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Vashu Bhagnani Industries Share Price: इस कंपनी ने कुछ ही हफ़्तों में अर्श से फ़र्श तक का सफ़र तय कर लिया है. हम यहां फ़िल्म प्रोडक्शन कंपनी वाशु भगनानी इंडस्ट्रीज़ की बात कर रहे हैं, जिसे पहले पूजा एंटरटेनमेंट (Pooja Entertainment Share) के नाम से जाना जाता था. कंपनी ने हाल ही में शेयर बाज़ार में कुछ इस तरह प्रदर्शन किया है. 4 जुलाई 2023 और 21 जून 2024 के बीच, इसके शेयर की क़ीमत ₹25 से ₹406 तक 16 गुना की भारी छलांग लगा चुकी है. तब से, ये 37 फ़ीसदी (8 जुलाई 2024 तक) गिर चुकी है.
इस तरह के भारी उतार-चढ़ाव पर क़रीब से नज़र डालने की ज़रूरत है. तो आइए जानते हैं कि इस भारी गिरावट की वजह क्या रही!
लाइट, कैमरा और फ़्लॉप!
90 के दशक के अंत में कुली नंबर 1, हीरो नंबर 1 और बीवी नंबर 1 जैसी हिट कॉमेडी फ़िल्मों के लिए मशहूर एक ब्लॉकबस्टर स्टूडियो, कंपनी की हालिया फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर असफल रही हैं, जिससे कथित तौर पर गंभीर वित्तीय मुश्किलें पैदा हुई हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ₹250 करोड़ के क़र्ज़ को निपटाने के लिए कंपनी ने मुंबई के जुहू स्थित अपने कार्यालय को बेच दिया और इसके लगभग 80 फ़ीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. कंपनी ने भले ही प्रॉपर्टी बेचने से इनकार किया है, लेकिन ये स्वीकार किया है कि इसकी नई फिल्म 'बड़े मियां छोटे मियां' की असफलता का प्रोडक्शन हाउस पर असर पड़ा है.
ध्यान दें, कंपनी के फ़ाइनेंशियल रिकॉर्ड ₹250 करोड़ के क़र्ज़ का संकेत नहीं देते हैं. FY24 तक इसका कुल क़र्ज़ ₹23 करोड़ था.
'गणपथ' और 'मिशन रानीगंज' जैसी इसकी अन्य हालिया रिलीज़ भी असफल रहीं. वास्तव में, कंपनी ने आखिरी बार 2001 में 'मुझे कुछ कहना है' के साथ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था.
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वाशु भगनानी इंडस्ट्रीज़ की मुश्किल बनी हुई है
कंपनी का वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड भी निराशाजनक है. फ़ाइनेंशियल ईयर 20 और FY24 के बीच, इसका रेवेन्यू सालाना 7 फ़ीसदी की सुस्त ग्रोथ के साथ बढ़ा है, जबकि इस अवधि के दौरान नेट प्रॉफ़िट में 24 फ़ीसदी की गिरावट आई है.
कमज़ोर फ़ाइनेंशियल
डेटा (करोड़ ₹) | FY24 | FY23 | FY22 | FY21 | FY20 |
---|---|---|---|---|---|
रेवेन्यू | 58 | 46 | 25 | 3 | 44 |
ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट | 11 | 4 | 3 | 1 | 24 |
CFO | 0 | -3 | -5 | -3 | 3 |
ROE | 13.2 | 7.04 | 7.44 | 1.73 | 110.2 |
CFO यानी ऑपरेशन से कैश फ़्लो ROE यानी इक्विटी पर रिटर्न |
ज़्यादा ग़ौर से देखने पर दूसरे फ़ंडामेंटल पैरामीटर की ख़राब स्थिति का पता चलता है. कंपनी के प्राप्तियों में लगने वाले दिन (receivable days) 313 दिन तक के चौंकाने वाले स्तर तक पहुंच गए हैं. यानी पैसे आने के लिए उसे लगभग एक साल का इंतज़ार करना पड़ रहा है.
इस बीच, ये अच्छे कैश-फ़्लो की झलक बनाए रखने के लिए अपने भुगतानों को बढ़ा रही है. लेकिन आश्चर्य की बात नहीं है कि पिछले पांच साल में से तीन में ऑपरेटिंग कैश-फ़्लो निगेटिव रहा है.
हमारी राय
हालांकि, कंपनी की वित्तीय तौर पर चिंताजनक स्थिति ने निवेश को नहीं रोका, जो पिछले साल स्टॉक में आई तेज़ रैली से स्पष्ट है. इससे इसका P/E रेशियो 176 गुना तक बढ़ गया है. बाज़ार की उम्मीदें शायद पिछले कुछ साल में प्रमोटर्स द्वारा धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ाने के कारण है, जो FY19 की 64 फ़ीसदी से बढ़कर FY24 में 74 फ़ीसदी हो गई. इससे कंपनी के भविष्य के लिए उनकी प्रतिबद्धता और भरोसे का पता चलता है.
हालांकि, हाल के कुछ सालों में मुनाफ़े में गिरावट और ऊंची वैल्यूएशन को देखते हुए, कंपनी के लिए निवेश की वजह ख़ासी कमज़ोर नज़र आती हैं. हमारा मानना है कि अस्थिर फ़ंडामेंटल्स के बावजूद स्टॉक में बड़ी रैली, तर्कहीन उत्साह से जुड़ा मामला है.
ये स्टोरी रेकमंडेशन नहीं है. निवेशकों को निवेश का कोई भी फ़ैसला लेने से पहले ख़ुद रिसर्च करनी चाहिए.
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