इंटरव्यू

Mahindra Manulife: अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड का परफ़ॉर्मेंस क्यों रहा दमदार? फ़ंड मैनेजर ने गिनाईं वजह

फ़ंड मैनेजर फ़ातिमा पाचा फ़ंड के परफ़ॉर्मेंस और निवेश फ़िलॉसफ़ी पर बात कर रही हैं, जिसे एक निवेशक को जानना चाहिए

Mahindra Manulife: अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड का परफ़ॉर्मेंस क्यों रहा दमदार? फ़ंड मैनेजर ने गिनाईं वजह

Mahindra Manulife MF की इक्विटी और हाइब्रिड कैटेगरी में, निवेशकों के 48 फ़ीसदी पैसों को बढ़ाने की ज़िम्मेदारी फ़ातिमा पाचा के कंधों पर है. अक्टूबर 2020 से महिंद्रा मैनुलाइफ़ म्यूचुअल फ़ंड में बतौर फ़ंड मैनेजर काम कर रही पाचा, आठ फ़ंड्स का कामकाज देखती हैं - जिनमें से तीन फ़ंड, वैल्यू रिसर्च रेटिंग में '4 स्टार' वाले हैं. ऐसा ही एक फ़ंड है महिंद्रा मैनुलाइफ अग्रेसिव हाइब्रिड, जिसने लगातार अपने जैसे दूसरे फ़ंड्स से बेहतर प्रदर्शन किया है.

हमारी हालिया बातचीत के दौरान, हमने उनसे फ़ंड के लगातार बेहतर प्रदर्शन के कारणों के बारे में पूछा. इसके अलावा, हमने उनसे फ़ंड हाउस की इन्वेस्टिंग फ़िलॉसफ़ी और मौजूदा समय के पसंदीदा सेक्टरों के बारे में बात की.

इस इंटरव्यू के संपादित अंश पढ़िए:

हमें अपने इन्वेस्टमेंट फ़्रेमवर्क के बारे में बताएं. आप स्टॉक कैसे चुनते हैं? और, क्या आपके फ़्रेमवर्क में कुछ ऐसी चीज़ें भी हैं जिन्हे लेकर आप बिल्कुल समझौता नहीं करते?

हम हरेक कंपनी की जांच करते समय GCMV प्रक्रिया का पालन करते हैं. GCMV में हम, हर कंपनी की ग्रोथ की क्षमता, कैश फ़्लो क्षमता, मैनेजमेंट क्वालिटी और वैल्यूएशन की जांच करते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था और मार्केट ग्रोथ-ओरिएंटेड हैं, हम GSM पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं और वैल्यूएशन को थोड़ा सब्जेक्टिव तौर पर लेते हैं.

हमारे सभी फ़ंड्स को लेकर फ़िलॉसफ़ी है कि हम ग्रोथ और वैल्यू दोनों को मिला-जुला कर पोर्टफ़ोलियो चलाएं. हमारी पहले से तय की गई फ़िलॉसफ़ी (ग्रोथ या वैल्यू) नहीं है. इसका कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और मार्केट, अलग-अलग कंपनियों में निवेश से अर्निंग ग्रोथ और वैल्यूएशन री-रेटिंग दोनों का फ़ायदा उठाने के कई मौक़े देते हैं. इस मिले-जुले नज़रिये का नतीजा ये होता हैं कि एक पोर्टफ़ोलियो में एक ही समय में नायका (इस वक़्त नॉन-प्रॉफ़िटेबल) और कोल इंडिया (हाई डिविडेंड यील्ड वाला स्टॉक) दोनों शामिल हो सकते हैं.

हमारा स्टॉक चुनने का तरीक़ा ज़्यादातर बॉटम-अप रहता है. हमारे एनेलिस्ट और फ़ंड मैनेजर, मैक्रो थीम के आधार पर स्टॉक को कवर करते हैं -- कंज़म्प्शन, फ़ाइनेंशियल्स, इंडस्ट्रियल्स, एक्सपोर्ट्स और कमोडिटीज़.

