जिस तरह पारिवारिक समारोहों में कोई न कोई उम्र दराज़ रिश्तेदार ज्ञान के सत्य वचन बांचते हैं, उसी तरह हम भी एक बात कहना चाहेंगे: मार्केट में अपने निवेश को टाइम करना जोख़िम भरा है. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि अनुभवी निवेशकों के लिए ये और भी बड़ा सच है. मार्केट टाइम करने का मतलब हुआ, मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे, इसका अंदाज़ा लगा कर निवेश रोकना या करना.
पहली बात तो ये कि मार्केट में बड़ी गिरावटें बहुत कम होती हैं. ये निवेशकों को गिरावट में कोई मायना रखने वाली ख़रीदारी करने के लिए सीमित और दुर्लभ अवसर देती हैं. उदाहरण के लिए, पिछले 22 साल में एक दिन में 5 प्रतिशत की गिरावट केवल 22 बार हुई है. ग्लोबल फ़ाइनेंशियल क्राइसिस (GFC) और कोविड क्रैश को छोड़ दें तो आपको पता चलेगा कि ऐसा हर 4 से 5 साल में एक बार होता है. इसी तरह, एक सप्ताह में 10 प्रतिशत की गिरावट 22 साल में केवल पांच बार हुई है, या अगर आप GFC और कोविड को शामिल करते हैं तो ये नंबर 32 होगा.
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टाइमिंग का फ़ेल होना
अब, मान लें कि 20 साल के लिए हर महीने ₹10,000 की SIP 12 प्रतिशत की दर से बढ़ती है. अगर आप हर बार जब मार्केट में 5 प्रतिशत की गिरावट आती है, तो अतिरिक्त ₹10,000 का निवेश करते हैं, तो रिटर्न की दर मुश्किल से 12.02 प्रतिशत तक बढ़ेगी, ये मानते हुए कि आपको साल में एक बार मौक़ा मिलता है. ये सही है, गिरावट होने पर ख़रीदने का अंतर 0.02 प्रतिशत का मामूली अंतर है.
ऐसा क्यों है? पांच साल बाद, आप जो अतिरिक्त पैसा लगा रहे हैं, वो आपके पहले से निवेश किए गए पैसे का मुश्किल से 2 प्रतिशत है. अगर आपने बड़ी राशि जमा कर ली है, तो ये प्रतिशत और भी कम हो जाता है. उदाहरण के लिए, अगर आपकी संपत्ति ₹1 करोड़ से ज़्यादा है, तो ₹10,000 का अतिरिक्त निवेश सागर में एक बूंद जैसा है.
लेकिन क्या होगा अगर आपके पास मार्केट में हर बार सुधार होने पर निवेश करने के लिए काफ़ी पैसा हो? ऐसे में, आपको अवसर लागत का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि मार्केट में भारी गिरावट दुर्लभ है. आखिरी बार सेंसेक्स (भारत के इक्विटी मार्केट का एक स्टैंड-इन) एक दिन में 5 प्रतिशत से ज़्यादा गिरा था, वो 4 जून 2024 को था. उससे पहले, ये 4 मई 2020 था. उस समय, सेंसेक्स में 141 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. ये ऐसा रिटर्न है जिसे आप मार्केट में गिरावट के इंतज़ार में खो सकते थे. 2020 में कोविड क्रैश से पहले, 2015 और 2009 में इस तरह के गहरे इंट्राडे करेक्शन हुए थे. ये पांच और छह साल की अवधि है जब आप क्रैश की प्रतीक्षा में नक़दी पर बैठे होंगे. इस बीच, मार्केट ने नया उच्च स्तर बनाना जारी रखा. अवसर लागत से परे, मार्केट में सुधार का इंतज़ार बच्चों की शिक्षा या रिटायरमेंट जैसे लंबे समय वाले लक्ष्यों को ख़तरे में डालता है. सालों तक निवेश न करना या कम निवेश करना आपको ज़रूरी पैसे की बचत करने से रोक सकता है.
मार्केट में टाइम बिताना बनाम मार्केट को टाइम करना | रिटर्न |
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20 साल के लिए मासिक ₹10,000 की SIP | 12 प्रतिशत |
एक ही दिन में 5 प्रतिशत की गिरावट में एक्स्ट्रा ₹10,000 निवेश किए गए* | 12.02 प्रतिशत |
*अगर माना जाए कि ऐसा साल में एक बार होगा |
कथा का सार: मार्केट में समय का सही अनुमान लगाना मुश्किल है और काफ़ी हद तक बेकार भी. यही कारण है कि म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों के लिए SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) डिज़ाइन किए गए हैं. SIP के साथ, आप मार्केट के ऊपर जाने पर कम यूनिट ख़रीदते हैं और नीचे जाने पर ज़्यादा यूनिट खरीदते हैं, जिससे आपकी लागत औसत हो जाती है और आपको व्यवस्थित रूप से पूंजी खड़ी करने में मदद मिलती है.
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