ऐसा लगता है कि मार्केट ने EID पैरी (EID Parry) के ख़राब FY24 प्रदर्शन को गंभीरता से नहीं लिया है. 24 मई 2024 को कंपनी द्वारा अपने सालाना और तिमाही नतीजों की घोषणा करने के बाद से शेयर में 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. FY24 में इसके मुख्य शुगर सेगमेंट के ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट में 85 फ़ीसदी की गिरावट के बावज़ूद ये तेज़ी आई है.
पैकेज्ड शुगर इंडस्ट्री के मार्केट लीडरों में शामिल, इस कंपनी के शुगर बिज़नस पर FY24 में ख़राब असर पड़ा, क्योंकि प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों ने गन्ना उत्पादन पर असर डाला और कंपनी का एक्सपोर्ट रेवेन्यू कम हो गया. कंपनी के इथेनॉल प्रोडक्शन पर भी असर पड़ा, क्योंकि सरकार ने चीनी की क़ीमतों को नियंत्रित रखने के लिए कंपनियों को जैव ईंधन (बायोफ़्यूल) का प्रोडक्शन करने से रोक दिया.
बावज़ूद इसके, मार्केट अभी भी मुरुगप्पा ग्रुप की इस कंपनी को लेकर क्यों उत्साहित है? इस साल भारत और थाईलैंड में अनुकूल मानसून और बेहतर गन्ना क़ीमतों की संभावनाओं के अलावा कई और भी कारण हैं जो इस उत्साह को हवा दे रहे हैं. आइए, उम्मीदों को बढ़ावा देने वाले इन कारणों के बारे में जानें:
- मार्केट में दूसरे मौक़ों को भुनाना: EID पैरी FMCG इंडस्ट्री में ब्राउन शुगर और दूसरे जैसे प्रीमियम सेगमेंट में अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. अपने Q4 FY24 अर्निंग कॉल में, कंपनी ने स्टेपल जैसे फ़ूड एसेंशियल में विस्तार करने की अपनी योजनाएं बताईं. इसने हाल ही में अपने ब्रांडेड राइस (चावल) प्रोडक्ट्स के लॉन्च के साथ स्टेपल मार्केट में प्रवेश किया और अब दाल और बाजरा को भी शामिल कर लिया है. कंपनी को इस सेगमेंट में बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं और इसका मानना है कि इससे उसे FMCG सेक्टर में एक बड़ा खिलाड़ी बनने में मदद मिल सकती है. इसे हासिल करने के बाद, कंपनी का इरादा इडली डोसा बैटर जैसे हाई-मार्जिन वाले रेडी-मेड प्रोडक्ट्स शुरू करने का है. इडली डोसा बैटर मार्केट की वैल्यू ₹1,500-4,000 करोड़ के बीच है और इंडस्ट्री का सिर्फ़ 5-10 फ़ीसदी हिस्सा ही संगठित या ऑर्गनाइज़्ड है.
- कोरोमंडल का CDMO में प्रवेश: एग्रोकेमिकल सेक्टर की दिग्गज़ कंपनी -- कोरोमंडल इंटरनेशनल -- EID पैरी के सर का ताज़ है. कोरोमंडल में EID की 56 फ़ीसदी हिस्सेदारी है. अपनी ट्रेडिशनल फर्टिलाइज़र इंडस्ट्री में कड़े नियमों और अलाभकारी सब्सिडी रेट के कारण, कोरोमंडल ने हाल ही में हाई-प्रीमियम कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गनाईजेशन या CDMO सेक्टर में अपने डाइवर्सिफिकेशन की घोषणा की है. मार्केट ने कोरोमंडल के इस क़दम को सकारात्मक रूप में लिया है, और नतीजा, शेयर मार्केट में EID पैरी पर भी सकारात्मक नज़र पड़ी है.
