इक्विटी बाज़ार नई ऊंचाईयों पर चढ़ रहा है, तो क्या आप स्मार्ट SIP के ज़रिए इन्वेस्ट करने का सुझाव देंगे?
- सब्सक्राइबर
स्मार्ट SIP, रेगुलर SIP की इनोवेटिव ब्रांच है
वे स्मार्ट हैं क्योंकि हर महीने इक्विटी में कितना पैसा इन्वेस्ट किया जाता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि मार्केट कैसा परफ़ॉर्म कर रहा है. यानी ये अपने निवेश में ज़्यादा फ़्लेक्सिबल हैं और इनके फ़ैसले मार्केट को देख कर लिए जाते हैं.
दरअसल, एक एल्गोरिदम है जो कि ख़ास पैरामीटर के आधार पर तय करती है कि बाज़ार महंगा है या सस्ता. इसलिए, अगर एल्गोरिथम ये मानता है कि मार्केट की वैल्यू काफ़ी ज़्यादा है, तो फिर आपके SIP अमाउंट का केवल एक हिस्सा इक्विटी (equity) में निवेश किया जाता है. इसका बाक़ी हिस्सा, लिक्विड फ़ंड (liquid fund) में भेज दिया जाता है जो एक तरह का डेट फ़ंड (debt fund) है. अगर कंपनी के स्टॉक डिस्काउंट पर बिज़नस कर रहे हैं, तो लिक्विड फ़ंड के मुक़ाबले इक्विटी में ज़्यादा पैसा निवेश किया जाता है.
मोटे तौर पर स्मार्ट SIP इसी तरह काम करती हैं
इसकी थ्योरी को समझें, तो ये एक विनिंग स्ट्रैटेजी लगती है. आप इक्विटी में कम इन्वेस्ट करते हैं जब वो महंगी होती हैं और निवेश डेट फ़ंड में किया जाता है. लेकिन इसमें, कोई भी, हमेशा और लगातार सही नहीं हो सकता.
सरल रहने की ताक़त
दरअसल, सामान्य SIP असल में मार्केट को टाइम करने (मार्केट का अंदाज़ा लगाने) की समस्या का समाधान है. इस मामले में, आप बाज़ार में अपने निवेश को जारी रखते हैं, फिर चाहे उसकी वैल्यू महंगी हो या सस्ती. हालांकि ये रिस्की हो सकता है लेकिन लगातार चलने वाली SIP से लागत के औसत होने का फ़ायदा मिलता है.
आम आदमी के लिए, लागत की औसत का मतलब है कि जब स्टॉक की क़ीमत नीचे गिरती हैं तब ज़्यादा म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स ख़रीदे जाते हैं और क़ीमतें ज़्यादा होने पर कम यूनिट्स ख़रीदते हैं. तो, बाज़ार का अनुमान लगाने के रिस्क और तनाव से बचने के लिए,ये एक सरल और बेहतर स्ट्रैटेजी है. साथ ही, ये आपको निवेश में अनुशासित रहने में मदद करती है. इससे लंबे समय में अच्छा ख़ासा पैसा बनाया जा सकता है.
संक्षेप में कहें, तो हमारा सुझाव है कि आप अपनी रेगुलर SIP जारी रखें और इसे आसान रखें.
ये भी पढ़ें: Mutual Fund SIP: कैसे चुनें अच्छा फ़ंड