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इस कंपनी का Q4 का नेट प्रॉफ़िट 45 गुना बढ़ा! जानिए शानदार प्रदर्शन की वजह.

आइए, जानते हैं कि इस पम्पिंग सोल्यूशन कंपनी की हालिया ज़बरदस्त ग्रोथ टिकाऊ है या नहीं

इस कंपनी का Q4 का नेट प्रॉफ़िट 45 गुना बढ़ा! जानिए शानदार प्रदर्शन की वजह.AI-generated image

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16वीं शताब्दी में दक्षिण अमेरिका में सोने के खज़ाने वाले मिथकीय शहर, एल डोराडो की खोज ने बहुत से खोजियों को आकर्षित किया. आधुनिक दौर में, भारतीय शेयर बाज़ार में भी ऐसे ही एक स्टॉक की खोज चल रही है जो किसी ख़ज़ाने की तरह हो. पंप और मोटर बनाने वाली कंपनी शक्ति पंप्स ने कुछ साल पहले अपना ख़ुद का एल डोराडो पा लिया था, और हाल ही में फिर से अच्छा मुनाफ़ा कमाना शुरू कर दिया है. इस ख़जाने ज़ैसी ग्रोथ की बदौलत कंपनी को FY24 में अपना नेट प्रॉफ़िट क़रीब छह गुना बढ़ाने में मदद मिली. लेकिन पिछली तिमाही में ये आंकड़ा और भी ज़्यादा बढ़ गया. FY23 की चौथी तिमाही में कंपनी का टैक्स के बाद का मुनाफ़ा ₹2 करोड़ था जो FY24 की चौथी तिमाही में बढ़कर ₹90 करोड़ हो गया; ये एक साल में 45 गुना की छलांग है!

अचानक छप्पर फाड़ मुनाफ़ा

शक्ति पंप्स की एल डोरैडो सरकार की प्रधानमंत्री अगर किसी को कहा जाएगा तो उसका नाम है कुसुम योजना. इस स्कीम ने कंपनी को हाल ही में अप्रत्याशित लाभ दिलाया है. इस स्कीम का मक़सद किसानों को सोलर पंप का इस्तेमाल करने के लिए सब्सिडी देकर कृषि में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाना है. 2019 में इसके लॉन्च के बाद, इस अवसर पर नज़र रखने वाली कंपनी ने गियर बदल दिया और इनोवेशन और रिसर्च के ज़रिए से अपना ध्यान सौर पंपों की ओर लगा दिया.

इस क्षेत्र में पहल करने के फ़ायदे ने कंपनी को इस स्कीम के तहत सबसे ज़्यादा बाज़ार हिस्सेदारी पाने में मदद की है, जो FY24 की चौथी तिमाही तक 25 फ़ीसदी थी. इसी तिमाही में, इसने इस स्कीम के तहत किसानों को 15,000 सौर पंप बांटे. इससे इसके रेवेन्यू में सालाना आधार पर 41 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ और नेट प्रॉफ़िट में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई. इसके आंशिक कारण बेस और कच्चे माल की लागत का कम होना था. कंपनी ने अपने सौर पंपिंग सॉल्यूशन के लिए 27 पेटेंट दाखिल किए हैं और अब तक 13 पेटेंट हासिल कर चुकी है.

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क्या ये शानदार प्रदर्शन पूरे साल जारी रहेगा?

FY24 के आख़िर में कंपनी की कुल ऑर्डर बुक ₹2,500 करोड़ के थे. इसे अगले 18 महीनों में पूरा किया जाएगा, जिससे अच्छा रेवेन्यू मिलेगा. इसके अलावा, कंपनी की मौजूदगी वाले इलाक़ों में क़रीब 49 लाख पंप कुसुम स्कीम के तहत लगाए जाने हैं. इनमें से, FY24 की तीसरी तिमाही तक सिर्फ़ 282,708 पंप ही लगाए जा सके हैं. कंपनी की बाज़ार की सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी को देखते हुए, इसे अगले दो से पांच सालों में ₹7,000 करोड़ की सालाना रेवेन्यू क्षमता वाले ऑर्डर मिलने की उम्मीद है (जो इसकी मौजूदा ऑर्डर बुक ₹2,500 करोड़ से क़रीब 3 गुना ज़्यादा है). मांग को पूरा करने के लिए, कंपनी ने हाल ही में QIP के ज़रिए ₹200 करोड़ जुटाए हैं, जिससे इसकी रेवेन्यू क्षमता दोगुनी होकर ₹5,000 करोड़ हो गई है. इस विस्तार के लिए इसने मध्य प्रदेश में 46 एकड़ जमीन भी ख़रीदी है.

