आप दो तरीक़े से पैसे बना सकते हैं। पहला तरीक़ा है काम कर के कमाना और दूसरा है निवेश से अपना धन बढ़ाना। जब हम मेहनत कर के ज़्यादा कमा सकते हैं, तो निवेश क्यों करें? दरअसल, जैसे आप मेहनत कर के अपने लिए ज़्यादा कमा सकते हैं, वैसे ही आपका निवेश किया पैसा आपके लिए मेहनत कर सकता है।
आमतौर पर लोग आजकल अपने भविष्य के लिए प्लान न करके, मेहनत से कमाए पैसे सुख के साधन ख़रीदने पर ख़र्च देते हैं। ऐसा करना, लंबे अर्से के दौरान आपके पैसे कम करता जाता है, और संभव है, इसी के चलते आपको अपनी ज़रूरतों के लिए संघर्ष करना पड़े।
आमदनी का एक ही स्रोत बच्चों की पढ़ाई, कार या घर या रिटायरमेंट प्लानिंग जैसे कई फ़ाइनेंशियल गोल के लिए काफ़ी नहीं होता। निवेश आपकी आमदनी के दूसरे ज़रिए की तरह काम करता है। अचानक आने वाली मुश्किलों जैसे नौकरी छूट जाना या बीमारियों में भी ये मददगार साबित होता है। ये ज़रूरी है कि आप अपने पैसे सिर्फ़ बैंक के सेविंग्स अकाउंट में ही न रखें, बल्कि इन्हें निवेश करें ताकि लंबे समय में बड़ी रक़म इकठ्ठा कर सकें।
आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि निवेश ज़रूरी क्यों है। मिसाल के तौर पर, सीता और गीता, दोनों के बच्चे छोटे हैं और 10 साल बाद कॉलेज जाएंगे। सीता हर महीने ₹20,000 अपने बैंक अकाउंट में अलग रख देती है, जिसपर उसे 3 प्रतिशत रिटर्न मिलता है। दूसरी तरफ़, गीता, हर महीने ₹20,000 म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करती है, जिसपर उसे औसतन 12 प्रतिशत रिटर्न मिलता है। 10 साल बाद, सीता के पास बैंक में ₹28 लाख हैं। वहीं, गीता के पास अब ₹46.50 लाख होंगे। दोनों ने 10 साल तक ₹24 लाख जमा किए, मगर सीता ने ₹4 लाख एक्स्ट्रा कमाए, और गीता, जिसने अपने पैसे यूं ही बैंक ख़ाते में रखने के बजाए निवेश किए, उसने अपने निवेश पर ₹22.46 लाख कमाए।
तो निवेश ज़रूरी है, मगर आप क्या समझते हैं कि निवेश शुरु करने का सही समय क्या है? असल में, एक कहावत है, "पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय 25 साल पहले था, और अगला सबसे अच्छा समय है, अभी।" जब बात निवेश की हो, तब समय एक अहम फ़ैक्टर होता है। निवेश की जल्दी शुरुआत हमें कंपाउंड इंटरस्ट का फ़ायदा पाने में मदद करती है। अगर शुरुआत नहीं जल्दी नहीं हुई, तो उसे अभी करना सबसे अच्छा रहेगा।
चलिए इसी उदाहण को आगे बढ़ाते हैं, और समझते हैं कि कैसे समय और कंपाउंड इनटर्स्ट का कॉम्बिनेशन काम करता है। तो, सीता समझ जाती है कि पैसे बचा कर बैंक में रखने से जो 3 प्रतिशत का ब्याज मिलता है, वो काफ़ी नहीं है और वो निवेश का फ़ैसला करती है। इस बार सीता कंपाउंडिंग के बारे में जानती-समझती है और निवेश जल्दी शुरु करने की सोचती है। अब वो, अगले 20 साल के लिए हर महीने ₹5,000 का सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरु करती है। मान लीजिए वो एक फ़ंड में निवेश करती है, जो 12 प्रतिशत का ब्याज देता है, इससे सीता ₹50 लाख का कॉर्पस जोड़ लेगी। गीता का प्लान किया था कि वो सिर्फ़ 10 साल ही निवेश करेगी, मगर सीता को देख कर, उसने अपने अपनी SIP की रक़म ₹10,000 बढ़ा दिए। अगर उसका फ़ंड 12 प्रतिशत का ब्याज देता है, तो 10 साल के अंत में, उसे केवल ₹23 लाख ही मिलेंगे।
हालांकि, सीता ने सिर्फ़ ₹5,000 हर महीने निवेश किए, पर जल्दी निवेश शुरु कर के उसने गीता से ₹26.72 लाख ज़्यादा कमाए। हालांकि गीता ने अपना हर महीने का निवेश डबल कर दिया, मगर अंत में वो सीता की बराबरी नहीं कर पाई। यहां समय सबसे अहम कारक है। अगर आप अनुशासन के साथ निवेश करते हैं और अपने निवेश को बढ़ने का समय देते हैं, तो आप अपने ज़्यादातर गोल बिना किसी परेशानी के हासिल कर सकते हैं।
सिर्फ़ अपनी मेहनत से, और एक ही आमदनी के स्रोत पर निर्भर रह कर सीता या गीता को इतना फ़ायदा नहीं हो सकता था कि वो अपने बच्चों को अच्छी यूनिवर्सिटी में भेज पातीं। निवेशक बनने में कभी बहुत देर नहीं होती। एक छोटी रक़म से SIP की शुरुआत आपको काफ़ी दूर ले जा सकती है।
अगर आप निवेश के लिए नए हैं और जानना चाहते हैं कि निवेश कैसे शुरु करें, तो हमारे पास आपके लिए काफ़ी जानकारियां हैं। अपनी बुनियादी समझ को मज़बूत करें और अपने निवेश के सफ़र की शुरुआत अभी करें। आत्मविश्वास के साथ शुरुआत करें।
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