रूरत नहीं थी. कंपनी के पास काफ़ी से ज़्यादा पूंजी है. और इसके अलावा इस ग्रुप के पास भारत के सबसे मज़बूत फ़ाइनांस सर्विस ग्रुप होने की एक असाधारण बढ़त भी है. ग्रुप की प्रमुख कंपनियों में बजाज फ़ाइनांस और बजाज फ़िनसर्व बड़ा नाम हैं.

तो, ये एक ऐसी कंपनी है जो हक़ीकत में पब्लिक मार्केट से पैसे बटोरने की जुगत में नहीं थी, और इसे अपनी दो दिग्गजों कंपनियों की ताक़त हासिल है. ऐसी दो कंपनियां, जो अतीत में दलाल-स्ट्रीट पर हासिल अपनी शानदार सफलता के लिए जानी जाती हैं. बजाज फ़ाइनेंस और बजाज फ़िनसर्व ने पिछले दशक में अपने कई शुरुआती निवेशकों को करोड़पति बनाया है. और अच्छा अतीत भरोसा जगाता है.

इसी तरह की उम्मीदें कंपनी की हाउसिंग फ़ाइनेंस सब्सिडरी पर भी टिकी हैं. लगता है जैसे बजाज हाउसिंग फ़ाइनेंस इस विरासत को आगे भी जारी रखेगी. इसका शेयर ग्रे-मार्केट में 80 प्रतिशत लिस्टिंग पॉप की उम्मीद कर रहा है. क्या ये बजाज फ़ाइनेंस जैसी कामयाबी दोहरा सकता है? इसका अंदाज़ा तो कोई भी नहीं लगा सकता. लेकिन ये एक मज़बूत बिज़नस है और कई अहम पैमानों पर अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे भी है. नीचे हम कई प्रमुख पैमानों पर कंपनी को परखेंगे:

1) साइज़ /AUM

बजाज हाउसिंग फ़ाइनेंस ने FY18 में ₹3,500 करोड़ के छोटे AUM के साथ अपने क़र्ज़ के बिज़नस (mortgage lending operations) की शुरुआत की जो हर साल 72 प्रतिशत की तेज़ी से बढ़कर ₹97,071 करोड़ (30 जून, 2024 तक) हो गया और ये कंपनी LIC हाउसिंग फ़ाइनेंस के बाद दूसरी सबसे बड़ी हाउसिंग फ़ाइनांस कंपनी (HFC) बन गई.

2) एसेट क्वॉलिटी

कंपनी ने अच्छी एसेट क्वॉलिटी को क़ायम रखते हुए तेज़ी से ग्रोथ करने के साथ-साथ आगे बढ़ने में भी कामयाबी पाई है. FY18-24 के बीच, इसने इंडस्ट्री के औसत 2 प्रतिशत के मुक़ाबले में 0.18 फ़ीसदी की एवरेज ग्रॉस नॉन-परफ़ॉर्मिंग एसेट्स (GNPA) रिपोर्ट की हैं.

3) कस्टमर और लोन बुक

ये मुख्य तौर पर ऐसे क़र्ज़ लेने वाले कस्टमरों को सर्विस देती है जो क़र्ज़ चुकाने के अपने बहुत अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जाने जाने जाते हैं. साथ ही कंपनी उन्हें भी सर्विस देने में प्राथमिकता देती है जो लगातार आमदनी पाते हैं या रेग्युलर इनकम स्ट्रीम वाले हैं. इस रणनीति से कंपनी को अपने डिफ़ॉल्ट के रिस्क को कम रखने में मदद मिलती है. इसके ग्राहकों में 87 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो वेतन पाते हैं, जो पूरी इंडस्ट्री में सबसे ज़्यादा है. इंडस्ट्री में इसका एवरेज लोन साइज़ सबसे ज़्यादा है जो ₹46 लाख है, और इसका लोन-टू-वैल्यू भी 70 प्रतिशत है, जो इसके AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) की ग्रोथ को बढ़ाने का कारण है.

