तमाम तरह की ख़राब फ़ाइनेंशियल एडवाइस मौजूद हैं, ख़ासकर नौसिखिए निवेशक के लिए. साफ़-साफ़ नज़र आने वाली सबसे ख़राब सलाह है क्रिप्टो ख़रीदने या डेरिवेटिव ट्रेडिंग से पैसा कमाने की. हालांकि, इस तरह की सलाह से समझदार निवेशकों को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता क्योंकि उन्हें ज़ाहिर तौर पर दिख रहा होता है कि ये ग़लत क़िस्म की सलाह है.
मेरी नज़र में इससे भी बदतर है, म्यूचुअल फ़ंड निवेश की ख़राब सलाह, और क्योंकि ये एसेट क्लास स्वाभाविक तौर पर समझदारी भरा निवेश है, इसलिए निवेशक इसे लेकर दी जाने वाली ख़राब और अच्छी सलाह के बीच आसानी से फ़र्क़ नहीं कर पाते. और इसमें भी सबसे बुरी सलाह होती है जिसमें उम्मीदें वास्तविकता से बहुत दूर होती हैं. सोशल मीडिया या यूट्यूब पर जाएंगे, तो आपको 'हर महीने 10 साल तक ₹20,000 लगाएं और ₹5 करोड़ बनाएं' जैसी लुभावने दावे करने वाला बहुत सा कॉन्टेंट दिख जाएगा. पर क्या ऐसा किया जा सकता है? नहीं, ऐसा नहीं किया जा सकता - ऐसा होगा तो सालाना 58 प्रतिशत का रिटर्न रेट होगा, जिसे एक दशक तक इसी तरह रहना होगा. तो क्या ऐसा वादा किया जा सकता है, और कुछ लोग इस पर विश्वास भी करेंगे? बिल्कुल, और इसका कारण समझना भी मुश्किल नहीं.
हालांकि, जब बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए गए अजीबोग़रीब दावों की तह में जाएंगे, तो आपको एक ख़ास तरह का इंसानी फ़ेलियर दिखाई देगा: जिसे हवाई क़िले बनाना कहा जाएगा. बचत करने वाले कुछ पैसा निवेश करते हैं और चाहते हैं कि ये छप्पर फाड़ तरीक़े से बढ़ जाए. वैसे ठीक भी है, कौन नहीं चाहता. वैल्यू रिसर्च का मिशन ही बचत करने वालों को उनकी बचत से ज़्यादा फ़ायदा पाने में मदद करना है. हालांकि, रिटर्न को ज़्यादा से ज़्यादा करने और असंभव क़िस्म के रिटर्न की चाहत के बीच फ़र्क़ होता है.
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तो, अपने निवेश से ज़्यादा पैसा बनाने का तरीक़ा क्या है? इस सवाल के कई जवाब हैं, पर केवल दो ही पक्के जवाब हैं. पहला, ज़्यादा निवेश करें, और दूसरा, निवेश को ज़्यादा वक़्त दें. बेहतर होगा कि दोनों करें. जो लोग जादुई रिटर्न चाहते हैं, उन्हें ये एक मज़ाक, या इससे भी बदतर, एक मज़ाक उड़ाने वाला जवाब लगेगा. लेकिन यही सच है. ये मेरे अपने समाधान हैं, जो हमेशा काम करते हैं.
असली मुद्दा है कि रिटायरमेंट के लिए बचत केवल एक अमूर्त बौद्धिक कसरत नहीं है. रिटायरमेंट के बाद बचत से आपकी असल दुनियावी ज़रूरत का ठोस मक़सद पूरा होना चाहिए. हालांकि, अगर लोग अपनी बचत के अतिश्योक्ति भरे अनुमानों पर भरोसा करेंगे, तो ये सुरक्षा का भ्रम तो दे सकता है पर बचत करने वाले की असली ज़रूरत से कम बचत करने की ग़लती भी करवा सकता है.
सच तो ये है कि भविष्य अनिश्चित भी होता है और अप्रत्याशित भी. हर रिटायरमेंट की बचत की कैलकुलेशन, चाहे किसी निवेशक ने किया हो या मेरे जैसे विश्लेषक ने या फिर किसी एक्सपर्ट ने किया हो, अंत में केवल धारणाओं और पुराने पैटर्न के आधार पर लगाया गया अनुमान ही होता है. हालांकि, पर्सनल फ़ाइनांस एक व्यावहारिक मसला है जिसमें जीवन के वास्तविक लक्ष्यों को पूरा करने की ज़रूरत होती है.
सही नज़रिया ये नहीं कि हम अपनी रिटायरमेंट की बचत के अनुमान को ज़्यादा सटीक बनाने की कोशिश में ज़्यादा रिटर्न का वादा करने वाले निवेश तलाशें. सही सोच है कि हम भविष्य की अनिश्चितता और सटीक अनुमानों की ग़ैरमौजूदगी को स्वीकार करें.
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तो हम क्या कर सकते हैं? दरअसल बड़ी बात ये समझना है कि लॉन्ग-टर्म सेविंग में अनदेखी और अचानक होने वाली घटनाएं होंगी ही. इतिहास बताता है कि अशांत आर्थिक दौर में पॉज़िटिव सरप्राइज़ के मुक़ाबले नेगेटिव सरप्राइज़ कहीं ज़्यादा होते हैं. बहुत ज़्यादा आशावादी भविष्यवाणियों में अनुमान के सटीक होने के किसी भ्रम का पीछा करने के बजाय, हमें अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग में मज़बूती का पुट बनाए रखना चाहिए. ऐसी मज़बूती, जो बाज़ार से मिलने वाले ख़राब रिटर्न का सामना करने के क़ाबिल हो.
बचत और रिटर्न का सही अंदाज़ा लगाने से भविष्य में नेगेटिव सरप्राइज़ से बचने में मदद मिल सकती है. बचत का लक्ष्य, रिटायरमेंट की बचत होना चाहिए जो हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफ़ी लचीली हो, फिर चाहे भविष्य हमारे अंदाज़ के उलट एक ख़राब मोड़ ले ले.
और अगर आप ज़रूरत से ज़्यादा पैसे बचा लेते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है? आप अपने बच्चों और पोते-पोतियों के लिए एक बड़ी संपत्ति छोड़ सकेंगे. ये तो ये कोई बुरी ख़बर नहीं लगती.
हमारी जनवरी 2024 की म्यूचुअल फ़ंड इनसाइट की कवर स्टोरी में आप देखेंगे कि आप आसानी से बचत की सही रक़म तय करने की स्ट्रैटजी बना सकते हैं. बशर्ते, उम्मीदें असलियत के धरातल पर खड़ी हों और प्लानिंग में सेफ़्टी का सही मार्जिन हो.
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