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लॉन्ग-टर्म इक्विटी इन्वेस्टमेंट का फ़ायदा

इस स्टोरी में हम एक कंपनी की मिसाल से जानेंगे कि लॉन्ग-टर्म इक्विटी इन्वेस्टमेंट के क्या फ़ायदे हो सकते हैं.

लॉन्ग-टर्म इक्विटी इन्वेस्टमेंट का फ़ायदा

भारत के आजाद होने से पहले कराची में जन्मे श्रीचंद परमानंद हिंदुजा (Srichand Parmanand Hinduja) का बुधवार, 17 मई 2023 को 87 साल की उम्र में निधन हो गया. वो हिंदुजा ग्रुप के चेयरपर्सन थे, और उनका परिवार कई साल से ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार बना हुआ है. भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बस निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड, इंडसइंड बैंक सहित उनकी कई कंपनियां हैं. देश में, हिंदुजा ग्रुप की गिनती टाटा, बिड़ला, अंबानी जैसे दिग्गज क़ारोबारी समूहों में होती है और उनका बिज़नस ऑटोमोटिव से लेकर केमिकल्स जैसे तमाम बिज़नस में फैला है.

इक्विटी इन्वेस्टिंग के बारे में बात करने के लिए हम यहां उनकी फ़्लैगशिप कंपनी, अशोक लेलैंड (ashok leyland share price) की मिसाल दे रहे हैं. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं कि हम इस कंपनी में निवेश की सलाह दे रहे हैं.

24 साल में 1 लाख बना दिए 68 लाख

इन आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी, 1999 में अशोक लेलैंड का शेयर क़रीब ₹2.26 (अभी तक मिले बोनस स्टॉक और स्टॉक स्प्लिट को शामिल करने के बाद) का था, जो आज यानी, 18 मई, 2023 को लगभग ₹154.50 का है. तो, अगर किसी ने इस शेयर में 24 साल पहले ₹1 लाख लगाए होते, तो उनका पैसा बढ़कर क़रीब ₹68 लाख हो गया होता. वहीं, अगर किसी ने 10 साल पहले इस शेयर में ₹1 लाख लगाए होते, तो ये रक़म ₹6.63 लाख हो जाती. इसी तरह, पिछले तीन साल में इसका शेयर 228 फ़ीसदी का दमदार रिटर्न दे चुका है.

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पर ग़ौर करने वाली बात है कि पिछले पांच साल में इस शेयर ने महज़ 4 फ़ीसदी का रिटर्न दिया.

इसमें कंपनी द्वारा समय-समय पर दिए गए डिविडेंड को शामिल नहीं किया गया है.

कंपनी का इतिहास
हिंदुजा ग्रुप ने 1980 के दशक में अशोक लेलैंड का अधिग्रहण किया था. इस समय प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 51 फ़ीसदी है. दरअसल, इस कंपनी ने अपने निवेशकों को लंबी अवधि में मालामाल किया.

वक़्त के साथ कैसे बदली कंपनी

  • Ashok Leyland ने 2016 में भारत की पहली इलेक्ट्रिक बस और यूरो 6 कंप्लायंट ट्रक लॉन्च किया.
  • जून 2020 में अशोक लेलैंड ने अपने मॉड्युलर ट्रक AVTR की नई रेंज पेश की.
  • सितंबर, 2020 में अशोक लेलैंड ने देश में ही विकसित LCV प्लेटफॉर्म फोनिक्स (Phoenix) पर आधारित बड़ा दोस्त (Bada Dost) लॉन्च किया.

इक्विटी निवेशकों के ध्यान देने वाली बात
अब बात हिंदुजा ग्रुप के इस स्टॉक से इक्विटी इन्वेस्टर्स के लिए मिले सबक की. इस कंपनी के स्टॉक का सबसे अहम सबक है कि भले ही कम समय में उतार-चढ़ाव या गिरावट रहे, लेकिन किसी अच्छी कंपनी में लंबे समय का इक्विटी निवेश एक ज़बर्दस्त फ़ायदे का सौदा हो सकता है.

इस शेयर ने जहां 24 साल, 10 साल और 3 साल की अवधि में तगड़ा रिटर्न दिया, लेकिन सबसे ज़्यादा रिटर्न लंबे समय के इन्वेस्टर्स को दिया.

हालांकि, बीच में ऐसा दौर आया, यानी 5 साल पहले, जब शेयर लगभग सपाट रहा या बेहद मामूली (लगभग 4 फ़ीसदी) रिटर्न दिया. साफ़ है कि, अगर कंपनी के फ़ंडामेंटल्स अच्छे हैं, तो बीच-बीच में आने वाली नकारात्मक ख़बरों का लंबे समय के निवेश पर मिले रिटर्न पर असर नहीं पड़ता.

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इस लेख का मक़सद लंबे समय में निवेश की बुनियादी बातों के आधार पर इक्विटी निवेश के फ़ायदे को दिखाना है, इस शेयर में निवेश की सलाह देना नहीं. हालांकि, आपके लिए चुने हुए स्टॉक की लिस्टी के लिए आप वैल्यू रिसर्च स्टॉक एडवाइज़र की सर्विस ले सकते हैं और साथ ही धनक पर अच्छी कंपनियों की लिस्ट पा सकते हैं.


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