जब आप बहुत से निवेशकों को सुनते हैं तो कई बार आपका पाला ऐसे सवालों से भी पड़ता है जिनका जवाब नहीं दिया जा सकता है। और लॉकडाउन में तमाम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निवेशकों के सवालों का जवाब देते हुए ऐसा मेरे साथ भी हुआ। ऐसे सवालों में से एक सवाल है मुझे कितनी लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। अक्सर मुझे लगता है कि निवेशक यह सवाल एक खास तरह की आदत की वजह से पूछते हैं और यह आदत उनमें इसलिए विकसित होती है क्योंकि भारत में अब भी बड़े पैमाने पर लोग फिक्स्ड इनकम में निवेश करते हैं। जब आप बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश के लिए जाते हैं तो आपको एक ही फैसला लेना होता है कि एफडी की अवधि कितनी होगी।
इक्विटी या इक्विटी म्युचुअल फंड के लिए बात करें तो यह सवाल पूछना भी मुश्किल है और इस सवाल का जवाब देना भी मुश्किल है। हमारा मानना है कि इसका जवाब पूरी तरह से सवाल पूछने वाले व्यक्ति पर निर्भर है। आप कितने समय तक इस रकम को अलग करके रख सकते है। यानी आपको इस रकम की जरूरत नहीं होगी। तो आपको जब तक इस रकम की जरूरत नहीं है उतने लंबे समय तक इस रकम को निवेश कर सकते हैं।
सच में जरूरत इस बात की है कि इक्विटी के लिए सवाल दूसरे सिरे से पूछा जाए। वह सवाल यह है कि इक्विटी में कम से कम यानी न्यूनतम कितने समय के लिए निवेश किया जाना चाहिए ? आपके पास जो रकम है उसकी जरूरत एक माह, एक साल या तीन साल तक नहीं पड़ने वाली है तो निवेश के लिए इक्विटी सही विकल्प नहीं है। इक्विटी सिर्फ लंबी अवधि के निवेश्कों के लिए है। अब सवाल यह उठता है कि यह लंबी अवधि कितनी लंबी है ?
सही जवाब के लिए बेसिक बातों की ओर लौटते हैं और कुछ बुनियादी सवाल पूछते हैं। इन सवालों के जवाब मेंने पहले के कॉलम में दिएए हैं। इक्विटी में निवेश क्यों सिर्फ लंबी अवधि के लिए किया जाना चाहिए ? इसका जवाब है कि कम अवधि के उतार चढ़ाव से निपटने के लिए। पांच या छह साल से ज्यादा की अवधि में रिटर्न आम तौर पर ज्यादा होता है। वहीं किसी भी छोटी अवधि में आपको कमजोर रिटर्न और यहां तक कि नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। इसे देखने का एक और तरीका भी हो सकता है। इक्विटी मार्केट एक साइकल यानी चक्र में चलता है और आमतौर पर तेज उछाल, गिरावट और फिर वापसी का एक चक्र पूरा होने में पांच से सात साल लगता है। बेहतर रिटर्न पाने के लिए जरूरी है कि हम एक पूरे चक्र में निवेश करें। और आप जानते हैं यह चक्र एक या दो साल में पूरा नहीं हो सकता है।
पिछले पांच माह हमको एक बार फिर से याद दिला रहे हैं कि बाजार में तेज गिरावट और फिर वापसी इक्विटी निवेश का हिस्सा है। अगर बाजार लंबे समय तक धीरे धीरे बढ़ता है तो लोग बड़ी और अचानक आने वाली गिरावट को लेकर उदासीन हो सकते हैं।
मेरे आर्टिकल के पुराने पाठक इस बात पर गौर करेंगे कि सालों की अवधि में मैंने उस अवधि को बढ़ा दिया है जिसे लंबी अवधि कहते हैं। एक समय था जब लंबी अवधि के लिए मैं कहता था कि अगर आप तीन साल से अधिक अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्विटी आपके लिए ठीक है। इसके बाद मैंने इस अवधि को बढ़ा कर पांच साल कर दिया और अब लंबी अवधि का मतलब पांच से सात साल तक हो गया है। अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों है। मेरे एक दोस्त ने कहा कि शायद ऐसा इसलिए क्योंकि मेरी उम्र काफी हो गई है। शायद वह सही हो। कम से कुछ हद तक।
हालांकि इक्विटी निवेश के लिए हालात भी काफी बदल गए हैं। 2007 के बाद से अल्ट्रा-लार्ज और सडेन स्टॉक्स ने एक अलग स्केल और यूनीवर्सिलिटी हासिल कर ली है। तो स्वाभाविक तौर पर जो चीजें पहले हम आसानी से मान लेते थे अब उन पर गौर करना पड़ता है। आपको ऐसा लग सकता है कि मैं उन चीजों को बदल रहा हूं जो स्थाई सिद्धांत की तरह होनी चाहिए। लेकिन जैसा कि महान अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने कहा है जब तथ्य बदलते हैं तो मैं अपना दिमगा बदल लेता हूं। आप क्या करते हैं सर ?
हाल में जब में इन्वेस्टमेंट एग्लॉरिद्म के साथ् प्रयोग कर रहा था तो मुझे ऐसे ही तथ्य का सामना करना पड़ा। आने वाले समय में आ रही वैल्यू रिसर्च प्रीमियम सर्विस का पोर्टफोलियो एडवाइजरी टूल इसी पर आधारित है। आज के समय में दुनिया में आर्थिक और कारोबारी हालात ऐसे हैं कि निवेशक को सात साल से कम अवधि के लिए 100 फीसदी इक्विटी में निवेश नहीं करना चाहिए। यह अपने आप में कोई संपूर्ण सिद्धांत नहीं है। और ऐसा भी नहीं है कि आप यह नहीं करोगे तो आपका बरबाद होना तय है। बात सिर्फ इतनी है कि मुनाफे का कुछ हिस्सा गवां देने का जोखिम कुछ ज्यादा है। अगर आप युवा हैं आपकी इनकम अच्छी है तो 100 फीसदी इक्विटी में निवेश कर सकते हैं।