फंड बेसिक

फंड में लोड का का क्‍या है मतलब

फंड आपके निवेश का कुछ प्रतिशत चार्ज के तौर पर काट लेता है। इसे लोड कहते हैं

फंड में लोड का का क्‍या है मतलब

आपके कभी सोचा है कि आपको म्‍यूचुअल फंड बेचने वाला डिस्‍ट्रीब्‍यूटर या एजेंट अपना बिजनेस कैसे चलाता है ? आपको क्‍या लगता है कि वह अपनी आजीविका कैसे चलाता है। आपको शायद लगता होगा कि फंड कंपनी उसको फंड बेचने के लिए एक तय रकम कमीशन के तौर पर देती है। यह सही है कि डिस्‍ट्रीब्‍यूटर को एक तय रकम कमीशन के तौर पर मिलती है लेकिन यह फंड कंपनी से नहीं आता है। डिस्‍ट्रीब्‍यूटर यह कमीशन निवेशक से ही हासिल करता है।

यह कमीशन चार्ज के तौर पर लिया जाता है और इस लोड कहते हैं। डिस्‍ट्रीब्‍यूटर को अपना बिजनेस चलाने का खर्च खुद उठाना पड़ाता है और इस खर्च के एक हिस्‍से का भुगतान निवेशक करता है। लोड की वजह से ही निवेशक की एंट्री प्राइस फंड के एनएवी से अधिक होती है। एंट्री प्राइस और एनएवी के बीच का अंतर ही वह चार्ज है जिसे लोड कहा जाता है।

आप शायद जानना चाहेंगे कि लोड कैसे चार्ज किया जाता है। इसके तीन तरीके हैं। पहला तरीका फंड में एंट्री समय चार्ज का है। शुरूआती निवेश से एक रकम लोड के तौर पर काट ली जाती है। इसे एंट्री लोड कहते हैं। उदाहरण के लिए अगर फंड में 100 रुपए निवेश किया जाता है तो फंड 2 फीसदी एंट्री लोड चार्ज करता है। इस तरह से 2 रुपए काटे जाएंगे और वास्‍तव में निवेश की जाने वाली रकम 98 रुपए होगी।

लोड चार्ज करने का दूसरा तरीका फंड भुनाने के समय अपनाया जाता है। निवेश की भुनाई गई रकम से एग्जिट लोड काटा जाता है। ऐसे में अगर फंड में निवेश की रकम बढ़ कर 100 रुपए हो गई और जो 2 फीसदी एग्जिट लोड चार्ज करता है तो निवेशक को निवेश भुनाने पर 98 रुपए मिलेंगे। लोड चा‍र्ज करने का तीसरा तरीका फंड में निवेश बनाए रखने की अवधि पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए अगर यूनिट 6 माह से पहले भुनाई जाती है तो फंड 0.5 फीसदी एग्जिट लोड चार्ज करता है। अलग अलग अवधि के लिए यह आंकड़ा बदलता रहता है। समय आधारित एग्जिट लोड को कंटिनजेंट डेफर्ड सेल्‍स चार्ज (सीडीएससी) कहा जाता है।
ज्‍यादातर इक्विटी फंड एंट्री लोड चार्ज करते हैं। ये एग्जिट लोड चार्ज नहीं करते हैं। एक्टिवली मैनेज्‍ड इक्विटी स्‍कीम में पैसिव तौर पर मैनेज किए जाने वाले इक्विटी स्‍कीमों की तुलना में आम तौर पर लोड अधिक होता है। औसत तौर पर एक्विटवली मैनेज्‍ड इक्विटी फंड 2 फीसदी एंट्री लोड चार्ज करता है जबकि एवरेज इंडेक्‍स फंड 1 फीसदी एंट्री लोड चार्ज करते हैं।

वहीं दूसरी तरफ, डेट फंड एंट्री या एग्जिट लोड नहीं लगाते हैं। हालांकि ज्‍यादातर डेट फंड सीडीएससी चार्ज करते हैं। ज्‍यादातर मध्‍यम और लंबी अवधि वाले डेट और गिल्‍ट फंड निवेश के छह माह के अंदर निवेश भुनाने पर 0.5 फीसदी सीडीएससी चार्ज करते हैं। कम अवधि के डेट फंड सीडीएससी की अवधि घट कर अधिकतम 30 दिन की हो जाती है और लोड गिर कर 0.25 फीसदी हो जाता है। आम तौर पर डेट फंड में सीडीएससी सीडीएससी और उसकी अवधि फंड की निवेश अवधि घटने के हिसाब से कम होती है।

म्‍यूचुअल फंड को 6 फीसदी तक अधिकतम लोड चार्ज करने की अनुमति है। शुरूआती दिनों में इक्विटी फंड इतनी अधिक मात्रा में लोड चार्ज करते हैं। हालांकि आजकल बड़ी संख्‍या में फंड उपलब्‍ध हैं। ऐसे में कंपटीशन बहुत बढ़ गया है और अधिक लोड के दिन अब नहीं रहे।

लोड को अब सकारात्‍मक तौर पर भी देखा जा सकता है। लोड निवेश में अनुशासन लाने में मदद करता है। डेट फंड में 0.5 फीसद सीडीएससी य सुनिश्चित करने के लिए है कि निवेशक छह माह से अधिक अवधि तक निवेश बनाए रखे। इससे निवेशकों क यह फायदा होता है कि इन फंडो की न्‍यूनतम होल्डिंग एक साल या इससे अधिक होनी चाहिए ।

तो लोड क्‍या कुछ ऐसी चीज है जिसे निवेशक को हर हाल में चुकाना चाहिए? बाजार नियामक सेबी की हाल की रूलिंग के अनुसार फंड कंपनियां उस समय लोड चार्ज नहीं कर सकती जब निवेशक सीधे निवेश करता है। इसका मतलब है कि अगर निवेशक फंड कंपनी से सीधे यूनिट खरीदता है डिस्‍ट्रीब्‍यूटर या एजेंट से नहीं तो कोई लोड चार्ज नहीं किया जाता है और समूची रकम निवेश की जाती है।


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