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Mutual Funds का साइज़ मायने रखता है?

म्यूचुअल फ़ंड्स में ज़्यादा इनफ़्लो आने से फ़ंड मैनेजर्स के लिए अच्छे स्टॉक खोजना मुश्किल हो जाता है

Mutual Funds का साइज़ मायने रखता है?

Mutual Funds: जब फ़ंड्स सफल हो जाते हैं तो उन्हें इन्वेस्टर्स की तरफ़ से ज़्यादा पैसा मिलना शुरू हो जाता है. यहीं से चुनौती शुरू होती है.

ये बात भले ही उल्टी लगे, लेकिन जब फ़ंड बढ़ता है तो फ़ंड मैनेजर्स के लिए अच्छे स्टॉक खोजना और अल्फ़ा जेनरेट करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि फ़ंड के साइज़ का तुलनात्मक आधार पर फ़ंड के प्रदर्शन पर नेगेटिव असर पड़ता है? यहां जानिए हमारा आकलन क्या रहा.

हमारी मेथडोलॉजी
हमने सिर्फ़ उन फ़ंड्स के तिमाही डेटा पर ग़ौर किया, जिनसे जुड़ी तीन साल की जानकारी उपलब्ध है.

काम को आसान बनाए रखने के लिए, हमने फ़ंड्स की तीन अलग-अलग कैटेगरीज- लार्ज-कैप , मिड-कैप और स्मॉल-कैप्स का आकलन किया.

क्या नतीजे मिले
सभी कैटेगरीज़ के ज़्यादातर फ़ंड्स ने बाद की अवधि में अपने साइज़ और परफ़ॉर्मेंस के बीच या तो कोई संबंध प्रदर्शित नहीं किया या कम संबंध नज़र आया.

इससे पहले कि आप नीचे दी गई टेबल पर नजर डालें, हम आपको बताते हैं कि इन अलग-अलग संबंधों का क्या मतलब है.

‘कोई संबंध नहीं’ का मतलब है कि फ़ंड ने अच्छा या ख़राब प्रदर्शन किया, भले ही साइज़ कुछ भी रहा हो. दूसरे शब्दों में, फ़ंड का प्रदर्शन उसके साइज़ पर निर्भर नहीं करता है.

ये भी पढ़िए- म्यूचुअल फ़ंड स्‍टेटमेंट के 6 फ़ैक्ट: ये जानकर आप फ़ायदे में रहेंगे

‘पॉज़िटिव संबंध’ से पता चलता है कि साइज़ में बढ़ोतरी के साथ परफ़ॉर्मेंस अच्छा रहा और AUM में गिरावट के साथ उतना अच्छा नहीं रहा.

‘नेगेटिव संबंध’ से संकेत मिलते हैं कि फ़ंड अपना साइज़ बढ़ने के साथ परफ़ॉर्मेंस को बरक़रार रखने में क़ामयाब नहीं रहा.

फ़ंड के साइज़ और उसके परफ़ॉर्मेंस के बीच संबंध

लार्ज-कैप फ़ंड्स (%) मिड-कैप फ़ंड्स (%) स्मॉल-कैप फ़ंड्स (%)
कोई संबंध नहीं 42 30 24
पॉजिटिव संबंध 12 9 24
नेगेटिव संबंध 46 61 52
नोटः 26 लार्ज-कैप, 23 मिड-कैप और 21 स्मॉल-कैप फ़ंड्स लिये गए थे.

हमने क्या पाया
फ़ंड के साइज़ और उसके परफ़ॉर्मेंस के बीच संबंध के नेचर को देखना ख़ासा दिलचस्प रहा.

भले ही 42 फ़ीसदी लॉर्ज-कैप फ़ंड्स (large cap funds), 30 फ़ीसदी मिड-कैप फ़ंड्स (mid cap funds) और 24 फ़ीसदी स्मॉल-कैप फ़ंड्स (small cap funds) में कोई सह संबंध प्रदर्शित नहीं किया, लेकिन बाकी ज़्यादातर फ़ंड्स में कम से मध्यम नेगेटिव संबंध नज़र आया. इसका मतलब है कि भले ही साइज़ बढ़ने के साथ ज़्यादातर फ़ंड्स के परफ़ॉर्मेंस में कोई ख़ास गिरावट नहीं आई, लेकिन उनका परफ़ॉर्मेंस तक बेहतर रहा था जब वे छोटे थे.

हमारी राय
फ़ंड के साइज़ और उसके परफ़ॉर्मेंस के बीच आपसी संबंध कमज़ोर है. आपसी संबंध नेगेटिव या ‘कोई नहीं’ होने का ये मतलब नहीं होता है कि आप को इन फ़ंड्स में निवेश नहीं करना चाहिए.

इसके अलावा, अगर आप अच्छा परफ़ॉर्म करने वाले फ़ंड्स (top performing funds) पर ग़ौर करते हैं तो आपको स्मॉल, मीडियम और लॉर्ज साइज़ हर तरह के फ़ंड नज़र आएंगे.

हक़ीक़त में, इससे संकेत मिलते हैं कि किसी को सिर्फ फ़ंड के साइज़ पर ही ज़ोर नहीं देना चाहिए. इसके अलावा, अपने इन्वेस्टमेंट हॉराइज़न यानी कब तक निवेश को होल्ड रख सकते हैं, फ़ंड के मौजूदा प्रदर्शन, एक्सपेंस रेशियो, फ़ंड कितना पुराना है और अपनी रिस्क सहने की क्षमता आदि फ़ैक्टर्स पर भी विचार करना चाहिए. इन सभी फ़ैक्टर्स पर ग़ौर करने से आपको अपने लिए अच्छा इक्विटी फ़ंड चुनने में मदद मिलेगी.

देखिए ये वीडियो- क्या स्मॉल-कैप फ़ंड में निवेश का ये सही समय है?


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