अच्छा बिजनेस और अच्छा निवेश मजेदार और हलचल से भरा होना चाहिए, लेकिन यह ऑप्शनल है और यह सिर्फ संयोग है कि ये बिजनेस अच्छा है या नहीं। अच्छा बिजनेस क्या है, इसको लेकर आम जनता की परिभाषा का स्वरूप वर्षों की अवधि में काफी बिगड़ गया है। एक इन्वेस्टमेंट एनॉलिस्ट और एक उद्यमी के तौर पर, जिसने एक बिजनेस तीन दशकों में खड़ा किया है, मेरा मानना है कि यह बदलाव और तेज हो रहा है। मीडिया हाइप और खुद को स्टॉक मार्केट के लिए हलचल से भरा बनाने की जरूरत की वजह से यह नया आइडिया एक बीमारी की तरह फैल रहा है।
एक बिजनेस का काम एक फायदेमंद प्रोडक्ट बनाना या सेवाएं देना है। और ऐसा उस लागत पर करना,जिससे कस्टमर प्रोडक्ट या सेवाएं खरीद सके और फिर भी बिजनेस अच्छा मुनाफा कमा सके। और जरूरी है कि ऐसा वह लगातार कर सके। अगर बिजनेस या कंपनी लिस्टेड है तो जरूरी है कि वह निवेशकों के लिए अच्छा रिटर्न हासिल करे और वह लगातार ऐसा कर सके। जब से भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण का दौर शुरू हुआ है तब से निवेश की दुनिया में हलचल की एक लहर रही है। किसी भी समय कुछ बिजनेस ऐसे रहे हैं, जिनको निवेशकों के लिए बहुत अच्छा और जोश से भरे दांव के तौर पर देखा गया। कहने की जरूरत नहीं है कि ये उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। आप NBFC की लहर, छोटी IT कंपनियों की लहर, इन्फ्रा लहर और ऐसी कई लहर याद कर सकते हैं।
इन तीन दशकों में शानदार रिटर्न कमाने वाली कंपनियां सुस्त ही रहीं हैं।
आप कुछ उदाहरण पर गौर करें। जैसे एशियन पेंट्स, HDFC और इनफोसिस ऐसी कंपनियां हैं जो बोरिंग और सुस्त हैं। ये कंपनियां दशकों से कस्टमर को अच्छे प्रोडक्ट और सेवाएं और शेयर होल्डर्स को अच्छा रिटर्न भी दे रही हैं।
वैल्यू रिसर्च जो भी करता है, चाहे म्यूचुअल फंड हों या स्टॉक्स, हमारा प्रयास रहता है कि हम आपको ऐसे सुस्त निवेश से जोड़ें और हलचल वाले निवेश से दूर रखें। जो जानकारी, एनॉलिसिस और सूचना हम आपके लिए लाते हैं, अगर आप साल दर साल इस पर अमल करते हैं, तो यह आपके निवेश के लिए लंबी अवधि में अंतर पैदा करता है। यह बोरिंग लगता है और यह है। यह रूटीन में फास्ट फूड बनाने बनाम अपना हेल्दी और पोषण से भरपूर खाना पका कर खाने के बीच अंतर जैसा है। एक बनाम दूसरे के बीच अंतर का असर वर्षों के बाद पता चलता है। इक्विटी निवेशक स्वभाव से आशावादी होते हैं, ऐसे में उनके लिए फास्ट फूड जैसे निवेश से खुद को बचाना मुश्किल होता है। हालांकि यह जरूरी है कि निवेशक का झुकाव हेल्दी चीजों की तरफ हो।
आप वैल्यू रिसर्च पर सेक्टोरल बिजनेस प्रॉस्पेक्ट्स की एनॉलिसिस पढ़ते होंगे। यह एनॉलिसिस हमारी टीम तैयार करती है। इसमें आप एक चीज नोटिस करेंगे, जो कि IPO हाइप मशीन के ठीक विपरीत है। हमारी एनॉलिसिस इस बात पर फोकस करती है कि आगे क्या होगा लेकिन यह जानने के लिए कि भविष्य में क्या होगा, पिछले वर्षों पर गौर करती है। सही मायने में एक निवेशक के तौर पर आपके पास एक ही तथ्य होता है कि एक सेक्टर या बिजनेस या एक व्यक्ति ने बीते वर्षों में क्या किया है। कंपनियां जो कहती हैं, वह भविष्य में होगा और अभी यह सिर्फ स्टोरी है। जब तक कोई बात साक्ष्य के साथ न कही जाए, तब तक इसका बहुत मतलब नहीं होता है। हालांकि, बीता समय सुस्त और बोरिंग लगता है और वास्तव में यह अच्छी चीज है क्योंकि यह हमें वास्तविकता से जोड़ कर रखता है।