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NFO या एक स्थापित फ़ंड, किसमें निवेश बेहतर?

NFO में निवेश से जुड़े आशुतोष के इस सवाल का जवाब आपके भी काम का हो सकता है

NFO या एक स्थापित फ़ंड, किसमें निवेश बेहतर?

NFO या किसी अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फ़ंड्स में से किसमें निवेश करना बेहतर है? - आशुतोष

ये हमारे एक पाठक का सवाल है. लेकिन इसका जवाब देने से पहले आपको कुछ बातें ज़रूर जान लेनी चाहिए.

NFO क्या होते हैं?
New Fund Offer: हर म्यूचुअल फ़ंड एक न्यू फ़ंड ऑफ़र के रूप में शुरू होता है. इस तरह से NFO एक ऑफ़र है, जहां लोग अपना पैसा लगाते हैं और फिर फ़ंड मैनेजर निवेश शुरू करते हैं.

What is NFO: इस तरह NFO एक नई शुरुआत की तरह है, जहां आपको सिर्फ़ ये पता चलता है कि आपके पैसे को कौन मैनेज कर रहा है. आप सिर्फ़ फ़ंड के दावे वाली स्ट्रैटेजी ख़रीदते हैं उसका ट्रैक रिकॉर्ड नहीं.

हालांकि, भारी भरकम विज्ञापनों और प्रचार के चलते NFO अक्सर बड़ी रक़म जुटाने में क़ामयाब होते हैं. ऐसे में कई लोग बेहद साधारण आइडिया में भी पैसा लगा देते हैं.

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NFO से म्यूचुअल फ़ंड्स अलग कैसे हैं?
What is Mutual Fund: जब NFO के ज़रिये मिले पैसे को फ़ंड मैनेजर निवेश करना शुरू करते हैं, तो पुराने होने के साथ इसकी हिस्ट्री यानी ट्रैक रिकॉर्ड तैयार होता है. पुराने म्यूचुअल फ़ंड का एक पोर्टफ़ोलियो होता है, जहां आप देख सकते हैं कि फंड ने कहां निवेश किया है और गिरते और चढ़ते बाज़ार में इसका परफ़ार्मेंस कैसा रहा है. इसके परफ़ॉरमेंस का एक बड़ा हिस्सा काफ़ी हद तक फ़ंड की शुरुआत पर निर्भर करता है.

जब कोई नया निवेशक किसी फ़ंड को चुनता है, तो इसमें दूसरी कई बातों के साथ उसके पिछले परफ़ॉरमेंस पर भी ग़ौर किया जाता है.

हमारी राय
लाइफ़ में तजुर्बा बहुत मायने रखता है. समय के साथ हमारे फ़ैसले बेहतर होते जाते हैं. यही बात म्यूचुअल फ़ंड इन्वेस्टमेंट पर भी लागू होती है. यही वजह है कि हम इन्वेस्टर्स को एक लंबी हिस्ट्री और मज़बूत ट्रैक रिकॉर्ड वाले फ़ंड को चुनने की सलाह देते हैं. इसलिए एक नए फ़ंड और पुराने फ़ंड के बीच चुनना हो, तो तजुर्बे वाले यानी पुराने को चुनना बेहतर होता है.

एक फंड अलग-अलग मार्केट साइकल से गुज़र चुका होता है और एक अनुभवी फ़ंड मैनेजर उस पर नज़र रखता है. वो किसी भी तेज़ी का फ़ायदा उठाने या मार्केट के अलग-अलग चरणों के दौरान आपके निवेश की रक्षा करने के लिए सबसे सही होगा.

यहां एक और दिलचस्प बात बतानी ज़रूरी है. कुछ इन्वेस्टर्स NFO को एक IPO समझने की ग़लती करते हैं, जबकि दोनों में काफ़ी अंतर है. दरअसल, स्टॉक का प्राइस सप्लाई और डिमांड पर आधारित होता है, जबकि म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स की सप्लाई हमेशा ही बनी रहती है. फ़ंड की डिमांड का उसके NAV पर कोई असर नहीं होता है.

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क्या आपके मन में कोई और सवाल है? हमसे पूछिए


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