4) बजाज का इतिहास

पहले ही कंपनी की पहुंच एक बड़े और स्थापित कस्टमर बेस तक है जिसे इसकी मूल कंपनी बजाज फ़ाइनेंस ने कई बरस में खड़ा किया है. इससे कंपनी को कई तरह का क़र्ज़ लेने वाले लोगों को सर्विस देने के लिए अपने मौजूदा नेटवर्क का फ़ायदा उठाने में मदद मिलती है.

5) डाइवर्स बुक

ये इंडस्ट्री में सबसे डाइवर्स या विविधतापूर्ण HFC (हाउंसिंग फ़ाइनांस कंपनी) है, जिसके पास क़र्ज़ देने के काफ़ी विकल्प मौजूद हैं. इसके क़र्ज़ देने वाले प्रोडक्ट्स में होम लोन भी शामिल है, जो इसके बिज़नस का 58 प्रतिशत है, इसके बाद प्रॉपर्टी लोन और डेवलपर फ़ाइनांस का क़र्ज़ देने जैसे काम शामिल हैं.

अपने जैसी दूसरी कंपनियों के साथ और विस्तृत तुलना के लिए, नीचे दी गई टेबल देखें.

एक बड़ी ताक़त

बजाज हाउसिंग का औसत NPA सबसे कम रहा है और उसने पिछले 3 साल में लोन में सबसे ज़्यादा ग्रोथ दर्ज की है

दूसरी कंपनियों से तुलना 3 साल का औसत GNPA 3 साल का औसत ROA 3 साल की AUM ग्रोथ प्राइस टू बुक रेशियो
बजाज हाउसिंग फ़ाइनांस 0.3 2.2 31 3.2
कैन फिन होम्स 0.7 2.16 14 2.59
LIC हाउसिंग फ़ाइनांस 4.1 1.26 7 1.19
PNB हाउसिंग फ़ाइनांस 4.5 1.93 3 1.76
आधार हाउसिंग फ़ाइनांस 1.2 4.33 20 2.47
आवास फ़ाइनेंसर्स 1 4.13 24 3.73
एप्टस वैल्यू हाउसिंग फ़ाइनांस 1.1 7.8 23 4.13
होम फर्स्ट फ़ाइनांस 1.7 4.5 34 4.89
GNPA- ग्रॉस नॉन परफ़ॉर्मिंग एसेट्स
ROA- एसेट्स पर रिटर्न
AUM- एसेट अंडर मैनेजमेंट

आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

बजाज हाउसिंग फ़ाइनेंस की ज़बरदस्त ग्रोथ, अग्रेसिव ग्रोथ और सोच-समझ कर लिए गए रिस्क के बीच संतुलन बैठाने का नतीजा है. यही वजह है कि कंपनी बहुत तेज़ी से बहुत बड़ी हो गई है. कंपनी सिर्फ़ सात साल से गिरवी के बदले क़र्ज़ (mortgage lending) देने के कारोबार में है. इतना थोड़ा समय, किसी भी क़र्ज़ देने वाली कंपनी को एक सदाबहार कंपनी घोषित करने के लिए काफ़ी नहीं है. इसके अलावा, उनके क़र्ज़ की क्वॉलिटी में कितना दम है, ये तो समय के ही बताएगा, क्योंकि जब क़र्ज़ बहुत तेज़ी से बढ़ता है तो उसके साथ-साथ ख़राब क़र्ज़ का मौजूद होना भी असामान्य नहीं होता. इसलिए अभी ये साफ़ नहीं है कि कंपनी पिछले सालों की अपनी ग्रोथ की रफ़्तार को क़ायम रख पाएगी या नहीं. ये अक्लमंदी ही होगी कि आने वाले वक़्त में किसी आश्चर्य जनक ग्रोथ की उम्मीदों को कम रखा जाए.

डिस्क्लेमर: यह स्टॉक की सिफ़ारिश नहीं है. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले कृपया ख़ुद रिसर्च करें.

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