यह वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही है। यानी टैक्स बचाने का समय। साल का यह ऐसा समय होता है जब जीवन बीमा बेचने वाले एजेंट सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं। वे इस मौके का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं। उनको पता है कि लोग टैक्स बचाने के लिए जीवन बीमा पॉलिसी खरीदेंगे। और उनके पास जीवन बीमा के नाम पर अलग अलग तरह की बीमा पॉलिसी होती है। आपकी शादी हो गई है तो उसके लिए पॉलिसी, आपके बेटा हुआ है तो उसके बेहतर भविष्य के लिए अलग पॉलिसी और अगर बेटी हुई है तो उसकी शादी के लिए अलग पॉलिसी। और ये सारी पॉलिसी खरीदने पर आपको टैक्स छूट मिलती है।
जीवन बीमा का लुभावना जाल
कहने का मतलब है कि जीवन के अलग अलग दौर के लिए उनके पास अलग अलग जीवन बीमा पॉलिसी होती है। ऐसे में एक आम आदमी के लिए जीवन बीमा के आकर्षण से बचना मुश्किल होता है। एजेंट जो जीवन बीमा पॉलिसी आपको बेचते हैं वह आम तौर पर पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी होती है। यानी इसमें जीवन बीमा और निवेश दोनों होता है। आपको लगता है कि आपको जीवन बीमा के साथ निवेश पर रिटर्न कमाने का मौका भी मिल रहा है। इसके अलावा इस तरह की पॉलिसी में मैच्योरिटी पर एक तय रकम मिलने की गारंटी भी होती है।
फायदों पर कभी किया है गौर
लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी में आपको जीवन बीमा कितनी रकम का मिल रहा है ? और इस पर मिलने वाला रिटर्न कितना होता है ? इसके अलावा इसका प्रीमियम कितना महंगा है। अक्सर पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी में जीवन बीमा की रकम परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लायक नहीं होती है। इसके अलावा इस तरह की पॉलिसी में रिटर्न भी 6 फीसदी से अधिक नहीं होता है। मान लेते हैं कि आपने आज 10 लाख रुपए की जीवन बीमा पॉलिसी 20 साल के लिए ली है। तो क्या 10 लाख रुपए आपके न रहने की सूरत में परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाएंगे। या इस पर आपको जो रिटर्न मिल रहा है वह आपको महंगाई के असर से बचा पाएगा। अगर औसत महंगाई दर 6 फीसदी मान लें और जीवन बीमा पॉलिसी पर रिटर्न 6 फीसदी मिल रहा है तो आपका रियल रिटर्न शून्य है। यानी आपका निवेश महंगाई के असर से तो लड़ पा रहा है लेकिन आपको कोई वास्तविक रिटर्न नहीं दे पा रहा है। इसका मतलब है कि आपका पैसा तो बढ़ रहा है लेकिन उसी रफ्तार से महंगाई भी बढ़ रही है। तो वास्तव में आपको कोई फायदा नहीं हो रहा है। आसान शब्दों में कहें तो पारंपरिक जीवन बीमा से न तो आपको जरूरत के लायक जीवन बीमा मिल रहा है और न निवेश पर अच्छा रिटर्न। इसके अलावा पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम भी काफी अधिक होता है। इसके लिए आपको हर साल मोटी रकम प्रीमियम के तौर पर जमा करानी होती है। तो अगर आप सिर्फ टैक्स बचाने के लिए जीवन बीमा खरीद रहे हैं तो आप लंबी अवधि में अपना बड़ा नुकसान कर रहे हैं।
आपको सिर्फ टर्म इन्श्योरेंस की जरूरत
सिर्फ टैक्स बचाने के लिए जीवन बीमा खरीदने की सोच ठीक नहीं है। अगर आप परिवार में अकेले कमाने वाले हैं और परिवार अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए आप पर निर्भर है तो आपको हर हाल में जीवन बीमा खरीदना चाहिए। जीवन बीमा कवर की रकम इतनी होनी चाहिए जिससे आपके न रहने की सूरत में परिवार की जरूरतें पूरी हो पाएं। टर्म इन्श्योरेंस प्लान के जरिए आप ऐसा कर सकते हैं। टर्म इन्श्योरेंस पारंपरिक जीवन बीमा की तुलना में काफी सस्ता होता है। मसलन एक 35 साल का स्वस्थ व्यक्ति 1 करोड़ रुपए जीवन बीमा कवर वाला प्लान सालाना लगभग 12,000 रुपए प्रीमियम में पा सकता है। इसके अलावा टर्म प्लान के प्रीमियम के भुगतान पर भी टैक्स छूट का फायदा मिलता है। टर्म प्लान में पॉलिसी धारक की मौत हो जाने पर जीवन बीमा कवर की पूरी राशि परिजनों को मिल जाती है। और अगर पॉलिसी धारक प्लान की अवधि तक जीवित रह जाता है तो कुछ नहीं मिलता है।
बचत से बना सकते हैं बड़ी रकम
अगर आप पारंपरिक जीवन बीमा प्लान से तुलना करें तो आप टर्म इन्श्योरेंस प्लान लेकर काफी रकम हर साल बचा सकते हैं। और आप यही रकम हर साल एसआईपी के जरिए इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। लंबी अवधि में इक्विटी महंगाई दर से ऊपर रिटर्न दे सकती है। इस तरह से इक्विटी एसआईपी में हर माह छोटी छोटी रकम निवेश करके लंबी अवधि में आप बड़ी रकम बना सकते हैं।