Debt to Equity Ratio: आम तौर पर किसी कंपनी के शेयर में निवेश से पहले PE, EPS, अर्निंग्स, आउटलुक सहित कई बातों पर गौर किया जाता है. ऐसा ही एक अहम मीट्रिक्स है डेट टू इक्विटी रेशियो. इसके ज़रिये किसी कंपनी की वित्तीय सेहत का आकलन किया जाता है. किसी कंपनी की कुल लायबिलिटीज को उसकी शेयरहोल्डर इक्विटी से डिवाइड करके डी/ई रेशियो को कैलकुलेट किया जाता है.
इससे ये बात भी पता चलती है कि कंपनी दूसरे रिसोर्सेज की तुलना में कर्ज से अपनी जरूरतें ज़्यादा पूरी कर रही है.
डेट चुकाने की कितनी है क्षमता
डेट टू इक्विटी रेशियो से पता चलता है कि कंपनी के पास जितनी शेयरहोल्डर इक्विटी है, उसकी तुलना में कितनी हिस्सेदारी क्रेडिटर्स (जिनसे कंपनी ने पैसा उधार लिया है) के पास है. इससे कंपनी की डेट चुकाने की क्षमता के साथ ही उसकी नए डेट के जरिये कैश जुटाने की क्षमता का भी पता चलता है.
इसके अलावा, निवेश के लिए कोई स्टॉक का चुनाव करने के लिए एक ही इंडस्ट्री की कंपनियों के बीच इस रेशियो के आधार पर तुलना की जाती है. इससे आपको किसी एक सेक्टर की कंपनियों में से बेस्ट ऑप्शन का चुनाव करना आसान हो सकता है.
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ज़्यादा लेवरेज मतलब, ज़्यादा रिस्क
ऊंचा डेट टू इक्विटी रेशियो का मतलब ज़्यादा लेवरेज होता है यानी ऐसी कंपनियां जिन पर ज़्यादा कर्ज हो. हाई लेवरेज कंपनियों के रेवेन्यू में गिरावट की स्थिति में डेट चुकाने में नाकाम होने का रिस्क ज़्यादा होता है. साथ ही, यह भी माना जाता है कि ऐसी कंपनियां कर्ज जुटाने में कम सक्षम होती हैं.
कैसे कैलकुलेटर होता है डेट टू इक्विटी रेशियो
कंपनी के कुल डेट को उसकी कुल शेयरहोल्डर इक्विटी से डिवाइड करके कैलकुलेट किया जाता है. मान लीजिए A कंपनी पर कुल 1 करोड़ रुपये का कर्ज है और उसकी शेयरहोल्डर इक्विटी लगभग 5 करोड़ रुपये है, तो उसका डेट टू इक्विटी रेशियो होगा...
1,00,00,000/5,00,00,000= 0.20
इसका मतलब है कि उसकी 20 फ़ीसदी ओनरशिप क्रेडिटर्स के पास है और 80 फ़ीसदी हिस्सेदारी शेयरहोल्डर्स के पास है. इससे साफ है कि A कंपनी कर्ज के लिहाज़ से सहज स्थिति में है और वह अभी अपनी जरूरतों के लिए और कर्ज जुटाने में सक्षम है.
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ये कंपनियां हैं दमदार
इससे यह भी पता चलता है कि डेट टू इक्विटी रेशियो जितना कम होगा, कंपनी की वित्तीय सेहत उतनी ही मजबूत होगी. हमने अपने कवरेज में ऐसी कई कंपनियां शामिल की हैं, जिनका डेट टू इक्विटी रेशियो खासा कम है और उनमें लंबे समय में अच्छा रिटर्न देने ख़ासी संभावना हैं.
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