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रिटायरमेंट के बाद सताएगी महंगाई

रिटायरमेंट के बाद सेविंग से इनकम की उम्‍मीद करने वाले ज्‍यादातर लोग रिटर्न तो समझते हैं लेकिन महंगाई के असर पर गौर नहीं करते

रिटायरमेंट के बाद सताएगी महंगाई

कुछ दिन पहले मुझे एक वेबिनार में बुलाया गया था। वहां मुझसे एक सवाल पूछा गया। इस सवाल ने मुझे बहुत चिंता में डाल दिया। और कई दिन बीत जाने के बाद भी यह सवाल मुझे अब भी परेशान कर रहा है। एक व्‍यक्ति मुझसे रिटायरमेंट के बाद की इनकम पर सलाह चाह रहे थे। उनका सवाल रिटायरमेंट के बाद सेविंग से इनकम हासिल करने पर था। कुछ ही भाग्‍यशाली लोग हैं जिनको महंगाई के हिसाब से बढ़ने वाली पेंशन मिल रही है। बाकी सभी लोगों को कभी न कभी इस समस्‍या का हल खोजना ही होगा।

सवाल पूछने वाले शख्‍स अभी रिटायर हुए हैं ओर उनके पास लगभग 50 लाख रुपए की सेविंग है। उन्‍होंने बताया कि उनकी जीवन शैली अच्‍छी है और वे सेविंग से 40,000 प्रति माह की इनकम चाहते हैं। वे यह इनकम हासिल करने के लिए एक बेहतर तरीका जानना चाहते थे। उनका सवाल लगभग उसी तरह का था जो मेरे एक रिश्‍तेदार ने लगभग 80 लाख रुपए की सेविंग से 1 लाख रुपए प्रति माह की इनकम हासिल करने के बारे में पूछा था।

इन दोनों में से किसी को अपने सवाल को लेकर चिंता नहीं थी और यही बात मुझे अब भी परेशान क रही है। उनको लग रहा है कि बस जरूरी इनकम हासिल करने का तरीका पता करना है और उसके बाद वे आराम से जिंदगी बिता सकेंगे। क्‍या आप समझ पा रहे हैं कि इसमें समस्‍या क्‍या है ? जो लोग जागरूक हैं उनको पता है कि यहां समस्‍या रिटर्न और महंगाई की है।

ये मिडिल क्‍लास के लोग हैं जिनको जीवन भर अच्‍छी सैलरी मिली है। अब ये रिटायर हो रहे हैं और उनको लगता है कि उनके पास काफी रकम है। कई लिहाज से कहा जा सकता है कि यह बड़ी रकम है। लेकिन जितनी इनकम की ये लोग उम्‍मीद कर रहे हैं उसके लिहाज से यह रकम बिल्‍कुल भी काफी नहीं है। मौजूदा समय के लिहाज से उनको 20- 30 साल तक नियमित इनकम की जरूरत होगी।

ये लोग इस भ्रम में क्‍यों हैं ? मैं जब भी रिटायरमेंट के बारे में लिखता हूं तो हमेशा इसका करण बताने का प्रयास करता हूं। ये लोग रिटर्न समझते हैं लेकिन महंगाई नहीं समझते हैं। ये लोग यह समझते हैं कि इनकम कंपाउंड कैसे होती है लेकिन यह नही समझते हैं कि महंगाई इसे कैसे डिकंपाउंड कर देती है। आम तौर पर 50 लाख रुपए से 40,000 रुपए प्रति माह की इनकम के लिए 9.6 फीसदी रिटर्न की जरूरत होती है। और 80 लाख रुपए से प्रति माह 1 लाख रुपए इनकम के लिए 12 फीसदी रिटर्न की जरूरत होती है। वैसे इतनी इनकम हासिल करना बहुत मुश्किल नहीं है।

अगर दुनिया में महंगाई नाम की कोई चीज नहीं होती तो ये दोनों रिटायरमेंट के बाद सुनहरे दिनों की उम्‍मीद कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं होने वाला है। कीमतें बढ़ेगी और रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिए यह रकम काफी नहीं होगी। एक समय के बाद ये अपनी पूंजी खाना शुरू कर देंगे। कुछ सालों तक इनको इस बात का पता भी नहीं चलेगा क्‍योंकि सेविंग की वैल्‍यू तो बढ़ेगी या बरकरार रहेगी लेकिन रकम की खरीद क्षमता कम होती जाएगी। एक दशक या इससे कुछ अधिक समय में इन लोगों के सामने रिटायरमेंट की समसे दुखद समस्‍या पैदा होगी। यह समस्‍या होगी बुढापे में गरीबी की। यह सिर्फ किताबी बात नहीं है। आप अपने आस-पास बहुत से उम्रदाराज लोगों को देख सकते हैं जो इस दुखद समस्‍या का सामना कर रहे हैं।

तो ये लोग अपनी सेविंग से कितनी इनकम हासिल कर सकते हैं जिससे कि इनकी पूंजी इनके जीवन में खत्‍म न हो। वैल्‍यू रिसर्च में हमने इस समस्‍या पर काफी स्‍टडी की है और मेरा मानना है कि सालाना 4 फीसदी रकम निकालना काफी हद तक सुरक्षित रहेगा। अगर आप अपनी रकम को सही जगह पर निवेश करते हैं तो लंबी अवधि में शायद 6 फीसदी रकम निकालना भी संभव होगा। लेकिन शुरूआती सालों में रकम कम से कम निकालें तो बेहतर होगा।

मैनें जो दो उदाहरण दिए हैं उनके लिए बात करें तो 50 लाख की सेविंग से यह 16,000 -20,000 रुपए प्रति माह और दूसरे मामले में यह 30,000 रुपए प्रति माह हो सकता है। जैसा मैंने कहा है कि यह एक दुखद समस्‍या है और भारत में बचत का जो कल्‍चर है उसके लिहाज से यह बहुत बड़ी चिंता की बात है। जिन लोगों के रिटायरमेंट में अभी समय है उनको इन आंकड़ों पर गौर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनको इस समस्‍या का सामना न करना पड़े। वैल्‍यू रिसर्च ऑनलइन में हमारे पास बहुत अच्‍छी जानकारी और टूल हैं जो सेविंग प्‍लान करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आप जितनी जल्‍दी इस मौके का फायदा उठाएंगे उम्रदराज होने पर उतनी ही ज्‍यादा आपकी जिंदगी खुशियों से भरी होगी।


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