क्या ऐसे शेयर हमेशा फ़ायदा देते हैं जिसका रिटर्न रेशियो ज़्यादा हो?
एस्ट्रल पाइप्स में निवेश करने वाले कहेंगे कि ऐसा होता है. FY19-23 के बीच, इस पाइप और फ़िटिंग निर्माता ने 26 फ़ीसदी नियोजित पूंजी (capital employed or ROCE) पर पांच साल का औसत रिटर्न प्रभावशाली तरीक़े से क़ायम रखा. और इसी अवधि में बाज़ार ने इसे 34 फ़ीसदी के सालाना शेयर प्राइस ग्रोथ का ईनाम भी दिया.
लेकिन कैस्ट्रोल के शेयरधारकों से भी यही बात पूछेंगे, तो उनका मूड ख़राब हो जाएगा. FY19-23 के बीच कैस्ट्रोल ने 76 फ़ीसदी का ROCE बनाए रखा. हालांकि, इस अवधि में, इस स्टॉक ने 6 फ़ीसदी सालाना का मामूली रिटर्न ही दिया.
इस दोनों बातों, ये साफ़ है कि बाज़ार का कितना प्यार मिलेगा ये सिर्फ़ इस रेशिया से ही तय नहीं होता. ये खेल कुछ ज़्यादा गहराई वाला है.
एक कहानी दो ROCE की
ये समझने के लिए कि बाज़ार ने इन शेयरों पर अलग-अलग नतीजे क्यों दिए, हमें पहले ये समझना होगा कि रिटर्न रेशियो कैसे मापा जाता है. ROCE, सवाल में रेशियो, एक तय वक्त में ब्याज और टैक्स से पहले कंपनी की कमाई या न्यूमिरेटर (numerator) और नियोजित पूंजी या कैपिटल इंप्लॉइड (the denominator) के बीच का रेशियो है, यानी, शेयरधारकों की इक्विटी, प्लस टोटल डेट (debt). ज़्यादातर रिटर्न रेशियो, कंपनी की कमाई और इक्विटी के साथ जुड़े होते हैं.
इस तरह, हाई रिटर्न रेशियो (ROCE, ROE, आदि) हासिल करने के दो रास्ते हैं. आप या तो अपनी कमाई, न्यूमिरेटर(numerator) में सुधार करते हैं, या अपनी इक्विटी, डीनॉमिनेटर (denominator) में कमी करते हैं.
न्यूमिरेटरको बढ़ाने का इकलौता तरीक़ा ग्रोथ के नए रास्ते ढूंढना है, उनमें निवेश करना है, और अपनी कमाई को बढ़ाना है. और एस्ट्रल कंपनी ने यही किया. इस कंपनी ने वित्त-वर्ष 2019-23 के बीच क़रीब ₹1,000 करोड़ ख़र्च किए, जिसका मक़सद पाइप और फ़िटिंग से लेकर पेंट, नल, सैनिटरीवेयर वगैरह तक, सभी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करना था.
दूसरी ओर, डीनोमिनेटर में कमी, यानी शेयरधारकों की इक्विटी, ROCE को भी बढ़ा सकती है. ऐसा तब होता है जब कंपनियां भारी डेविडेंट (लाभांश) देती हैं या बायबैक (buyback) करती हैं. हमारे मिसाल में, कैस्ट्रोल ने डेविडेंट (लाभांश) का रास्ता अपनाया. FY19-23 के बीच, इसका एवरेज डेविडेंट पेआउट रेशियो (DPR) 79 फ़ीसदी था.
तो, ये साफ़ है कि बाज़ार डेविडेंट से ज़्यादा दोबारा से निवेश को पुरस्कृत करता है. हमारे अहम सवाल का जवाब देने के लिए, बाज़ार लगातार हाई रिटर्न रेशियो वाले शेयरों को पुरस्कृत करता है. हालांकि, ये अक्सर उन बिज़नस को फ़ायदा देता है, जो इसे दोबारा निवेश करते हैं.
निवेशकों के लिए एक सौगात
इन्हीं बात ध्यान में रखते हुए, हमने BSE 500 से मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर नीचे गई खासयितों को साझा करने वाली 10 कंपनियों को फ़िल्टर किया:
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पांच साल का औसत ROCE कम से कम 15 प्रतिशत
- पांच साल का औसत डेविडेंट पेआउट रेशियो (लाभांश भुगतान अनुपात) 30 फ़ीसदी से कम
हाई ROCE और कम डेविडेंट पैयआउट वाली शीर्ष 10 BSE 500 कंपनियां
अधिकांश कंपनियां बेंचमार्क को मात देने में कामयाब रहीं
कम्पनी | मार्केट कैप | 5Y औसत ROCE (%) | 5Y औसत DPR (%) | 5Y CAGR (%) |
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एवेन्यू सुपरमार्ट | 2,41,825 | 19.4 | 0.0 | 20.5 |
JSW स्टील | 1,98,889 | 16.1 | 16.9 | 23.7 |
वरुण बैवरेजेज़ | 1,86,054 | 17.2 | 16.7 | 65.7 |
साइमेंस | 1,55,970 | 16.9 | 24.5 | 34.7 |
ट्रेंट | 1,39,872 | 15.7 | 26.7 | 63 |
गोदरेज कन्ज्युमर प्रोडक्ट्स | 1,23,015 | 19.1 | 24 | 12 |
सिप्ला | 1,15,097 | 15.6 | 18.8 | 21.3 |
अडानी टोटल गैस | 1,11,020 | 27.3 | 6.9 | 60.1 |
आयशर मोटर्स | 1,06,850 | 25.6 | 27.5 | 14.3 |
डॉ. रेड्डी लेबोरेट्रीज़ | 1,04,422 | 16.2 | 19.3 | 18.6 |
14 फरवरी, 2024 तक रिटर्न और मार्केट कैप ROCE नियोजित पूंजी पर रिटर्न है और DPR डेविडेंट पैयआउट अनुपात है BFSI और IT कंपनियों को बाहर रखा गया |
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