पूरी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफ़ैक्चरिंग थीम हाल ही में लिस्ट हुई है. हमने इसमें मौक़े देखे और IPO लिस्टिंग के समय कुछ कंपनियों में निवेश किया, और उन्होंने फ़ंड के अच्छे प्रदर्शन में बड़ा योगदान दिया है.

एक और थीम टेक्सटाइल है, और हमारा मानना है कि इस सेक्टर में ग्रोथ से भारत के एक्सपोर्ट में बड़ी तेज़ी आ सकती है और रोज़गार बढ़ाने में मदद मिल सकती है. साल (FY) 2022 में निवेश से अच्छा रिटर्न मिला, जबकि 2023 एक मुश्किल साल था, पर हमने संयम बनाए रखा और इंडस्ट्री के डायनैमिक्स में सुधार के शुरूआती संकेत मिलने पर हमने इन कंपनियों में अपना निवेश दोगुना कर दिया है.

इन ख़ास थीम के अलावा, कमोडिटी, पॉवर, डिफ़ेंस और PSU जैसी कुछ ब्रॉड थीम भी हैं, जिनका हमारे फ़ंड के परफ़ॉर्मेंस में बड़ा हाथ रहा है.

अगर रिस्क की बात करें, तो हमने सेक्टर के मुताबिक़ निवेशों के साथ-साथ मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों में अलग-अलग एलोकेशन को लेकर रिस्क की एक सीमा बांधी हुई है. हम (निवेश के वक़्त) स्मॉल-कैप के लिए इस सीमा को 2.5 फ़ीसदी और मिड-कैप के लिए 3.5 फ़ीसदी रखते हैं. अगर सेक्टरों की बात करें, तो 15 फ़ीसदी से कम इंडेक्स में हिस्सेदारी (weight) वाले सेक्टरों के मामले में फ़ंड मैनेजर 5 फ़ीसदी ज़्यादा या कम निवेश कर सकते हैं; और 15 फ़ीसदी से ज़्यादा इंडेक्स में हिस्सेदारी वाले सेक्टरों के मामले में ये सीमा +/- 8 फ़ीसदी है.

ये सीमा पूरी तरह से टीम तय करती है, और अगर कोई फ़ंड मैनेजर इस दायरे से आगे जाना चाहता है, तो CIO की सहमति लेनी पड़ती है. CIO के पास उन शेयरों की भी एक लिस्ट होती है जिनमें निवेश की मनाही है. ये लिस्ट कंपनियों के मैनेजमेंट और/ या अकाउंटिंग और बाक़ी तरीक़ों के पिछले रिकॉर्ड की बुनियाद पर तैयार की जाती है.

स्टॉक चुनाव में बेंचमार्क की क्या भूमिका है?

फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो को 'मैक्रो सेक्टोरल दायरे में बॉटम-अप स्टॉक सलेक्शन प्रोसेस' के ज़रिए एक्टिव रूप से मैनेज किया जाता है.

निवेश की बड़ी हिस्सेदारी (weight) वाले बेंचमार्क में से टॉप 5-6 शेयर चुनने में ये पक्का करने के लिए बेंचमार्क की जांच करनी पड़ सकती है कि फ़ंड में बड़ी एक्टिव हिस्सोदारी है, जिससे दांव सही साबित होने पर अच्छा अल्फ़ा बनाने में मदद मिल सकती है.

हालांकि, इन चीज़ों के अलावा हम बेंचमार्क से परे एक रुख़ अपनाते हैं, जिसमें फ़ंड मैनेजर के स्टॉक और सेक्टोरल नज़रिए का मिला-जुला रूप शामिल होता है.

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अपने वजूद में आने के बाद से, आपका अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. किन चीज़ों ने फ़ंड के पक्ष में काम किया?

अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड एक अनोखा फ़ंड है जो अपने 20-25 फ़ीसदी डेट (debt) वाले हिस्से द्वारा दिए जाने वाले डाउनसाइड बफ़र (निचले स्तर की सीमा) के साथ, फ़ंड मैनेजर को फ़ंड के इक्विटी पार्ट को अग्रेसिव तौर पर मैनेज करने की आज़ादी देता है. बुल मार्केट (तेज़ी के मार्केट) के दौरान, फ़ंड का स्वरूप ख़ुद ही फ़ंड मैनेजर को मुनाफ़ावसूली करने के लिए मजबूर करता है, और इसी तरह, गिरावट के दौरान फ़ंड मैनेजर भरोसेमंद स्टॉक्स पर दोबारा दांव लगाता है और मौज़ूदा निवेशों को बढ़ाता है.

एग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड चलाने को लेकर मेरी सोच ये रहती है कि बुल मार्केट वाले साल के दौरान अच्छा अल्फ़ा बनाया जाए; और गिरावट के दौरान, बनाए गए अल्फ़ा की सुरक्षा की जाए. प्रतिस्पर्धियों की तुलना में लगातार बेहतर प्रदर्शन बनाए रखने के लिए, गिरावट के दौरान अपनाई गई रणनीति काफ़ी मायने रखती है क्योंकि इस चरण में अपने ख़राब प्रदर्शन से उबरना मुश्किल हो सकता है.

फ़ंड को इंडस्ट्रियल्स, PSUs और मैटेरियल्स में टॉप-डाउन सेक्टोरल दांव और मिड और स्मॉल कैप में बॉटम-अप चुनाव के तरीक़े को एक साथ लाने से फ़ायदा हुआ है. FY21 और FY22 मार्केट और फ़ंड के लिए बहुत अच्छे साल थे. हालांकि, FY23 में यूक्रेन संकट की वजह से क्रूड और कमोडिटीज़ की क़ीमतों में तेज़ी आई और वैश्विक स्तर पर ज़्यादा महंगाई वाला माहौल बना, जिससे सेंट्रल बैंकों को ब्याज़ दरें बढ़ाने के लिए मज़बूर होना पड़ा. नतीजा, FY23 मार्केट के लिए ख़राब रिटर्न का साल रहा, लेकिन हमारे फ़ंड ने इस साल भी अल्फ़ा दिया. एक तरह से, ये मार्केट के लिए सपाट क़ारोबार वाला साल था, जिसके बाद मिड-कैप और स्मॉल-कैप की अगुवाई में FY2024 की बड़ी रैली शुरू हुई.

फ़ंड ने FY2023 के आख़िर में मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में अपना वेट दोगुना करना शुरू कर दिया था क्योंकि वैल्यूएशन सस्ता हो गया था और हमारा ये भी मानना था कि ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी वाला दौर ख़त्म हो गया है. इससे फ़ंड को FY24 में भी अच्छा-ख़ासा अल्फ़ा बनाने में काफ़ी मदद मिली.

हालांकि, अब स्मॉल-कैप का वैल्यूएशन काफ़ी महंगा दिख रहा है और हम ज़्यादातर स्मॉल कैप पोज़िशन में वेट कम करना चाह रहे हैं. मिड कैप अभी भी ठीक स्थिति में हैं.

महिंद्रा मैनुलाइफ अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड के पोर्टफ़ोलियो में 'बाय एंड होल्ड' और शार्ट-टर्म दांव का मिला-जुला रूप दिखाई देता है. क्या दोनों नज़रियों (कोर बनाम सैटेलाइट पोर्टफ़ोलियो) में कोई आंतरिक रूप से परिभाषित एलोकेशन हैं?

फ़ंड को कोर और सैटेलाइट पोर्टफ़ोलियो के मिले-जुले रूप में मैनेज किया जाता है. पोर्टफ़ोलियो के मुख्य हिस्से (core) में ऐसे शेयरों में एलोकेशन किया जा सकता है जहां तिमाही उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. दूसरी ओर, सैटेलाइट पोर्टफ़ोलियो में आसानी से फ़ेरबदल देखा जा सकता है, और संबंधित बिज़नस सेगमेंट के आधार पर साल के दौरान कॉर्पोरेट प्रॉफ़िटेबिलिटी में बड़ी अस्थिरता आ सकती है.

