ख़र्च चाहे दूध का हो, पेट्रोल का हो, रोज़मर्रा के सामान का, या फिर पढ़ाई-लिखाई और हेल्थ सुविधाओं का, इन सभी की क़ीमतें साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं। और हम बिना कुछ ज़्यादा सोचे ये बढ़ी हुई क़ीमत चुकाते जा रहे हैं। वक़्त के साथ क़ीमतों का बढ़ना महंगाई कहलाता है। महंगाई समय के साथ पैसे की क़ीमत कम करती रहती है। ज़्यादातर लोग महंगाई के असर और उनकी पूंजी को इससे होने वाले नुकसान को कम करके आंकते हैं। महंगाई रहन-सहन की लागत बढ़ाने के साथ-साथ ख़र्च की क्षमता कम करती है। महंगाई, ब्याज की तरह, पिछले साल के नंबर के साथ जुड़ जाती है-यानि, इसका असर कंपाउंड इंटरस्ट की तरह होता है, लेकिन नेगेटिव तरीक़े से।
महंगाई के साथ एक समस्या है कि ये दिखाई नहीं देती। लेकिन इसका असर एक हक़ीक़त है, और आप इससे बच नहीं सकते। आमतौर पर लोग निवेश की रक़म को ही देखते हैं, अपने कैलकुलेशन में महंगाई को शामिल ही नहीं करते। उनके दिमाग़ में ये बात ही नहीं आती कि वे बरसों तक निवेश के ज़रिए, जिस रक़म के बारे में सोच रहे हैं, महंगाई उसे कम कर देगी।
नीचे दिए चार्ट पर ग़ौर करें। ये दिखाता है कि कैसे आपका सोचा हुआ टारगेट कॉर्पस, उससे ज़्यादा होगा। यही समय है जब आप महंगाई का शिकार होना बंद कर दें। महंगाई को उसी के खेल में मात देने का एक ही तरीक़ा है अच्छा रिटर्न हासिल करना। इक्विटी अकेली ऐसी एसेट क्लास है जो लंबी अवधि में महंगाई से ज़्यादा रिटर्न दे सकती है। आप इस मिसाल पर दोबारा ग़ौर करें और देखें कि कैसे इक्विटी निवेश ने आपको अच्छे नतीजे दिए होते और आप अपने आर्थिक गोल तक आसानी से पहुंच सकते थे।
लेकिन क्या इक्विटी में रिस्क नहीं होता? अगर आप रक़म गवां देते हैं तो क्या होगा? तो, अगर आप में ख़ुद से स्टॉक चुनने का हुनर नहीं है या आपके पास समय नहीं है, तो इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड आपके लिए शानदार विकल्प हैं। यहां ख़रीदने-बेचने के सारे फ़ैसले प्रोफ़ेशनल लेते हैं। इनका काम लोगों के पैसे मैनेज करना है। दूसरी बात, अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी में रिस्क मायने नहीं रखता, क्योंकि लंबी अवधि में उतार-चढ़ाव का जोख़िम काफ़ी हद तक कम हो जाता है। आप इक्विटी इन्वेस्टिंग और म्यूचुअल फ़ंड के बारे में हमारे 'निवेश की शुरुआत करें' सेक्शन से काफ़ी कुछ जान सकते हैं, इसे ख़ासतौर पर आपकी इन्हीं ज़रूरतों के लिए बनाया गया है।
हो सकता है कि इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश अभी आपको रिस्की लगे, लेकिन याद रखें, महंगाई इससे ज़्यादा रिस्की है। लंबे समय के दौरान, आपको ऐसे इन्वेस्टमेंट एवेन्यू की ज़रूरत है, जो महंगाई को मात देते हुए आपकी ज़रूरत के लायक़ पैसे दे सके। और मौजूदा समय में, बैंक के फ़िक्स डिपॉज़िट (FD) या पब्लिक प्रॉविडेंट फ़ंड (PPF) इस तरह का रिटर्न नहीं दे सकते। महंगाई से बचा नहीं जा सकता। आप सिर्फ ये पक्का कर सकते हैं कि महंगाई से ज़्यादा रिटर्न हासिल कर, इसके असर को मात दे सकें।