आज भी बहुत से दूसरे फाइनेंशियल असेट के बजाए रियल एस्टेट में निवेश करना पसंद करते हैं। और लोग खरीदने की क्षमता रखते हैं उनके पास समय के साथ एक से अधिक प्रॉपर्टी हो जाती है। कुछ लोग जिस शहर में काम करते हैं वहां एक घर होता है और उनके गृह जिले में दूसरा घर। इसके अलावा कुछ लोग एक घर में रहते हैं या दूसरा घर वीकेंड या छुट्टियां मनाने के लिए खरीदते हैं। इसी तरह से बहुत से लोग रेंटल इनकम के लिए निवेश के तौर पर एक से अधिक प्रॉपर्टी खरीदते हैं।
अगर आप एक से अधिक प्रॉपर्टी खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इस पर टैक्स कैसे लगेगा।
जिस घर में रह रहे हैं उस पर कैसे लगेगा टैक्स
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार अगर आपके पास एक घर है और आप परिवार के साथ पूरे साल उस घर में रह रहे हैं तो इसे सेल्फ अक्यूपाइड हाउस कहते हैं। ऐसे मामलों में टैक्स शून्य या नेगेटिव होगा। अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लिया है तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24 (बी) के तहत होम लोन पर लगने वाले 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर टैक्स छूट का फायदा मिलेगा।
पहले सिर्फ एक घर को ही सेल्फ अक्यूपाइड प्रॉपर्टी माना जाता था। हालांकि यूनियन बजट 2019 के तहत अब अगर किसी के पास दो घर हैं तो दोनों घरों को सेल्फ अक्यूपाइड प्रॉपर्टी का फायदा मिलेगा।
आपके पास घर है लेकिन घर में नहीं रह रहे हैं
अगर किसी के पास दो घर हैं लेकिन वह दूसरे शहर में नौकरी, बिजनेस या प्रोफेशनल कारणों से इन घरों में न रह कर किराए के घर में रह रहा है तो उसकी ये दोनों प्रॉपर्टी सेल्फ अक्यूपाइड मानी जाएगी। लेकिन शर्त यह है कि वह दोनों प्रॉपर्टी को वित्तीय वर्ष में कभी भी किराए पर न दे और किसी तरह का वित्तीय फायदा न ले।
मानी जाएगी रेंटल प्रॉपर्टी
अगर किसी के पास दो से अधिक प्रॉपर्टी है और वह दो से अधिक घरों में रहता है तो किसी भी दो प्रॉपर्टी को सेल्फ अक्यूपाइड प्रॉपर्टी मान जाएगा। और बाकी प्रॉपर्टी को डीम्ड टू बी लेट आउट यानी रेंटल प्रॉपर्टी माना जाएगा। इसका मतलब है कि बाकी प्रॉपर्टी भले ही पूरे साल खाली रहे और इससे आपको कोई वित्तीय फायदा न हो रहा तब भी यह माना जाएगा कि इसे किराए पर देकर आय हासिल की जा सकती है और संभावित रेंटल इनकम की एनुअल वैल्यू पर टैक्स देना होगा।
एनुअल वैल्यू
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 23 के अनुसार प्रॉपर्टी को एक साल के लिए रेंट पर देने से जो रकम मिल सकती है वह एनुअल वैल्यू है। आसान शब्दों में कहें तो एनुअल वैल्यू वह संभावित रेंट है जो प्रॉपर्टी को रेंट पर देने से मिल सकता था। एनुअल वैल्यू कैलकुलेट करने के लिए कई फैक्टर्स पर विचार किया जा सकता है। जैसे अगर आपकी प्रॉपर्टी रेंट कंट्रोल लेजिस्लेशन के तहत आती है तो स्टैंडर्ड रेंट या प्रॉपटी की म्युनिसिपल वैल्यू के आधार पर रेंट या उसी इलाके में समान प्रॉपर्टी से मिलने वाल रेंट के बराबर रेंट के आधार पर एनुअल वैल्यू कैलकुलेट की जा सकती है। इन सबमें जो सबसे अधिक होगी उसे प्रॉपर्टी की एनुअल वैल्यू माना जाएगा।
एनुअल वैल्यू कैलुकुलेट कर लेने के बाद आपको म्युचुनिसिपल डिपार्टमेंट को चुकाए गए टैक्स पर टैक्स छूट, स्टैंडर्ड डिडक्शन, प्रॉपर्टी खरीदने, घर बनाने, रिपेयर, रिन्यूअल या रिकंस्ट्रक्शन के लिए लिए गए होम लोन के ब्याज के भुगतान टैक्स छूट क्लेम करने की सुविधा मिलेगी।
अगर आपके पास कई प्रॉपर्टी हैं और आपको एनुअल वैल्यू या टैक्स देनदारी कैलकुलेट करने में दिक्कत आ रही है तो आप टैक्स एक्सपर्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क कर सकते हैं।