हमारी सोच ये रहती है कि ज़्यादातर साइक्लिक शेयरों में काफ़ी उतार-चढ़ाव आता है. सबसे अच्छा उदाहरण कमोडिटीज़ हैं. हिंडाल्को जैसे लार्ज-कैप स्टॉक द्वारा कम समय में अच्छा रिटर्न देने के बावज़ूद भी इसमें बिकवाली आ सकती है क्योंकि इसकी अर्निंग में देखी जाने अस्थिरता फ़ंड मैनेजर को एग्ज़िट ट्रेड लेने के लिए प्रेरित करती है.

साथ ही, आपको हमारे पोर्टफ़ोलियो में लगभग दो साल या उससे ज़्यादा समय से रखे गए कुछ स्मॉल-कैप स्टॉक भी मिलेंगे, क्योंकि उन्हें लेकर हमारी लॉन्ग-टर्म कंपाउंडिंग वाली सोच है. हालांकि, इन्हें पोर्टफ़ोलियो में वेट को एडजस्ट करके एक्टिव रूप से मैनेज किया जाता है.

मूल रूप से, बदलाव का स्तर अच्छा है, इसलिए हमारा नज़रिया और स्टॉक के साइकिल के आधार पर वेट बदलता रहता है. ज़रूरी नहीं कि इसकी वजह मार्केट कैप ही हो, बल्कि हमारे निवेश का साइज़ भी हो सकता है. हमने लगभग तीन साल से बहुत सारे मिड और स्मॉल कैप स्टॉक्स को होल्ड किया हुआ है. हमारा फ़ेरबदल इस बात पर ज़्यादा आधारित होता है कि कोई थीम कैसा प्रदर्शन कर रही है.

हमारी कैलकुलेशन बताती है कि पिछले चार साल में अग्रेसिव हाइब्रिड फ़ंड के बेहतर प्रदर्शन में छोटी अवधि के लिए रखी गई छोटी होल्डिंग्स ने प्रमुख रूप से योगदान दिया है. इस तरह से अल्फ़ा बनाना कितना टिकाऊ है?

पिछले 3-4 साल में सबसे बड़ा अल्फ़ा मिड और स्मॉल कैप सेक्टर ने बनाया है, जबकि टॉप हेवीवेट स्टॉक इंडेक्स में कोई अच्छा अल्फ़ा बनाने में बड़ी मुश्किल से क़ामयाब रहे हैं.

फ़ंड को मिड और स्मॉल-कैप होल्डिंग्स से काफ़ी फ़ायदा हुआ है, जहां शेयर 3-4 गुना बढ़े हैं.

लेकिन कई बार ब्लूचिप (लार्ज कैप) अच्छा प्रदर्शन करते हैं, और जब वे पूरे मार्केट के लिहाज़ से अच्छा अल्फ़ा बनाते हैं तो आप पैसा कमाते हैं. उदाहरण के लिए, टाटा पावर और कोल इंडिया जैसे लार्ज कैप पिछले साल बहुत कम समय में दोगुने हो गए. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स भी चार गुना हो गया. अब ये एक लार्ज-कैप कंपनी है, लेकिन जब इसने एंट्री की थी तो ये एक मिड कैप थी. तो, कुछ इस तरह की थीम हैं लेकिन वे लार्ज-कैप PSUs ही हैं जिन्होंने पिछले तीन साल में ज़्यादातर अच्छा प्रदर्शन किया है.

मेरा मक़सद, क़रीब से नज़र बनाए रखना है और मार्केट में उन आकर्षक सेक्टरों का फ़ायदा उठाना है जहां कोई फ़ैक्टर सेक्टर या स्टॉक में बड़ा बदलाव ला सकता है, ताकि फ़ंड के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद मिले.

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