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डिफ़ेंस सेक्टर की रैली जारी रह सकती है. हालांकि वजह वो नहीं जो आप सोच रहे हैं.

डिफ़ेंस सेक्टर में निवेशकों के लिए एक नया मौक़ा इंतज़ार कर रहा है.

डिफ़ेंस सेक्टर की रैली जारी रह सकती है. हालांकि वजह वो नहीं जो आप सोच रहे हैं.AI-generated image

क्या डिफ़ेंस स्टॉक्स में चल रही पार्टी अब ख़त्म हो गई है? कुछ ऐसे संकेत हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं. हाल ही में इन शेयरों की एकतरफ़ा तेज़ी रुक गई है, जिसमें मझगांव डॉक, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और पारस डिफ़ेंस जैसे शेयर अपने जुलाई में हुई बढ़त से लगभग 20 से 30 फ़ीसदी तक गिर गए. फिर, HDFC डिफ़ेंस फ़ंड, भारत का पहला डिफ़ेंस-ओनली फ़ंड है, जो ज़्यादा वैल्यूएशन से बढ़ती चिंताओं के बीच नए निवेश स्वीकार करने पर रोक लगा रहा है.

हालांकि, इसकी ख़ास वजह भारत के डिफ़ेंस एक्सपेंडिचर में मंदी है, जो हमेशा से इस सेक्टर के प्रॉफ़िट की बैकबोन रहा है. FY 2025 के बजट में डिफ़ेंस के लिए एलोकेशन में 4.7 फ़ीसदी की मामूली की बढ़ोतरी हुई. इसे संदर्भ में रखें तो 2023 में इसमें 13 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.साफ़ तौर से देखा जाए तो भारत का डिफ़ेंस एक्सपेंडिचर लगभग चरमरा रहा है, जिसने बाज़ार के उत्साह को कम कर दिया है. आख़िरकार, स्वदेशीकरण के लिए गवर्नमेंट सपोर्ट ने ही पिछले एक साल में (31 जुलाई, 2024 तक) निफ़्टी डिफ़ेंस इंडेक्स को 2 गुना से ज़्यादा बढ़ाया है.

तो, क्या इसका मतलब ये होना चाहिए कि इस सेक्टर को इतनी आसानी से नज़रअंदाज़ कर दिया जाए? बिल्कुल नहीं. जबकि इस सेक्टर की क़िस्मत लंबे समय से गवर्नमेंट सपोर्ट से जुड़ी हुई है, ये अगली ऑपर्च्यूनिटी के लिए प्रशस्त करता है, जो एक्सपोर्ट है. घरेलू ख़र्च में कमी आने के कारण, विदेशों से होने वाला व्यापार भारतीय डिफ़ेंस कंपनियों के लिए ग्रोथ का नया स्रोत बनने की उम्मीद है. यहां बताया गया है कि कैसे:

  • ग्लोबल कॉन्फ़्लिक्ट: रूस-यूक्रेन, इज़राइल-फ़िलिस्तीन से लेकर चीन-ताइवान तक कई ग्लोबल कॉन्फ़्लिक्ट ने देशों को अपनी सैन्य ताक़त बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. उदाहरण के लिए, यूरोप अपने डिफ़ेंस एक्सपेंडिचर को 2013-22 के दौरान अपने GDP के 1.2-1.3 फ़ीसदी से बढ़ाकर आने वाले साल में लगभग 2 फ़ीसदी करने की सोच रहा है. ख़ास तौर से, 2023 में डिफ़ेंस की रक्षा प्रोक्योरमेंट का लगभग 78 फ़ीसदी इंपोर्ट किया गया था, जो एक बड़ी ऑपर्च्यूनिटी की ओर इशारा करता है. ये पहले से ही भारतीय कंपनियों द्वारा आर्मेनिया को डिफ़ेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट करने के साथ चल रहा है, जो अज़रबैजान के साथ संघर्ष में है. 2022-23 के दौरान, भारत ने आर्मेनिया के कुल डिफ़ेंस इंपोर्ट का लगभग 10 फ़ीसदी हिस्सा लिया है.
  • घरेलू फ़ोकस से हटना: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) जैसी कई भारतीय डिफ़ेंस कंपनियां अपने एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने पर तेज़ी से ध्यान दे रही हैं. ₹1.7 लाख करोड़ की कुल ऑर्डर बुक पर ₹50,000 करोड़ और FY24 रेवेन्यू के साथ, दोनों के पास मज़बूत रेवेन्यू विज़िबिलिटी है. इसके अलावा, HAL ज़्यादा एक्सपोर्ट ऑपर्च्यूनिटी के लिए रास्ता साफ़ करने के लिए घरेलू ऑर्डर को तवज्जो दे रहा है. BEL की ऑर्डर बुक में Airbus और Thales जैसे अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों से भी एक्सपोर्ट ऑर्डर शामिल हैं. BEL ने हाल ही में €25.75 मिलियन का एक और बड़ा एक्सपोर्ट ऑर्डर हासिल किया है. एक दूसरी कंपनी भारत फोर्ज ने बताया कि उसके 80 फ़ीसदी से ज़्यादा डिफ़ेंस ऑर्डर अब विदेशों के हैं. ये ग्लोबल डिफ़ेंस मार्केट में भारत की बढ़ती अपील को दर्शाता है.

निवेशकों के लिए

डिफ़ेंस कंपनियों के स्टॉक्स में हाल ही में आई कमज़ोरी ये याद दिलाती है कि अच्छे दिन हमेशा नहीं टिकते. असल में, ये निवेशकों के लिए ज़्यादा नपे-तुले और चुनिंदा निवेश दृष्टिकोण अपनाने का समय हो सकता है. चूंकि ग्लोबल डिफ़ेंस ख़र्च में तेज़ी बनी हुई है, इसलिए निवेशकों को उन कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए जो सक्रिय तौर से एक्सपोर्ट पर ध्यान दे रही हैं, और जिनकी डोमेस्टिक गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट पर निर्भरता कम है. यही अगली बड़ी ऑपर्च्यूनिटी हो सकती है.

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