आम तौर पर नए निवेशक निवेश करते समय एक बात पर बहुत जोर देते हैं। कितना मिलेगा। यानी निवेश पर रिटर्न कितना मिलेगा। इसमें कुछ गलत भी नहीं है। लेकिन निवेश कितने सालों के लिए कर रहे हैं इस बात पर उतना गौर नहीं करते हैं। कोई निवेशक ऐसा तभी कर सकता है जब उसे इस बात की बहुत अच्छी समझ न हो कि कंपाउंडिंग की ताकत क्या है और आप कितनी रकम बनाएंगे इसमें कंपाउंडिंग का रोल बहुत निर्णायक है।
कंपाउंडिंग है क्या
सबसे पहले समझते हैं कि कंपाउंडिंग है क्या। मान लेते हैं कि आप SIP के जरिए एक साल में 60 हजार रुपए निवेश करते हैं और आपको इस रकम पर 10 फीसदी यानी 6 हजार रुपए रिटर्न मिलता है। तो अब आपकी कुल रकम हो गई 66,000 रुपए। यानी निवेश की रकम के साथ रिटर्न जुड़ गया और फिर अगले साल यह रिटर्न आपके निवेश की रकम के साथ मिल कर रिटर्न कमाएगा। इस तरह से यह सिलसिला साल दर साल चलता रहता है और कुल रकम जितना बढ़ती जाती है कंपाउंडिंग की पावर उतनी ही तेजी से काम करने लगती है और एक समय ऐसा आता है जब आपकी रकम बहुत तेजी से बढ़ती है। कंपाउंडिंग की पावर आपकी रकम कैसे बहुत तेजी से बढ़ाती है। इसे आप नीचे दिए गए टेबल से समझ सकते हैं।
काम की बात: आपके काम की बात यह है कि कंपाउंडिंग का फायदा कितना मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि निवेश की अवधि कितनी है। उपर दी गई टेबल से साफ है कि कंपाउंडिंग की वजह से 10 से 30 साल के बीच आपकी रकम काफी तेजी से बढ़ती है।