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जब महंगाई घर पर हमला करे...

और ख़र्च जब जेब पर भारी पड़े, तो क्या किया जाए?

जब महंगाई घर पर हमला करे...

महंगाई बड़ी बलवान!
गाड़ी का तेल, घर का राशन और सरकारें - इन सब को महंगाई आसमान पर पहुंचा सकती है, और नीचे भी गिरा सकती है.

निजी तौर पर, अगर आपको फ़लसफ़ा पसंद है, तो एक दार्शनिक के अंदाज़ में आप कह सकते हैं कि मंगाई वो टैक्स है, जो लंबा जीवन जीने के लिए अदा करना ही पड़ता है.

मगर क्या महंगाई हर किसी पर एक जैसा असर करती है? या एक ही तूफ़ान में हम अलग-अलग नावों के शह-सवार होते हैं?

चलिए, दर्शनशास्त्र के लच्छेदार तरीक़े को छोड़ कर, इसी बात को सीधे-सपाट सवालों के तौर पर देखते हैं.

  • महंगाई इतना मायने क्यों रखती है - टमाटर, दाल और ईंधन के अलावा?
  • महंगाई का असर हर इंसान/ घर पर इतना अलग-अलग क्यों होता है?
  • आपके लिए महंगाई का क्या मतलब है, और आप इसे कैसे मैनेज करते हैं?

मार गई महंगाई
वक़्त के साथ महंगाई आपकी ख़रीदने की क्षमता को खाती रहती है. अगर 10 साल पहले, आप अजमेर जैसे छोटे शहर में ₹15 लाख में अपना घर ख़रीद लेते थे, तो आज क़रीब ₹30 लाख ख़र्च करने पड़ेंगे.

इसका मतलब हुआ कि आपके माता-पिता के मुक़ाबले आपको, कम-से-कम दोगुना पैसा ख़र्च करना होगा तभी आप घर ख़रीद पाएंगे. और, ये तब है जब हम मान के चल रहे हैं कि आपका परिवार, मतलब - जीवन-साथी, बच्चे, और उम्र दराज़ होते माता-पिता की जीवन-शैली वही रहे, जो पहले आपके माता-पिता की हुआ करती थी.

या, अगर तब, आपके माता-पिता ने ऐसे निवेश किए होते जो महंगाई दर से ज़्यादा रिटर्न देते.

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ये तेरा घर, ये मेरा घर
मगर मैं बुढ़ापे के लिए उनके जितना क्यों नहीं बचा सकती? क्योंकि शायद वो आपकी तरह बाहर खाने, या घूमने नहीं जाते. या, शायद ये भी हो सकता है वो OTT प्लेटफ़ॉर्म पर फ़िल्में देखते हैं और आप थियेटर जाती हो. दूसरे शब्दों में मेरे और आपके लाइफ़-स्टाइल अलग हो सकते हैं इसलिए. तो, कुल मिला कर महंगाई हर किसी पर एक सा असर नहीं डालती.

जब हम महंगाई की स्टडी करते हैं, तो आमतौर पर हम CPI या कस्टमर प्राइस इंडेक्स ही देखते हैं. ये कस्टमर के स्तर पर दामों के उतार-चढ़ाव के आधार पर तय होता है.

RBI के मुताबिक़, CPI आठ कैटेगरी में बंटा हुआ है: शिक्षा, संचार, ट्रांसपोर्ट, मनोरंजन, कपड़े, खाना और पेय-पदार्थ, आवास, और स्वास्थ्य की देखभाल.

आप ज़रा सोचिए, क्या मनोरंजन पर हर कोई एक जैसा ख़र्च करता है? नहीं न, क्योंकि कुछ लोग बाहर जा कर फ़िल्में देखना पसंद करते हैं, वहीं कुछ दूसरे OTT पर ही फ़िल्में देख लेते हैं. कुछ लोग शराब और पार्टियों पर ख़र्च करते हैं और घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं. वहीं कुछ दूसरे लोग ये सब नहीं करते.

