असेट अंडर मैनजमेंट यानी AUM के लिहाज से लार्ज कैप इक्विटी फंड की कैटेगरी सबसे बड़ी है। सभी इक्विटी फंड कैटेगरी की कुल AUM में लार्ज कैप इक्विटी फंड कैटेगरी का शेयर 30 फीसदी से अधिक है और इसका असेट साइज 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। अगर दो सबसे बड़े लार्ज-कैप फंड को अलग कर दें तब भी यह कैटेगरी सबसे बड़ी है। एसबीआई म्यूचुअल फंड के दो ETF लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपए मैनेज कर रहे हैं। कुल इक्विटी AUM का लगभग पांचवा हिस्सा लार्ज कैप कैटेगरी में है।
हालांकि, 132 फंड के साथ इस कैटेगरी में सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ है। ऐसा वैल्यू रिसर्च क्लासीफिकेशन सिस्टम के हिसाब से है। इस सिस्टम में मैनेज किए जाने वाले फंड, पैसिव फंड के साथ फोकस्ड फंड के लार्ज कैप स्टॉक्स में निवेश को एक कैटेगरी में क्लब किया गया है।
निवेश का मामला
प्योर इक्विटी फंड में लार्ज कैप फंड सबसे कंजरवेटिव हैं। इन फंड को यह खासियत उन स्टॉक्स से मिलती है जिनमें ये निवेश करता है। अच्छी तरह से कारोबार कर रही कंपनियों के स्टॉक्स न सिर्फ इक्विटी मार्केट के उतार चढ़ाव का अच्छी तरह से सामना कर पाते हैं बल्कि बिजनेस और इकोनॉमिक साइकल में अच्छे और बुरे दौर में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस तरह से ये निवेशकों के पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करते हैं। माना जाता है कि ये फंड छोटी कंपनियों की तुलना में बेहतर रिटर्न देने में सक्षम होते हैं।
2011 और 2021 के बीच पांच साल के किसी भी ब्लॉक में बीएसई 100 का सालाना औसत रिटर्न 14 फीसदी रहा है। वहीं बीएसई मिडकैप और बीएसआई स्माल कैप का सालाना औसत रिटर्न 16.6 फीसदी 17.3 फीसदी रहा है। कुल मिला कर लार्ज अपेक्षाकृत सुकून के साथ रकम बनाने का मौका मुहैया कराते हैं। और कंजरवेटिव इक्विटी निवेशक इस कैटैगरी को पसंद करते हैं।
पैसिव फंड की बाढ़
भारतीय इक्विटी बाजार पिछले एक साल से बढ़त पर है। ऐसे में बहुत सी फंड कंपनियां लार्ज कैप पैसिव फंड लांच कर रही हैं। इनमें से ज्यादातर किसी खास सेगमेंट के, स्ट्रैटेजी बेस्ड या स्मार्ट बीटा प्रोडक्ट हैं लेकिन अब तक इनको कुछ खास सफलता नहीं मिली है। हमारी सलाह है कि अभी इन फंड को नजरअंदाज करें। पैसिव फंड नए इक्विटी निवेशकों के लिए आकर्षक हैं। लेकिन यह सिर्फ मेनस्ट्रीम की ओर झुकाव रखने वाले फंड के लिए सही है। बड़ी संख्या में आ रहे किसी खास सेगमेंट के फंड ने अब तक खुद को साबित नहीं किया है। इनमें निवेश की लागत अधिक है। और ETF के मामले में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम है। ऐसे में इन फंड की मार्केटिंग के लिए किए जा रहे शोरगुल से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है।
एक्टिव बनाम पैसिव
लार्ज कैप इंडेक्स को पीछे छोड़ना अब पहले की तुलना में कठिन हो गया है। ऐसे में सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड पिछड़ रहे हैं। साल 2018 में इन फंड को बड़ा झटका लगा और उस समय 34 सक्रिय तौर पर मैनेज किए जा रहे फंड में से सिर्फ 3 फंड बीएसआई 100 को पीछे छोड़ सके।
लेकिन बाद के सालों में इनका प्रदर्शन बेहतर रहा। तीन साल के रोलिंग रिटर्न के आधार पर पिछले एक साल में 12 एक्टिव लार्ज फंड इंडेक्स फंड से 50 फीसदी से ज्यादा समय में आगे रहे हैं। ये आंकड़े डायरेक्ट प्लान के लिए हैं और निश्चित तौर पर रेग्युलर प्लान के लिए ये आंकड़े कमजोर दिखेंगे।
तो निश्चित तौर पर बहुत से लार्ज कैप फंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है लेकिन कई ऐसे फंड भी हैं जिन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है या 2018 में लगे झटके के बाद वापसी कर रहे हैं। बेहतर फंड को बाकी फंड से अलग करने में निवेश की लागत की अहम भूमिका बनी रहेगी।