Multibagger Stocks: माना जाता है कि ज़्यादातर लॉर्ज-कैप कंपनियां वेल्थ की कम्पाउंडिंग , यानी पैसा तेज़ी से बढ़ाने के मामले में अच्छी नहीं होतीं. वे ग्रोथ साइकल की बाद की स्टेज में होती हैं और इसीलिए, उनमें ग्रोथ की ख़ास गुंजाइश नहीं होती. लेकिन क्या इस धारणा में सच्चाई है या ये सिर्फ़ एक मिथक है.
इस दावे की जांच के लिए, हमने उन कंपनियों पर ग़ौर किया जिनका मार्केट कैप 10 साल पहले ₹80,000 करोड़ से ज़्यादा था, और वर्तमान में कम से कम ₹1,00,000 करोड़ है.
इस फ़िल्टर को लगाने के बाद, हमारे सामने 15 कंपनियां थीं. इन 15 में से 12 का मार्केट कैप दिए गए टाइमफ़्रेम में दोगुने से ज़्यादा हो गया.
लार्ज-कैप के मिथक को तोड़ते शेयर
इनमें से ज़्यादातर कंपनियों का साइज़ दोगुने से ज़्यादा हो गया
कंपनी | सेक्टर | मार्केट कैप में ग्रोथ (गुनी) | 10 साल का मीडियन ROE |
---|---|---|---|
रिलायंस इंडस्ट्रीज | क्रूड ऑयल | 6.7 | 11.8 |
HDFC बैंक | बैंक | 5.7 | 18.4 |
ICICI बैंक | बैंक | 5.4 | 13.6 |
HUL | FMCG | 4.9 | 77 |
भारतीय एयरटेल | दूरसंचार | 4.4 | 5 |
SBI | बैंक | 4 | 9.2 |
TCS | IT | 3.9 | 39.3 |
इंफ़ोसिस | IT | 3.9 | 25.7 |
लार्सन एंड टुब्रो | इंफ्रास्ट्रक्चर | 3.9 | 14.3 |
विप्रो | IT | 2.3 | 18.7 |
सन फार्मा | हेल्थकेयर | 2.3 | 14.5 |
ITC | FMCG | 2.1 | 25.9 |
NTPC | पावर | 1.6 | 12.3 |
कोल इंडिया | माइनिंग | 0.8 | 37.5 |
ONGC | क्रूड ऑयल | 0.8 | 13.3 |
इससे साफ़ है कि लॉर्ज-कैप्स भी मल्टीबैगर हो सकते हैं. लेकिन कम्पाउंडिंग की क्षमता नीचे बताए गए दो फ़ैक्टर्स पर निर्भर करती है:
लगातार ग्रोथ
किसी कंपनी की ग्रोथ उसकी इंडस्ट्री की ग्रोथ की संभावनाओं से तय होती है. भारत में IT, बैंकिंग, FMCG, दूरसंचार और कई दूसरे क्षेत्रों में क्रांति आई है. ये कंपनियां ग्रोथ के इस मौक़े का फ़ायदा उठाने में सक्षम थीं. इनमें से हरेक कंपनी अपनी-अपनी इंडस्ट्री की मार्केट लीडर है.
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दमदार कमाई
इंडस्ट्री की संभावनाओं से फ़र्क़ नहीं पड़ता. दरअसल, मार्केट ऐसी कंपनी को रिवार्ड नहीं देता है जिसे लगातार कमाई नहीं हो रही हो या कैपिटल पर रिटर्न औसत से कम हो. हमने जिन 15 कंपनियों का उल्लेख किया है, उनमें से 13 का मीडियन रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 10 फ़ीसदी से ज़्यादा रहा.
आपके लिए सबक़
संजय भट्टाचार्य ने एक बार कहा था, "आप कोई शेयर नहीं, बल्कि आप एक बिज़नस ख़रीद रहे हैं. इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उसका मार्केट कैप कितना है." हम इस जाने-माने भारतीय इन्वेस्टर की बात से सहमत हैं.
ये मार्केट कैप नहीं बल्कि बिज़नस है, जो ग्रोथ के मौकों की पेशकश करता है. इसलिए, मल्टीबैगर्स कहीं भी पाए जा सकते हैं. इक्विटी निवेश की सफलता का रहस्य यही है: एक ऐसा बिज़नस खोजें जो आपको लगता है कि बढ़ सकता है, कंपनी की बुनियादी बातों का एनालिसिस करें, और लंबे समय के लिए दांव लगाएं.
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