ज़रूरी ख़र्च की बात करें, तो हममें से कुछ लोग घर पर खाते हैं, वहीं कुछ लोग बाहर से मंगवाते हैं या बाहर खाने जाते हैं. हममें से कुछ लोगों को डायबिटीज़, हाइपरटेंशन जैसी बला मिल गई है, तो कुछ लोगों के दवाई के ख़र्च काफ़ी कम होते हैं.

मिसाल के तौर पर, मेरे पिता दिल के मरीज़ हैं, और मेरी मां को क्रॉनिक डायबिटीज़ है. उनकी दवाओं के ख़र्च मुझसे काफ़ी अलग हैं, यहां तक कि आपस में उन दोनों का मेडिकल ख़र्च भी काफ़ी अलग-अलग हैं. इसके अलावा, अगर मेरे पड़ोसी, जो डायलेसिस पर हैं, उनसे तुलना करूं तो बात बिल्कुल ही अलग हो जाएगी.

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अपनी निजी महंगाई को जानना ज़रूरी है
इसे पता करने की एलगोरिदम जटिल है. इसके लिए या तो आप RBI का CPI वाला तरीक़ा अपना सकते हैं जो कई सौ आइटमों वाला है, और काफ़ी बड़ा डेटा है. या फिर, थोड़ी सी मेहनत से नीचे दिया डायग्राम समझ सकते हैं.

हमने आपके लिए यहां, मध्यम-वर्गीय परिवार के रोज़मर्रा के कुछ ख़र्चों की पहचान की है. इनमें कुछ ज़रूरी और कुछ ग़ैर-ज़रूरी या वैकल्पिक ख़र्च शामिल किए गए हैं. इन्हें हमने 11 साल के दौरान मैप किया (2012 में RBI की तय की गई बेस-लाइन के मुताबिक़) और 11 साल की औसत महंगाई दर के आधार पर रेट किया है.

जब महंगाई घर पर हमला करे...

कुछ ऐसे ख़र्च ऐसे हैं जिनके दाम औसत से ज़्यादा बढ़े हैं. और कुछ के दूसरों के मुक़ाबले कम बढ़े हैं या बराबर ही रहे हैं.

आपको सिर्फ़ नोट करना है कि आपके ज़्यादातर ख़र्च औसत महंगाई दर से कम है. या ज़्यादा.

और हां, ये भी याद रखिए कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, कुछ ख़र्च भी बढ़ते हैं, और कुछ दूसरे कम भी होते हैं. मिसाल के तौर पर, आपके काम से जुड़े ख़र्च, जैसे - कपड़े, बाहर आना-जाना, पैट्रोल के ख़र्च कम हो जाएंगे; मगर मनोरंजन, या लंबी यात्राएं, और दवाई के ख़र्च बढ़ भी सकते हैं.

जब महंगाई घर पर हमला करे...

निजी महंगाई दर को जानने का एक और तरीक़ा

इसके लिए आप ये आसान स्टेप को फ़ॉलो करें:
1. एक साल पहले के अपने महीने के ख़र्च की लिस्ट बनाएं - उसमें घर के राशन से लेकर हर तरह का ख़र्च शामिल करें.
2. अब, इनके दामों की तुलना मौजूदा दामों से करें.
3. इसे प्रतिशत में बदल कर देखें - ये आपकी निजी महंगाई दर है.
मिसाल के तौर पर, अगर आपका महीने का ख़र्च ₹50,000 से बढ़ कर ₹65,000 हो गया है, तो आपकी निजी महंगाई दर 30% होगी.

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निजी महंगाई को कैसे क़ाबू करें

निवेश से!
सक्रिय तौर पर ऐसे निवेश करें जो आपकी वैल्थ बढ़ाने में आपकी मदद करें.

हमारे लिए ये सब कहना आसान है कि आपको अपने ख़र्च कम करने चाहिए, मगर ये काम हम आपके लिए नहीं कर सकते.

एक ही बात हम आपको पूरे विश्वास के साथ बता सकते हैं कि महंगाई को मात देने का एक ही भरोसेमंद तरीक़ा है. और इक्विटी में निवेश का सबसे सुरक्षित तरीक़ा म्यूचुअल फ़ंड हैं!


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