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सही ETF कैसे चुनें?

एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड को चुनने से पहले कुछ बातों पर ग़ौर करना ज़रूरी है, ये सही ETF तलाशने में आपकी मदद कर सकती हैं.

सही ETF कैसे चुनें?

एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड (ETF) पैसिव फ़ंड्स होते हैं, जो आम तौर पर मैनेज किए जाने वाले फ़ंड्स की के मुक़ाबले कम ख़र्चीले होते हैं.

पिछले कुछ साल में, काफ़ी ETF आए हैं, और फ़ंड हाउसों ने कई अलग-अलग थीम पर ETF लॉन्च किए हैं. हालांकि, अगर आप ज़्यादा रिटर्न के लिए ETF में निवेश करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी ETF पर विचार कर सकते हैं. लेकिन अगर आप एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो कुछ बातों का ख़ास ध्यान रखना ज़रूरी है.

ख़ास इंडेक्स: चूंकि सभी ETF किसी इंडेक्स को फ़ॉलो करते हैं, इसलिए निवेशकों को अपनी जोख़िम लेने की क्षमता के मुताबिक़ किसी फ़ंड को चुनना चाहिए. उदाहरण के लिए, निफ़्टी या सेंसेक्स ETF, निफ़्टी या सेंसेक्स इंडेक्स को ट्रैक करता है, जिसमें भारत की सबसे अच्छी कंपनियां शामिल होती हैं. निवेशक कई तरह के ETF में से चुनाव कर सकते हैं, जिनमें सेक्टोरल ETF, नेक्स्ट 50 ETF, क्वालिटी ETF और मोमेंटम ETF शामिल हैं. हालांकि, धनक में, हम प्योर इक्विटी फ़ंड (एक्टिव या पैसिव फ़ंड) में निवेश करने की सलाह देते हैं, और साथ ही किसी भी थीमैटिक फ़ंड से दूर रहने के लिए कहते हैं.

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ट्रैकिंग एरर: ये इंडेक्स के हर रोज़ के कुल रिटर्न और फ़ंड प्लान की नेट ऐसेट वैल्यू (NAV) के अंतर के स्टैंडर्ड डीविएशन या मानक विचलन के तौर पर होता है. आसान शब्दों में, ये ETF और इंडेक्स से मिलने वाले रिटर्न के बीच का अंतर है. आम तौर पर, ट्रैकिंग एरर जितना कम होगा, फ़ंड उतना ही बेहतर परफ़ॉर्म करेगा.

ख़र्च: इन्वेस्टर ETF इसलिए चुनते हैं क्योंकि वो एक्टिव इक्विटी फ़ंड की तुलना में कम ख़र्च में ख़ास इंडेक्स का परफ़ॉर्मेंस दिखाते हैं. इसलिए, अगर किसी फ़ंड का रिटर्न इंडेक्स जैसा ही है, तो निवेशकों को उसी इंडेक्स के बीच सबसे सस्ते ETF को चुनना चाहिए.

लिक्विडिटी: ETF के बारे में फ़ैसला करते समय कुछ ज़रूरी बातों को ध्यान रखना चाहिए. इसमें लिक्विडिटी अहम होती है ताकि निवेशक आसानी से यूनिट्स ख़रीद और बेच सकें. निवेशकों को ऐसे ETF में निवेश करना चाहिए जिनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम ज़्यादा हो, वरना ट्रेडिंग कम होने पर, उन्हें अपने ETF को एक साथ बेचना काफ़ी मुश्किल हो सकता है.

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