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E.I.D. - Parry (India) Ltd. के इन जोख़िमों पर भी बात करना ज़रूरी है
EID पैरी की डाइवर्सिफ़िकेशन योजना का मार्केट ने स्वागत किया है, लेकिन कंपनी कई जोख़िमों का भी सामना कर रही है, जिन पर D-स्ट्रीट को नज़र रखनी चाहिए:
- कमोडिटी बिज़नस: शुगर बिज़नस इस कंपनी का मुख्य सेगमेंट बना हुआ है. किसी भी दूसरी कमोडिटी की तरह, शुगर भी साइक्लिक डिमांड पैटर्न पर चलती है और इसका प्रोडक्शन भी मानसून जैसे फ़ैक्टर के प्रति संवेदनशील होता है. पिछले कुछ साल से शुगर कंजम्प्शन में कमी ज़ारी है, जिसके कारण कंपनी को दूसरे बिज़नस में प्रवेश करने के लिए मज़बूर होना पड़ा है.
- इसके अलावा, जो नया मार्केट इसके रडार पर है, यानी स्टेपल, वो भी कमोडिटी बिज़नस के तहत आता है. ये बिज़नस सबसे कम मार्जिन वाले FMCG सेगमेंट में से एक है. EID अपने वर्तमान ब्रांड और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का फ़ायदा उठाकर बाद में हाई-मार्जिन वाले रेडीमेड फ़ूड सेगमेंट में प्रवेश करने की योजना तो बना रही है, लेकिन एक अच्छा मार्केट शेयर हासिल करने के लिए इसे पहले MTR और ID फ़ूड्स जैसे तगड़े मौज़ूदा खिलाड़ियों का सामना करना पड़ेगा.
- होल्डिंग कंपनी से जुड़ा जोख़िम: EID की मार्केट वैल्यू काफ़ी हद तक इसकी अंडरलाइंग होल्डिंग (कोरोमंडल) से जुड़ी है. ₹14,000 करोड़ के मार्केट कैप वाली EID की एग्रोकेमिकल दिग्गज़ (कोरोमंडल) में ₹26,000 करोड़ की हिस्सेदारी है. कोरोमंडल की हाल की डाइवर्सिफ़िकेशन योजना अभी तक पूरी नहीं हुई है. कोई भी ख़राब नतीजा EID को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. फिर भी, मुरुगप्पा ग्रुप के कुशल बिज़नस चलाने के अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड ने कोरोमंडल की कोशिशों पर लोगों भरोसा जगाया है.
आप हमारे दूसरे आर्टिकल में होल्डिंग कंपनी से जुड़े जोख़िमों के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं.
E.I.D. - Parry (India) Ltd:
EID पैरी के प्रमोटरों (मुरुगप्पा ग्रुप) ने अपने कुशल मैनेजमेंट के लिए लोगों की वाहवाही लूटी है, जिसने अतीत में ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स, CG पॉवर और कार्बोरंडम इंटरनेशनल (Carborundum International) जैसी कंपनियों को पंख लगाए हैं. ऐसा लगता है कि EID और कोरोमंडल दोनों के मामले में भी यही हो रहा है, क्योंकि दोनों ने ग्रोथ के नए रास्ते तलाशे हैं.
EID की आकर्षक रेडीमेड फ़ूड सेगमेंट में पैठ बनाने की योजना सराहनीय है क्योंकि ये बिज़नस तेज़ ग्रोथ के मौक़े प्रदान करता है. हालांकि, ये एक लॉन्ग-टर्म रणनीति है जो तभी साकार होगी जब कंपनी अपने स्टेपल बिज़नस और अपने सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मज़बूत करने में सफल होगी. आने वाले वक़्त में, नए मार्केट में दबदबा कायम करने के लिए, कंपनी को रेडी-मेड फ़ूड मार्केट में तगड़ी प्रतिस्पर्धा और स्टेपल बिज़नस की चक्रीयता (साइक्लिकल नेचर) और धीमी ग्रोथ जैसी चुनौतियों से निपटना होगा.
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