डिविडेंड, कंपनियों द्वारा अपने शेयर होल्डरों को किया गया भुगतान (मुनाफ़े का हिस्सा) होता है.
स्टॉक निवेश में डिविडेंड कैसे मिलता है?
अगर आप सीधे तौर से इक्विटी स्टॉक में निवेश करते हैं, तो डिविडेंड सीधे आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफ़र होता है. साथ ही, बोनस इश्यू आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफ़र हो जाते हैं.
म्यूचुअल फ़ंड निवेश में डिविडेंड कैसे मिलता है?
इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फ़ंड को कभी-कभी उन ख़ास कंपनियों से डिविडेंड और बोनस इश्यू मिल सकते हैं जिनमें निवेश किया गया है.
स्टॉक की तुलना में फ़ंड हाउस को डिविडेंड कैश के तौर पर मिलता है. इसका पेमेंट आपके बैंक अकाउंट में नहीं किया जाता. डिविडेंड पेमेंट और बोनस इश्यू के चलते फ़ंड का AUM बढ़ जाता है और इसीलिए, फ़ंड का NAV भी बढ़ जाता है. फ़ंड इसका इस्तेमाल ग्रोथ प्लान में सबसे बेहतर इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी खोजने के लिए कर सकते हैं.
लेकिन जब IDCW प्लान की बात आती है, तो निवेशक अक्सर कन्फ़्यूज़ हो जाते हैं कि क्या इसका इस्तेमाल डिविडेंड का भुगतान के लिए किया जाता है. IDCW प्लान में, फ़ंड के मुनाफ़े का एक हिस्सा डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूट करने के लिए किया जाता है - इसमें ख़ास कंपनियां/ होल्डिंग्स से मिले डिविडेंड भी शामिल हो सकते हैं और नहीं भी.
ग्रोथ प्लान की तरह, म्यूचुअल फ़ंड डिविडेंड की रक़म को आगे निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. इसके अलावा, फ़ंड के लिए ये ज़रूरी नहीं है कि वो ठीक उसी समय डिविडेंड का भुगतान करे जब वो अपने पोर्टफ़ोलियो में स्टॉक से डिविडेंड हासिल करता है. ये इसी अर्से में डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूट कर भी सकता है और नहीं भी.
ये भी पढ़िए: पांच साल में अपना निवेश दोगुना कैसे करें?