आप जोखिम के बारे में क्या सोचते हैं ? मैं जीवन या कोरोना से जुड़े जोखिम की बात नहीं कर रहा हूं। मैं सिर्फ बचत और निवेश से जुड़े जोखिम की बात कर रहा हूं। एक किताब द इंटेलीजेंट पोर्टफोलियो से मुझे इस सवाल का दिलचस्प जवाब मिला। किताब से पता चलता है कि इंडीविजुअल निवेशक जोखिम को लेकर क्या सोचता है और यह जोखिम को लेकर उनकी सोच अकादमिक और फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े लोगों से कितनी अलग है।
फाइनेंशियल इंजन ने पाया हे कि लोग रकम के लिहाज से जोखिम को ज्यादा बेहतर तरीके से पहचान लेते हैं कि उनको फायदा होगा या नुकसान। इसका मतलब है कि निवेशक यह यह समझते हैं कि बाजार की संभावित स्थिति क्या हो सकती है और इसके हिसाब से उनको कितनी रकम का फायदा या नुकसान हो सकता है। इसकी एक रेंज उनके दिमाग में होती है। आपके फंड में 10 लाख रुपए हैं और आज से पांच साल बाद इस बात की चार फीसदी संभावना है कि इस रकम की वास्तविक कीमत 10 लाख रुपए से भी कम हो सकती है। यह कुछ ऐसा है जिसे ज्यादातर निवेशक देख सकते हैं। कुछ इसे स्वीकार करेंगे और कुछ लोग इस स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन यह समझना मुश्किल नहीं है।
जोखिम को लेकर लोगों की धारणा अलग अलग है। पहला लंबी अवधि का जोखिम है कि अंतिम गोल तक पहुंचने में असफल न हो जाएं। दूसरा जोखिम है वैल्यू में अस्थाई गिरावट। जो निवेशक लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं उनके लिए पहला जोखिम बहुत कम ही देखने में आता है लेकिन दूसरी तरह का जोखिम एक हकीकत है। आपका निवेश कुछ माह पहले 20 लाख रुपए था और इसके बाद यह गिर कर 17 लाख रुपए हो गया और अब इसकी वैल्यू 22 लाख रुपए हो गई है।
हालांकि इसका एक और आयाम है जो कि फाइनेंशियल इंजन बुक से नहीं है बल्कि यह कुछ साल पहले भारत में जमीनी स्तर पर किए गए सर्वे से सामने आया है। इसके अनुसार भारत में बहुत से बचत करने वाले और निवेशक हैं जो यह मानते हैं कि म्युचुअल फंड निवेश के विकल्प के तौर पर बहुत ज्यादा जोखिम से भरा है। अपने आप में यह ठीक है। लेकिन सर्वे में यह भी सामने आया कि निवेश के विकल्पों में म्युचुअल फंड एक ऐसा विकल्प है जिसमें निवेश का जोखिम सबसे अधिक है। और जोखिम इक्विटी से भी अधिक है। यह एक अजीब विचार है। यह सर्वे छोटे शहरों में किया गया। सर्वे में जवाब देने वालों में से 83 फीसदी ने कहा कि म्युचुअल फंड सबसे अधिक जोखिम पूर्ण हैं। जबकि 41 फीसदी ने इक्विटी को सबसे ज्यादा जोखिम वाला बताया। इसके अलावा इन्श्योरेंस को 4 फीसदी, कंपनी एफडी को 24 फीसदी, बॉण्ड को 26 फीसदी, गोल्ड को 13 फीसदी और चिट फंड को 30 फीसदी लोगों ने सबसे ज्यादा जोखिम वाला बताया। म्युचुअल फंड को सबसे ज्यादा जोखिम वाला विकल्प बताने वालों की संख्या दूसरे सबसे ज्यादा जोखिम वाले विकल्प यानी इक्विटी की तुलना में दो गुनी से भी अधिक थी।
तो यह कैसे हुआ। अगर किसी सर्वे का निष्कर्ष इतना मजबूत है तो इसका कोई कारण भी होना चाहिए। मेरा मानना है कि समस्या बाजार नियामक सेबी के स्तर से पैदा हुई है। टीवी पर जब भी म्युचुअल फंड क विज्ञापन आता है तो एक आवाज आती है जो कहती है कि म्युचुअल फंड बाजार के जोखिमों के आधीन है। यह अकेला ऐसा फाइनेंशियल प्रोडक्ट है जिसके बारे में आप जोखिम शब्द सुने बिना और कुछ नहीं सुन सकते हैं। जो लोग म्युचुअल फंड के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं वे एक चीज जानते है कि यह कुछ ऐसा है जो बहुत ही खतरनाक और जोखिम पूर्ण है इसीलिए इसमें निवेश के खतरों का जिक्र किए बिना इसका इसका नाम भी नहीं लिया जा सकता है।
यहां उन वस्तुओं की सूची दी जा रही है जिनके साथ वैधानिक चेतावनी देना अनिवार्य है। ये हैं सिंगरेट, शराब, गुटखा और म्युचुअल फंड। क्या आपको इस सूची में कुछ अजीब लग रहा है ?