Small-Cap Funds: देखन में छोटे लगें, घाव करें गंभीर...यह कहावत गिरावट के दौर में स्मॉल-कैप फंड्स पर बिल्कुल ठीक बैठती है. हालांकि, तेजी के दौर में यह कहावत बदल जाती है और इस कैटेगरी का रिटर्न शानदार रहता है. दरअसल, पिछले कुछ महीनों के दौरान स्मॉल-कैप इंडेक्स में ख़ासी गिरावट आई है. इसीलिए हम इस कैटेगरी के फंड्स पर चर्चा कर रहे हैं. इन्वेस्टर्स भी इन्हें लेकर ख़ासे आशावादी बने हुए हैं. दरअसल, जनवरी में इक्विटी फंड्स की 11 कैटेगरीज में से स्मॉल कैप फंड्स में सबसे ज्यादा 2,255 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है.
इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने कहा कि इन्वेस्टर्स मार्केट में गिरावट के दौरान ज़्यादा निवेश कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि लॉर्ज-कैप फंड्स (large-cap funds) की तुलना में स्मॉल-कैप फंड्स में ज्यादा रिटर्न मिलेगा. स्मॉल-कैप कंपनियों से मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज़ से टॉप 250 कंपनियां बाहर रहती हैं और इनसे संबंधित फंड्स में उतार-चढ़ाव की ज़्यादा संभावनाएं बनी रहती हैं, क्योंकि वे कुल एसेट्स का 25 फ़ीसदी स्मॉल-कैप कंपनियों की इक्विटी और उनसे जुड़ी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.
लंबी अवधि में देते हैं अच्छा रिटर्न
S&P BSE Smallcap इंडेक्स पिछले तीन महीने में लगभग 6.30 फ़ीसदी टूट चुका है, वहीं BSE Sensex और BSE Midcap में स्मॉल-कैप इंडेक्स से कम गिरावट आई है. इसके बावजूद, इन्वेस्टर्स लंबी अवधि में रिटर्न की संभावनाओं और अतीत में लॉर्ज-कैप फंड्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए स्मॉल-कैप फंड्स पर दांव लगा रहे हैं.
एक बड़े फंड हाउस के सीईओ ने कहा, "इन्वेस्टर्स को यह लगता है कि स्मॉल-कैप फंड्स लंबी अवधि में लॉर्ज-कैप फंड्स से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. हर गिरावट के बाद स्मॉल-कैप फंड्स में तेजी के बाद इस कैटेगरी पर इन्वेस्टर्स का भरोसा बढ़ जाता है. जब इस कैटेगरी में उतार-चढ़ाव में बढ़ोतरी देखने को मिलती है तो इन्वेस्टर्स ज्यादा पैसा लगाने की कोशिश करते हैं."
यहां तक कि 2020 में (मार्च में बाजार में भारी गिरावट के बावजूद), स्मॉल-कैप फंड्स ने 32.11 फ़ीसदी का रिटर्न दिया था, जबकि सेंसेक्स ने 15.75 फ़ीसदी और मिडकैप इंडेक्स ने 19.87 फ़ीसदी रिटर्न दिया था. 2021 में स्मॉल-कैप इंडेक्स ने 62.77 फ़ीसदी रिटर्न दिया, जबकि सेंसेक्स का रिटर्न लगभग 22 फ़ीसदी रहा. पिछले दशक के दौरान, स्मॉल-कैप फंड्स ने सबसे ज्यादा औसतन 19.42 फ़ीसदी रिटर्न दिया है, जबकि इसके बाद टेक्नोलॉजी फंड्स और मिड-कैप फंड्स रहे.
कुछ फंड मैनेजर्स भी मार्केट में गिरावट के बाद स्मॉल-कैप स्टॉक्स खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस सेक्टर में मौका दिखता है. ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) में कुछ स्कीम्स ने स्मॉल-कैप स्टॉक्स में अपनी होल्डिंग बढ़ानी शुरू कर दी है. उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड, इन्वेस्को इंडिया टैक्स प्लान और मोतीलाल ओसवाल लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड जैसी स्कीम्स ने पिछले छह महीने के दौरान स्मॉल-कैप स्टॉक्स में निवेश बढ़ाया है.
फिर भी सतर्क रहें इन्वेस्टर्स
इन्वेस्टर्स को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि लॉर्ज-कैप फंड्स की तुलना में स्मॉल-कैप फंड्स में ज्यादा उतार-चढ़ाव रहता है. वहीं, लंबी अवधि में ये अच्छा रिटर्न देते हैं. सलाह दी जाती है कि स्मॉल-कैप फंड्स की आपके पोर्टफ़ोलियो की कुल वैल्यू में 10-15 फ़ीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए.
ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखेंगे तभी यह बात सही साबित होगी, 'देखन में छोटे लगें, कमाई में गंभीर.'