Anand Kumar
कुछ हफ़्ते पहले, म्यूचुअल फ़ंड टैक्सेशन पर एक कॉलम में, मैंने उल्लेख किया था कि NPS टियर 2 को कम लागत वाले म्यूचुअल फ़ंड की तरह माना जा सकता है. हालांकि, मैंने जो लिखा वो सटीक नहीं था. भले ही, आप म्यूचुअल फ़ंड की तरह ही टियर 2 फ़ंड से निवेश और रिडीम कर सकते हैं, लेकिन उन पर म्यूचुअल फ़ंड की तरह टैक्स नहीं लगता है. टियर 2 का टैक्स कोड में कोई विशेष उल्लेख नहीं है; इसलिए, डिफ़ॉल्ट के तौर पर, वे 'अन्य स्रोतों से आय' की सामान्य श्रेणी में आते हैं. इसे उस वर्ष आपकी आय में जोड़ा जाता है जिस वर्ष इसे प्राप्त किया जाता है और इसलिए, आप पर लागू दर के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है. इस तरह से आपके पास म्यूचुअल फ़ंड में मौजूद टैक्स का फ़ायदा नहीं हैं. बेशक़, ये ब्याज की आय जितना बुरा नहीं है, जिस पर आपको इसे मिलते ही टैक्स लगाया जाता है. टियर 2 में, जब तक आप इसे भुना नहीं लेते, तब तक पैसा जमा होता रहता है; इस तरह से ये फ़ायदे को बढ़ाने में भूमिका निभाता है.
इसमें एक पेंच है. NPS के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि ये टियर 2 से टियर 1 में एकतरफ़ा स्विच हो सकता है. इस तरह, रिटायरमेंट के समय (या जब भी आप 70 साल की उम्र तक NPS से बाहर निकलते हैं), टियर 2 में जमा धन को रिटायरमेंट के बाद NPS से बाहर निकलने के समान ही माना जा सकता है. इसका मतलब है कि निकाली गई राशि का 60 प्रतिशत टैक्स-फ़्री है. इसलिए, अगर आप NPS कॉर्पस का 60 प्रतिशत एक साथ निकाली गई रक़म के लिए और बाक़ी 40 प्रतिशत एन्युटी के लिए इस्तेमाल करते हैं, तो आपको उस समय कोई टैक्स नहीं देना होगा. केवल बाद के सालों में आपको मिलने वाली एन्युटी की आमदनी ही आपके स्लैब रेट पर टैक्स के अधीन होगी. सरकारी कर्मचारियों के लिए, टियर 2 तीन साल के लॉक-इन के साथ स्वीकार्य 80C टैक्स-सेविंग विकल्पों में से एक के तौर पर उपलब्ध है. हालांकि, ये देखना मुश्किल है कि कोई इसका इस्तेमाल करेगा या नहीं.
ये भी पढ़िए- पैनिक को प्रॉफ़िट में बदलने की कला
इसका मतलब ये है कि टियर-2 को म्यूचुअल फ़ंड का विकल्प मानने के बजाय, आपकी पेंशन के लिए एक अतिरिक्त योगदान माना जाता है आप इसे जमा कर सकते हैं और अंततः इसका इस्तेमाल अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. मुझे यक़ीन नहीं है कि अब तक कितने लोगों ने ऐसा किया है, लेकिन एसेट क्लास का डिज़ाइन इस तरीक़े से उपयोग के लिए सबसे सही है. या, अगर आपको किसी समय पैसे की ज़रूरत है, तो आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से पैसे निकाल सकते हैं. बेशक़, निकाली गई रक़म पर रिटर्न इनकम होगी, लेकिन कम से कम पूरी लिक्विडिटी उपलब्ध रहेगी, चाहे आप पैसे किसी भी काम के लिए चाहते हों.
जैसा कि ज़्यादातर NPS सदस्य जानते हैं - या उन्हें पता होना चाहिए - टियर 1 का पैसा पूरी तरह से लिक्विड नहीं होता है और निकालने के लिए भी उपलब्ध होता है, लेकिन केवल आंशिक रूप से और कुछ ख़ास उद्देश्यों के लिए. अगर आपको अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए या उनकी शादी के ख़र्चों के लिए धन की ज़रूरत है, तो आप आंशिक रूप से पैसे निकाल सकते हैं. इसके अलावा, अगर आप घर ख़रीदने या आवासीय संपत्ति बनाने की योजना बनाते हैं, तो आप अपने NPS फ़ंड का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस सहूलियत के तहत स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियां भी शामिल हैं, जो लिस्ट में दी गई बीमारियों के इलाज के लिए पैसे निकालने की अनुमति देती है. ऐसे मामलों में जहां खाताधारक 75% से ज़्यादा विकलांग हो जाए, तब भी आंशिक निकासी की अनुमति है. ये वही स्थितियां हैं जिनमें कोई पैसे निकालने की उम्मीद कर सकता है. हालांकि, दो और परिस्थितियां हैं जिनमें पैसे निकालने की अनुमति है, और जो पैटर्न के मुताबिक़ नहीं हैं. एक है "कौशल विकास या स्किल डवलपमेंट/ दोबारा कौशल सीखना या ख़ुद के विकास के लिए की जाने वाली गतिविधियां", और दूसरी है "स्वयं का उद्यम या कोई स्टार्ट-अप स्थापित करना". फिर से कहूंगा, मुझे नहीं पता कि कोई इन प्रावधानों का इस्तेमाल करता है या नहीं, लेकिन उनका अस्तित्व दिलचस्प और काम का है.
इस कहानी का अंतिम नैतिक सबक़ (मेरे लिए भी) ये है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली अब एक बड़ी और जटिल प्रणाली बन गई है, जिसमें कई ऐसे कोने और खामियां हैं, जिनसे बहुत कम लोग परिचित हैं. मुझे लगता है कि ऐसी अधिकांश प्रणालियों का यही हश्र होता है, और इनमें से कोई भी लगभग सभी के लिए उनकी बुनियादी उपयोगिता को कम नहीं करता है.
ये भी पढ़िए- NPS का एक और अपग्रेड (शायद)