SIP in Passive Mutual Funds: शेयरों में ट्रेडिंग करना और उन्हें बेच कर बाहर निकलना एक मुश्किल काम है. इसमें लगातार कुछ न कुछ करते रहने की ज़रूरत होती है और ट्रेडिंग का बड़ा ख़र्च भी शामिल है. इसके अलावा, लंबे समय में एक सफल ट्रेडर बनने के लिए, आपको लगातार सही फ़ैसले (calls) लेने होंगे. ये सब मुश्किल लगता है, है न?
दूसरी तरफ़, अपने निवेशों के साथ अनुशासित होकर और इंडेक्स जितना फ़ायदा पाने का लक्ष्य रखकर, आप लंबे समय में आसान से और कम ख़र्च वाले तरीक़े से पैसा बना सकते हैं. अब सवाल है कि ये कैसे किया जाए?
SIP का फ़ायदा
एक सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के ज़रिए एक अनुशासित निवेशक बनें, जो आपको नियमित अंतराल (हर महीने, तिमाही आदि) पर एक तय रक़म निवेश करने की सहूलियत देता है. ये तरीक़ा आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद कर सकता है. SIP के ज़रिए निवेश करने से आपको समय के साथ ख़र्च का औसत निकालने में भी मदद मिलती है.
पैसिव फ़ंड में मिलता है इंडेक्स जैसा रिटर्न
इंडेक्स जैसे ही रिटर्न पाने के लिए, पैसिव फ़ंड आदर्श हो सकते हैं. इंडेक्स फ़ंड और एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड (ETF)/ फ़ंड ऑफ़ फंड्स (FoF) से मिलकर बने ये फ़ंड बस एक इंडेक्स को चुन कर उसे ट्रैक करते हैं और उसके मुताबिक़ रिटर्न जेनरेट करने की कोशिश करते हैं.
मिसाल के तौर पर, निफ़्टी 50 इंडेक्स में मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के मामले में भारत की टॉप 50 लिस्टिड कंपनियां शामिल हैं. ऐसे इंडेक्स को ट्रैक करने वाले पैसिव फ़ंड में निवेश करके, आप इस इंडेक्स जैसे रिटर्न पाने की कोशिश कर सकते हैं.
इसके अलावा, पैसिव फ़ंड में आमतौर पर एक्टिव तरीक़े से मैनेज किए गए फ़ंड की तुलना में एक्सपेंस रेशियो (लागत) कम होता है.
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