1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो चुकी है. ये वो समय भी होता है जब आपकी कंपनी का एकाउंट डिपार्टमेंट आपसे अपने निवेश की घोषणा करने के लिए कहता और ये भी बताने के लिए कहता कि आप कौन सी टैक्स रिज़ीम चुनना चाहते हैं.
अगर आप वेतन पाने वाले व्यक्ति हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं: पुरानी टैक्स रिज़ीम और नई टैक्स रिज़ीम. इनमें से किसी एक को चुनना ज़रूरी है क्योंकि TDS (टैक्स डिडक्टिबल एट सोर्स) का कैलकुलेशन उसी के मुताबिक़ किया जाता है, जिससे आपकी नेट सैलरी या हर महीने आपके हाथ आने वाली सैलरी तय होती है.
तो, आइए जानें कि आपको कौन सी टैक्स रिज़ीम चुनना चाहिए. नीचे पुरानी और नई टैक्स रिज़ीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब का ब्यौरा दिया गया है, साथ ही दोनों के बीच बुनियादी अंतर भी बताया गया है.
दोनों टैक्स रीज़ीम का अंतर क्या है?
एक ओर जहां पुरानी टैक्स रिज़ीम में कुछ ही टैक्स स्लैब हैं, वहीं नई टैक्स रिज़ीम में हरेक इनकम ग्रुप के हिसाब से टैक्स रेट कम हैं. इसके अलावा, नई रिज़ीम के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर ₹3 लाख कर दी गई है, जबकि पुरानी टैक्स रिज़ीम में ये ₹2.5 लाख है.
नीचे एक टेबल दी गई है जो दोनों रिज़ीम के इनकम टैक्स स्लैब रेट में अंतर दिखाती है.
टैक्स स्लैब: पुरानी टैक्स रिज़ीम बनाम नई टैक्स रिज़ीम
नई टैक्स रिज़ीम में पुराने की तुलना में ज़्यादा टैक्स स्लैब हैं
पुराना टैक्स रिज़ीम
इनकम (₹) | टैक्स रेट (%) |
---|---|
2.5 लाख तक | 0 |
2.5 से 5 लाख | 5 |
5 से 10 लाख | 20 |
10 लाख से ऊपर | 30 |
नया टैक्स रिज़ीम
इनकम (₹) | टैक्स रेट (%) |
---|---|
3 लाख तक | 0 |
3 से 6 लाख | 5 |
6 से 9 लाख | 10 |
9 से 12 लाख | 15 |
12 से 15 लाख | 20 |
15 लाख से ऊपर | 30 |
नोट: 60 साल से कम उम्र के भारतीयों के लिए लागू. |
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जैसा कि आप ऊपर टेबल में देख सकते हैं, नई टैक्स रिज़ीम में हरेक इनकम ग्रुप के हिसाब से टैक्स रेट कम हैं.
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हालांकि, इसमें आपको पुराने रिज़ीम के तहत मिलने वाली कई कटौतियों और छूटों को गंवाना पड़ता है, जिसमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), होम लोन पर ब्याज़, सेक्शन 80C और 80D (हेल्थ इंश्योरेंस पर भुगतान किया गया प्रीमियम) आदि शामिल हैं.
- अच्छी बात ये है कि सेक्शन 87A के तहत रिबेट का फ़ायदा और सैलरी वाले व्यक्तियों के लिए ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन नई टैक्स रिज़ीम में भी लागू है. दूसरे शब्दों में, ये प्रभावी रूप से आपकी ₹7.5 लाख तक की इनकम को टैक्स-फ़्री बनाता है, जबकि पुरानी रिज़ीम में ये सीमा ₹5.5 लाख थी.
पुराना सही या नया: क्या चुनें?
नR टैक्स रिज़ीम में ज़्यादा सुव्यवस्थित और आसान रिटर्न फ़ाइलिंग की सुविधा मिलती है, पर इसमें पुरानी रिज़ीम के तहत मिलने वाली कई कटौतियां (deduction) और छूट (exemptions) शामिल नहीं हैं.
इसलिए, पुरानी टैक्स रिज़ीम उन लोगों के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद है जो दी जाने वाली कटौतियों और छूटों का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे:
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हाउस रेंट अलाउंस
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होम लोन पर ब्याज़
-
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख की टैक्स कटौती
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नेशनल पेंशन स्कीम
में निवेश करने पर ₹50,000 की अतिरिक्त टैक्स कटौती
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम
पुरानी और नई टैक्स रिज़ीम के बीच सीधी तुलना
अगर आप नीचे दी गई टेबल में 'आवश्यक कटौती' टाइटल वाले बीच के कॉलम को देखें, तो वहां लिखी राशि ये तय करने में मदद कर सकती है कि आपको कौन सा रिज़ीम चुनना चाहिए. मिसाल के तौर पर, मान लें कि आपकी सालाना इनकम ₹10 लाख है और आपकी कटौती (HRA, 80C निवेश आदि का कुल जोड़) ₹2.5 लाख से कम है, तो हमारा सुझाव है कि आप नई रिज़ीम चुनें. अगर ये राशि ₹2.5 लाख से ज़्यादा है तो पुरानी रिज़ीम अपनाएं.
पुराना बनाम नया: कौन सा रिज़ीम बेहतर है?
यदि कटौती 'आवश्यक राशि' से ज़्यादा है तो पुराना टैक्स रिज़ीम चुनें
इनकम (₹) | आवश्यक कटौती (₹) | टैक्स लाएबिलिटी (₹) |
---|---|---|
7 लाख तक | 1,50,000 | - |
8 लाख | 1,62,500 | 31,200 |
9 लाख | 2,12,500 | 41,600 |
10 लाख | 2,50,000 | 54,600 |
11 लाख | 2,75,000 | 70,200 |
12 लाख | 3,00,000 | 85,800 |
13 लाख | 3,12,500 | 1,04,000 |
14 लाख | 3,25,000 | 1,24,800 |
15 लाख | 3,58,333 | 1,45,600 |
15.5 लाख से 50 लाख | 3,75,000 | 1,56,000 + 15.5 लाख से ज़्यादा इनकम पर 31.2% |
नोट: ₹50,000 के स्टैंडर्ड डिडक्शन को ध्यान में रखते हुए की गई कैलकुलेशन |
हमारा नज़रिया
नई टैक्स रिज़ीम ₹7.5 लाख या उससे कम सालाना इनकम वाले व्यक्तियों के लिए एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इस राशि तक कोई टैक्स नहीं लगाया जाता है.
सालाना ₹7.5 लाख से ज़्यादा कमाने वालों के लिए पुराना रिज़ीम ज़्यादा बेहतर हो सकती है, बशर्ते आप मिलने वाली कटौती और छूट का फ़ायदा उठाएं. आप हमारे टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके ये तय कर सकते हैं कि किस रिज़ीम से आपको ज़्यादा फ़ायदा होगा.
अगर टैक्स कैलकुलेटर ये बताता है कि पुराना रिज़ीम आपके लिए बेहतर है, तो आपको इसे ख़ुद से चुनना होगा क्योंकि सरकार ने FY24 से नए टैक्स रिज़ीम को डिफ़ॉल्ट विकल्प बना दिया है.