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प्रिय पाठक, अगर आप ये स्टोरी पढ़ रहे हैं, तो हम मानते हैं कि आपने फ़ाइनेंशियल फ़्रीडम पाने यानी अपना ख़ुद का पैसा बनाने की दिशा में पहला क़दम उठा लिया है! या फिर अगर वेतन नहीं पाते हैं, बल्कि अपने घरेलू बजट या मंथली अलाउंस की बचत से आपकी आमदनी होती है तब भी ये कहानी आपके लिए है.
भारत में महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता (financial literacy) दर का कम होना कोई नई बात नहीं. वहीं, वित्तीय सुरक्षा (financial security) की सोच और भी ज़्यादा नई चीज़ है. हालांकि, वित्तीय सुरक्षा किसी को प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षित बाहर निकलने या दूसरी तरह की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने का विकल्प देती है. यही कारण है कि किसी दूसरे पर आपकी वित्तीय निर्भरता की परवाह किए बिना आपका वित्तीय तौर पर सुरक्षित होना ज़रूरी है.
आप निवेश के ज़रिए अपनी बचत को बढ़ाकर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. और फिर निवेश के सिद्धांत तो सभी के लिए एक जैसे ही हैं. इसलिए, चाहे आप कोई भी हों या महिला हों या पुरुष, नीचे दी गई हमारी गाइड आपको अपना निवेश पोर्टफ़ोलियो बनाने की दिशा में पहला क़दम उठाने में मदद करेगी.
1. निवेश की अवधि (Investment horizon): निवेश शुरू करने से पहले आपको ये पता करना चाहिए कि आप कितने साल के लिए निवेश करना चाहते हैं. इससे ये तय होगा कि आपको कहां निवेश करना चाहिए. निवेश की अवधि वो समय होता है जिसमें आप कार या घर ख़रीदना चाहते हैं, या फिर हायर एजुकेशन के लिए पैसा जुटाना चाहते हैं. लंबे समय के निवेश के लक्ष्य, यानी कम-से-कम पांच साल के निवेश के लिए इक्विटी (equity) में निवेश करना सही होता है क्योंकि इसमें आपको महंगाई को मात देने वाला रिटर्न (inflation-adjusted returns) पाने में मदद मिलती है. दूसरी ओर, शॉर्ट या मीडियम-टर्म के लक्ष्यों के लिए, जिन्हें कुछ महीनों से लेकर कुछ साल (5 से कम साल) में पूरा करना होता है, उन्हें फ़िक्स्ड इनकम (fixed income) में लगाना बेहतर होता है क्योंकि ये अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं.
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2. नए लोगों के लिए इक्विटी निवेश (Equities for newbies): नए या अनुभवहीन इक्विटी निवेशक, बाज़ार में गिरावट के दौरान घबरा जाते हैं. अक्सर उनके लिए गिरावट की स्थिति में कमज़ोर पड़ जाते हैं और उन्हें अपने निवेश से बाहर निकलना सही लगता है. हालांकि, लंबे समय तक बने रहना कंपाउंडिंग के फ़ायदों को हासिल करने के लिहाज़ से अहम है.
इसलिए, एक नए निवेशक को अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड के साथ इक्विटी में निवेश शुरू करना चाहिए. अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड अपने पोर्टफ़ोलियो का लगभग दो-तिहाई हिस्सा इक्विटी में और बाकी हिस्सा फ़िक्स्ड इनकम में निवेश करते हैं. डेट (debt) में लगाया कुछ पैसा उन्हें बाज़ार की भारी गिरावट के समय बचाता है, इसलिए उतार-चढ़ाव के समय वे प्योर इक्विटी फ़ंड की तुलना में कम गिरते हैं. इससे परेशान या जल्दी घबराने वाले निवेशकों को शांत करने में मदद मिलती है, जिससे वे लंबे समय तक निवेश बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा, चूंकि अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड इक्विटी में प्रमुख निवेश प्रदान करते हैं, इसलिए वे निवेशकों को लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न कमाने में मदद करते हैं.
3. शॉर्ट-टर्म निवेश के लिए फ़िक्स्ड इनकम (Fixed income for short-term goals): शॉर्ट टर्म लक्ष्यों के लिए इक्विटी निवेश से बचना चाहिए क्योंकि उनमें कम समय में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. इसलिए, कोई व्यक्ति फ़ाइनेंशियल गोल के लिए बैंक रेकरिंग डिपॉजिट (bank recurring deposit) या लिक्विड फ़ंड (liquid funds) में निवेश कर सकता है जिसे कुछ महीनों से लेकर एक साल में पूरा करना होता है. ये आम तौर पर इमर्जेंसी या किसी भी सरप्लस पैसे के लिए अलग से पैसा रखने के लिए आदर्श होते हैं, जिसकी कम समय में ज़रूरत हो सकती है. थोड़ा लंबा समय (लेकिन पांच साल से कम) होने की स्थिति में, कोई व्यक्ति शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फ़ंड्स पर विचार कर सकता है.
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