SME IPO: इन दिनों बाज़ार की सुस्ती और पिछले ठंडे प्रदर्शन की वजह से बड़ी कंपनियां अपने IPO लाने से बच रही हैं. इसके बावजूद, मार्केट का SME सेगमेंट में गहमा-गहमी है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों में कई SME कंपनियां लिस्टिंग के लिए आगे आई हैं. अगर बीते एक साल के SME सेगमेंट के IPO के प्रदर्शन पर नजर डालें, तो उनका यह जोश कुछ वाजिब नज़र आता है. हालांकि, सवाल ये है कि क्या SME IPO असल में इतने आकर्षक हैं...
S&P BSE SME IPO का दमदार प्रदर्शन
इस इंडेक्स ने एक से 10 साल के दौरान दमदार प्रदर्शन किया है. पिछले एक साल में बाज़ार में लिस्ट हुए SME स्टॉक्स में शानदार रैली के दम पर ये इंडेक्स 77 फ़ीसदी का रिटर्न दे चुका है. इसके अलावा 3 साल के दौरान हर साल क़रीब 162 फ़ीसदी, 5 साल के दौरान 66 फ़ीसदी और 10 साल के दौरान 60 फ़ीसदी रिटर्न दे चुका है.
मेन IPO इंडेक्स पर ग़ौर करें, तो ये SME IPO इंडेक्स के आगे कहीं नहीं टिकता. S&P BSE IPO इंडेक्स बीते एक साल के दौरान अपने निवेशकों को तगड़ा झटका दे चुका है. इस अवधि में इंडेक्स 27.2 फ़ीसदी कमज़ोर हो चुका है. वहीं, तीन साल में ये इंडेक्स 20.38 फ़ीसदी (प्रति वर्ष), 5 साल में 9 फ़ीसदी और 10 साल में 17.22 फ़ीसदी मज़बूत हुआ है.
IPO से दूर रहना ही बेहतर
वैल्यू रिसर्च के CEO धीरेंद्र कुमार का कहना है कि इन्वेस्टिंग को छोड़ दें, तो ये भारतीय इकोनॉमी और लाखों छोटे बिज़नस के लिए अच्छी ख़बर है. ये SME ही भारत के असली स्टार्ट-अप हैं. उन्होंने कहा, "हालांकि, इसका ये मतलब नहीं कि छोटे और मझोले इन्वेस्टर्स को इन स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज़ के IPO में पैसा लगाते रहना चाहिए. दरअसल, IPO में निवेश के लिए मैंने हमेशा से जो चेतावनी दी है, वो बड़ी कंपनियों के IPO से ज़्यादा SME IPO पर लागू होती है. इस बात का स्टॉक की क्वालिटी से कोई लेना-देना नहीं है." उन्होंने कहा कि ये रुख थोड़ा कठोर लग सकता है, लेकिन ये तर्क और अनुभव दोनों पर आधारित है.
दूसरे पहलू जानना भी ज़रूरी
पिछले कुछ महीनों से भारतीय शेयर बाज़ार में SME IPOs का शानदार प्रदर्शन ख़ासा सुर्खियों में है. BSE SME IPO इंडेक्स पिछले दो साल में 14 गुना बढ़ चुका है. हालांकि, इससे जुड़े दूसरे पहलू पर भी ग़ौर करने की ज़रूरत है. मिसाल के तौर पर, जनवरी 2022 के अंत से, जून के अंत तक, पांच महीनों के दौरान SME IPO पर केंद्रित इंडेक्स में क़रीब 50 फ़ीसदी की कमज़ोरी देखने को मिली थी.
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IPO की पहेली सुलझाना असंभव
धीरेंद्र कुमार के मुताबिक़, बुनियादी तौर पर छोटे इन्वेस्टर्स के लिए IPO एक पहेली की तरह है, जिसका समाधान खोजना उनके लिए असंभव है. उन्होंने कहा, एक तरफ़ मौजूदा मालिकों और इन्वेस्टमेंट बैंकर्स के बीच हितों का टकराव होता है, वहीं निवेश करने वाली पब्लिक के पास भरोसे लायक़ जानकारी बेहद कम होती है. इस तरह की इन्वेस्टिंग को प्रोफेशनल्स पर ही छोड़ देना चाहिए जो इस बिज़नस में हों, और तगड़ा मोल-भाव करने के क़ाबिव हों. आम निवेशकों को IPO से दूर ही रहना चाहिए. हमेशा की तरह, बिना किसी अपवाद के उन्हें ऐसा करना चाहिए."
धीरेंद्र कुमार अपनी इस बात के लिए और कारण देते हुए कहते हैं, "इनमें बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव होता है. और अगर आपको इस उतार-चढ़ाव से परहेज़ नहीं है तो बेशक पैसा लगाइए, लेकिन बाद में मत कहिएगा कि आपको आगाह नहीं किया था."
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