इसके अलावा, इसने इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) के सेक्टर में क़दम रखा है, EV मोटर, चार्जिंग स्टेशन, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम और बहुत कुछ का निर्माण किया है. कंपनी इस काम से तालमेल पाएगी क्योंकि इसकी मौजूदा तकनीक का इस्तेमाल EV मोटर और पंप बनाने के लिए किया जाएगा. इसने इस बिज़नस में ₹30 करोड़ का निवेश किया है और दिसंबर 2021 से अब तक 10,000 दोपहिया और तिपहिया मोटरें बेची हैं.

चेतावनियां

कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले सालों में उसका ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट मार्जिन 15 फ़ीसदी बना रहेगा. इस तरह, सालाना ₹7,000 करोड़ की टॉपलाइन हासिल करने से हर साल ₹1,000 करोड़ का ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट होगा (FY24 में यह ₹225 करोड़ था). कंपनी के मौजूदा मार्केट-कैप ₹7,000 करोड़ पर, इसका वैल्युएशन 7 गुना के आकर्षक M-Cap/EBITDA रेशियो पर किया गया है. लेकिन, हर पुरस्कार की अपनी क़ीमत होती है.

  • प्रतिस्पर्धियों से ख़तरा: इस स्कीम के तहत मार्केट ऑपर्चुनिटी बहुत बड़ी है क्योंकि सरकार के मक़सद का सिर्फ़ एक छोटा सा हिस्सा ही अब तक पूरा हुआ है. प्रवेश में बाधाओं के कम होने से से प्रतिस्पर्धा को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा, इस इंडस्ट्री में भुगतान की छोटी अवधि भी आकर्षक है. मिसाल के लिए, शक्ति पंप ₹2,500 करोड़ की रेवेन्यू क्षमता के साथ अतिरिक्त क्षमता जोड़ने के लिए सिर्फ़ ₹200 करोड़ रुपये करेगा. ये मानते हुए कि कंपनी पूरी क्षमता से काम करती है और 15 फ़ीसदी का सालाना ऑपरेटिंग प्रॉफ़िट मार्जिन कमाती है, ये एक साल से भी कम समय में अपने ₹200 करोड़ के कैपिटल एक्सपेंडिचर से ₹350 करोड़ का EBITDA पैदा करेगी. ऐसी आकर्षक संभावनाओं से कई नए खिलाड़ियों के आकर्षित होने की उम्मीद है. ये पहले से ही इसकी बाज़ार हिस्सेदारी से साफ़ है, जो FY23 की तीसरी तिमाही में 35 फ़ीसदी से घटकर अब क़रीब 25 फ़ीसदी रह गई है, क्योंकिटाटा पावर,रोटो पंप्स औरकिर्लोस्कर ब्रदर्स जैसे प्रतिद्वंद्वी तेज़ होड़ में जुटे हैं.
  • रिवेन्यू कॉन्सनट्रेशन: FY24 तक सरकार से कंपनी का रिेवेन्यू हिस्सा 67 फ़ीसदी था. क़ारोबार का ये हिस्सा बहुत ही अव्यवस्थित है क्योंकि टेंडर रेग्युलर तरीक़े से जारी नहीं किए जाते, जिससे ऑर्डर में कमी और बढ़ोतरी हो जाती है. इसके अलावा, FY23 में, कंपनी ने बिक्री और मार्जिन में गिरावट का अनुभव किया क्योंकि कच्चे माल की लागत बढ़ गई लेकिन सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट के प्राइस रिवाइज़ करने पर रोक लगा दी.

शक्ति पंप्स की ग्रोथ रेट में बहुत तेज़ी आई है, लेकिन कंपनी ऐसे बाज़ार में काम करती है, जिसकी डिज़ाइन के मुताबिक़, कई सीमाएं हैं. ये कब तक चल पाएगा, ये पक्का नहीं है.

ये स्टोरी स्टॉक की सिफ़ारिश नहीं है. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले कृपया ख़ुद रिसर्च ज़रूर करें.

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