अपनी प्रसिद्ध किताब, वन अप ऑन वॉलस्ट्रीट, के लिए जाने जाने वाले पीटर लिंच ने फ़िडेलिटी इन्वेस्टमेंट के मैगेलन फंड की ज़िम्मेदारी 1977 से 1990 तक संभाली। इस दौरान, उनका सालाना रिटर्न 29.2 प्रतिशत का रहा और दुनिया का सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाले फ़ंड बन गया। इस कहानी में हम उनके 1994 के नेशनल प्रेस क्लब के लेक्चर के कुछ अंश पर बात करेंगे (
मीडिया का किया हुआ ब्रेनवॉश
मीडिया द्वारा ये विश्वास दिला दिये जाने की वजह से, कि निवेश बड़े संस्थानों के सामने बिल्कुल नहीं टिक सकते, ऐसे में निवेशक बड़ी अजीबो-गरीब हरकतें करते हैं, जैसे कि ऑप्शन या स्टॉक वो एक हफ़्ते के लिए खरीदते हैं। लिंच कहते हैं, “छोटे निवेशकों को मीडिया ने, प्रिंट मीडिया ने, रेडियो-टेलीवीज़न मीडिया ने ये भरोसा दिला दिया गया है कि आपका तो कोई चांस ही नहीं है, कि बड़े संस्थानों के पास आप पर बढ़त हासिल हे अपने सारे कंप्यूटर और डिग्रियों और पैसों के कारण।” उनकी ये बात आज भी सच है, क्योंकि कई बिज़नस चैनल पूरा दिन खरीदने और बेचने की सलाह देते दिखाई देते हैं, और आम निवेशक उन पर बिना किसी रिसर्च के अमल करते रहते हैं।
जो खरीदा है उसे जानिए
अगर आप ये नहीं 10 साल उम्र वाले को ये नहीं समझा सकते कि आपने स्टॉक क्यों लिए हैं तो आपको स्टॉक नहीं लेने चाहए। लिंच कहते हैं, “मेरे लिए स्टॉक मार्केट में पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप जानें कि आपने क्या खरीद रखा है।” हाल के कुछ साल में, फ़ार्मा, कैमिकल और आई.टी. सेक्टर में निवेशकों को ऐसी कंपनियों में निवेश किया है, जिन कंपनियों के बिज़नस के बारे में उन्हें ज़रा सी भी जानकारी नहीं है।
स्टॉक रिटर्न जादू नहीं हैं
एक लंबे अर्से के दौरान स्टॉक जिस वजह से से चढ़ते-उतरते हैं वे वजह है, अर्निंग या आमदनी। लिंच कहते हैं, “मैं लोगों को ये एहसास दिलाने की कोशिश कर रहा हूं कि इसका एक तरीका है, कारण हैं जिनकी वजह से स्टॉक ऊपर जाते हैं।” दरअसल, कई बार स्टॉक रिटर्न आमदनी से भी ऊपर पहुंच जाते हैं। पिछले 10 साल में, एच. यू. एल. की कमाई हर शेयर पर 3.2 गुना बढ़ी है, जबकि उनके स्टॉक के दाम 7.2 गुना बढ़े हैं।
मैक्रो अनुमान = वक्त की बर्बादी
लिंच के मुताबिक, मैक्रो इंडीकेटर जैसे कि ब्याज दरें, स्टॉक मार्केट, आर्थिक ग्रोथ जैसी बातों का अनुमान लगाने का कोई मतलब नहीं है। वो कहते हैं, “अगर कोई लगातार तीन बार ब्याज दरों का सही अनुमान लगा लेता है तो वो अरबपति हो जाएगा। और क्योंकि हमारे ग्रह पर उतने अरबपति नहीं हैं, तो इसका यही मतलब हुआ कि इतने लोग नहीं हो सकते जो ब्याज दरों का अनुमान लगा लें।” दूसरी लहर के आने के बाद, साल22 में भारत की जी.डी.पी. ग्रोथ अब 10 प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद की जा रही है, जबकि बजट ने इसके 14.4 होने का अनुमान लगाया था।
भीतर की बात जानने वाले बेहतर
किसी कंपनी या इंडस्ट्री के बारे में कौन बेहतर जानता है? वो कर्मचारी ही होंगे। लिंच इस बात पर ज़ोर देते हैं कि वो किसी खास सैक्टर के ट्रेंड को समझने वाले वही लोग होते हैं जो इस सैक्टर में काम करते हैं। “अच्छे स्टॉक मौजूद हैं जिन्हें आज की ज़रूरत है और लोग ऐसी बातो को सुनना शुरु कर देते हैं मगर वो खुद गौर नहीं करते हालांकि वो उन्हें जानने की ज़बरदस्त स्थिति में हैं।”
निवेश-संस्थाएं नए अवसर बनाती हैं
क्या निवेश-संस्थाओं की मौजूदगी फ़ायदेमंद है? लिंच इसका महत्व कुछ इस तरह से बयान करते हैं, “ये निवेश-संस्थाएं स्ट़ॉक को नीचे करती हैं, यही उन्हें ऊपर पहुंचाती हैं। वो व्यक्ति जो अपना खुद का मत रखते हैं और इंडस्ट्री के बारे में कुछ जानते हैं, तो ये एक सकारात्मक बात है।” 2019 में एक व्हिसलब्लोअर के आरोप के कारण इन्फ़ोसेस का स्टॉक 15 प्रतिशत से ज़्यादा गिर गया था। जैसे ही संस्थागत निवेशक इससे बाहर निकले, वो निवेशक जो इन्फ़ोसेस को समझते थे उन्होंने कंपनी में निवेश किया होगा और अच्छे रिटर्न हासिल किए होंगे।
हाल में देखा गया
सब क्लियर करें